प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में तीन संयुक्त सचिवों और 22 निदेशकों/उप सचिवों की नियुक्ति को मंज़ूरी दी है. 2018 में शुरू की गई लेटरल एंट्री स्कीम के तहत संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव स्तर पर भर्तियां की जाती हैं.
केंद्रीय आदिवासी मामलों और जलशक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने बीते शनिवार को ओडिशा के बालासोर ज़िले के बलियापाल में एक सरकारी स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में एक सभा को संबोधित करते हुए ये टिप्पणी की.
ऐसा बताया जाता है कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो मनोज सोनी उनके भाषण लेखकों में से एक थे. नरेंद्र मोदी से नज़दीकी के चलते उन्हें 'छोटे मोदी' भी कहा जाता है. अब यूपीएससी अध्यक्ष के तौर पर उनकी नियुक्ति को विभिन्न आयोगों और केंद्रीय संस्थानों का भगवाकरण किए जाने के रूप में देखा जा रहा है.
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सेवा मेन्स की जनवरी में हुई परीक्षा में कई छात्र कोरोना की वजह से शामिल नहीं हो पाए थे और अब वे अतिरिक्त मौका दिए जाने की मांग कर रहे हैं. अदालत ने केंद्र सरकार को इन छात्रों को लेकर दो हफ़्ते के भीतर फैसला करने को कहा है.
सिविल सेवा और अन्य सरकारी परीक्षाओं की तैयारी का गढ़ माने जाने वाले दिल्ली के मुखर्जी नगर में छात्र प्रदर्शन के साथ क्रमिक भूख हड़ताल पर हैं. इनकी मुख्य मांग है कि इन्हें सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त मौका दिया जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफ़नामा दाख़िल कर कहा है कि ऐसा करना संभव नहीं है.
यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में सफल रहे तीन छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि उन्हें परीक्षा में शामिल होने के लिए एक अतिरिक्त अवसर दें या परीक्षा परिणाम आने से पहले उनके शेष पेपर की परीक्षा की कुछ व्यवस्था करें. कोविड-19 से पीड़ित होने के कारण तीनों छात्र पिछले महीने संपन्न मुख्य परीक्षा के सभी पेपरों में उपस्थित नहीं हो सके थे.
वीडियो: कोरोना संकट के बीच सिविल सेवा के हज़ारों प्रतिभागी परीक्षा में बैठने के लिए अयोग्य हो गए हैं. फिलहाल वे दोबारा परीक्षा की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं. बीते दिनों उन्होंने राजधानी दिल्ली में इस मांग के साथ प्रदर्शन किया था.
लैटरल एंट्री के तहत नियुक्त किए गए इन लोगों में से तीन संयुक्त सचिव, 19 निदेशक और नौ उप-सचिव बनाए गए हैं. मोदी सरकार द्वारा लाई गई इस नई व्यवस्था के तहत ऐसे लोगों को मंत्रालयों में अधिकारी बनाया जाता है, जिन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा पास नहीं की है.
बीते आठ अगस्त को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के तहत सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ़) की नियुक्ति परीक्षा में पश्चिम बंगाल में इस साल अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा और तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को लेकर सवाल पूछे गए थे. ममता बनर्जी ने भाजपा पर यूपीएससी जैसे संस्थानों को बर्बाद करने और निष्पक्ष संस्था के तौर पर इसकी नींव कमज़ोर करने का आरोप लगाया.
लैटरल एंट्री के तहत विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव पद पर तीन और निदेशक स्तर के पदों पर 27 नियुक्तियां होनी हैं. लैटरल एंट्री सरकारी विभागों में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति से संबंधित है. इसके तहत ऐसे लोगों को आवेदन करने योग्य माना गया है, जिन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा पास नहीं की है.
केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक जनवरी 2018 की स्थिति के अनुसार आईएएस श्रेणी में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 6553 है जबकि आईपीएस श्रेणी में यह संख्या 4940 है.
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 13 फैकल्टी सदस्यों के पात्र नहीं होने के बावजूद उन्हें नियुक्त किया गया, जिसमें प्रिंसिपल ओम प्रकाश शुक्ला भी शामिल हैं. सीबीआई ने यूपीएससी और रक्षा मंत्रालय के संगठन आईडीएस के ख़िलाफ़ भी केस दर्ज किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय की नई पहल कामयाब होती है तो संघ लोक सेवा आयोग द्वारा कराई जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करना ही आपकी पसंद की अखिल भारतीय सेवा में दाखिल होने के लिए काफी नहीं रह जाएगा.
सशस्त्र बलों की कठिनाईयों को गंभीरता से समझने की जरूरत है सिर्फ सोशल मीडिया पर बहस करने से इसका हल नहीं निकलने वाला है