वीडियो: किसान नेता राकेश टिकैत ने द वायर से एक इंटरव्यू के दौरान पिछले 10 वर्षों की कृषि नीतियों और भारतीय किसानों की वर्तमान स्थिति, चीनी निर्यात पर प्रतिबंध और नए कॉरपोरेट ख़तरों को लेकर बातचीत की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि क़ानून वापस लेने की घोषणा के बाद भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कहा है कि बिल तो बनते-बिगड़ते रहते हैं, बिल वापस आ जाएगा. इसी तरह राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी कहा है कि ज़रूरत पड़ने पर कृषि क़ानूनों को फिर से लाया जा सकता है.
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के तय कार्यक्रम के अनुसार 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 नवंबर को दिल्ली सभी सीमाओं पर सभा और 29 नवंबर को संसद तक मार्च होगा.
केंद्र सरकार किसानों की मांगों के सामने झुकने के लिए तैयार नहीं थी, ख़ुद प्रधानमंत्री ने संसद में आंदोलनकारियों को तिरस्काररपूर्ण ढंग से ‘आंदोलनजीवी’ कहा था. भाजपा के तंत्र ने हर क़दम पर आंदोलन को बदनाम करने और कुचलने की कोशिश की पर किसान आंदोलन जारी रखने के संकल्प पर अडिग रहे.
गुरुनानक जयंती पर राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा करते हुए कहा, 'मैं देश से माफ़ी मांगता हूं क्योंकि लगता है कि हमारे प्रयासों में कुछ कमी रह गई है, जिसके कारण हम कुछ किसानों को सच्चाई समझा नहीं सके.'
जब से किसानों ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन शुरू किया था, तब ही से भाजपा नेताओं से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक ने किसानों को धमकाने और उन्हें आतंकी, खालिस्तानी, नक्सली, आंदोलनजीवी, उपद्रवी जैसे संबोधन देकर उन्हें बदनाम करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी थी.
तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का विभिन्न किसान नेताओं और राजनीतिक नेताओं ने स्वागत किया है. भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि संसद में क़ानून को निरस्त होने के बाद ही वे आंदोलन वापस लेंगे. वहीं, कांग्रेस ने भाजपा पर हमला करते हुए पूछा कि क़ानूनों के चलते सैकड़ों लोगों की जान जाने की ज़िम्मेदारी कौन लेगा.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के सिकंदरपुर में हुई किसान-मज़दूर महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि 2021 आंदोलन का वर्ष होगा. किसान पूरी ताक़त से लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार है.
ब्रिटिश सांसदों ने किसान आंदोलन- शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार संबंधी चर्चा की, भारत ने नाराज़गी जताई
भारत में तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आंदोलन के बीच ब्रिटिश सांसदों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकार और प्रेस की आज़ादी को लेकर एक लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर वाली ‘ई-याचिका’ पर चर्चा की. भारत ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि इस ‘एकतरफा चर्चा में झूठे दावे’ किए गए.
साक्षात्कार: कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आंदोलन को सौ दिन पूरे हो चुके हैं. 22 जनवरी को केंद्र से आख़िरी बार हुई बातचीत के बाद से जहां किसान नेता आंदोलन को देशव्यापी बनाने के प्रयास में हैं, वहीं सरकार भी अपने पक्ष में समर्थन जुटाने में लगी है. आंदोलन को लेकर भाकियू नेता राकेश टिकैत से बातचीत.
अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये दावा बिल्कुल झूठा है कि उनकी सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों के अनुसार किसानों को लाभकारी मूल्य दे रही है. सभा का कहना है कि भले ही भाजपा ने इन सिफ़ारिशों को लागू करने का वादा किया था, लेकिन इसे अमल में लाने के लिए उसकी सरकार ने कुछ नहीं किया.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि कृषि घाटे का सौदा हो गई है और सरकार कह रही है कि इसमें फ़ायदा है, हमें अपना नफ़ा-नुकसान पता है, इसलिए वे इस तरह का रवैया न अपनावे.
वर्तमान में एमएसपी जैसे तरीके पहाड़ों की आबादी के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं, हालांकि मुख्यधारा के मीडिया और इन जगहों के दूर होने के चलते यहां के लोगों को इस मुद्दे पर इकट्ठा होना मुमकिन नहीं हो रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को कहा कि एमएसपी है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा. इस पर अन्य किसान नेताओं ने कहा कि यदि सरकार दावा कर रही है कि एमएसपी जारी रहेगा तो वह क़ानूनी गारंटी क्यों नहीं देती.
दो महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान बीते 20 जनवरी तक कम से कम पांच लोग दिल्ली के विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर आत्महत्या कर चुके हैं. इसी तरह किसान आंदोलन के दौरान विभिन्न कारणों से कई किसानों की जान जा चुकी है.