केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने न सिर्फ अनुच्छेद 370 की आत्मा को ख़त्म किया, बल्कि एक कदम आगे बढ़ते हुए पूरे राज्य के अस्तित्व को समाप्त करते हुए इसे दो हिस्सों में बांट दिया, जहां कानून-व्यवस्था और ज़मीन जैसे अहम मसलों पर फैसला नई दिल्ली में बैठे नौकरशाहों द्वारा लिया जाएगा.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व निर्दलीय विधायक राशिद इंजीनियर से बीते कुछ दिनों से कश्मीरी अलगाववादियों द्वारा लश्कर-ए-तैयबा सरगना हाफिज सईद सहित पाकिस्तान से पैसे लेकर घाटी में तनाव फैलाने के संबंध में पूछताछ की जा रही थी.
जिन पर फैसले का असर होने वाला हो, उन्हें अंधेरे में रखकर लिया गया कोई भी निर्णय किसी भी तर्क से उनके हित में नहीं हो सकता. अपनी सैन्य शक्ति के बल पर अभिभावकत्व हासिल करना आपके दावे को किसी भी तरह जायज़ नहीं बना सकता.
पाकिस्तान द्वारा अनुच्छेद 370 में हुए बदलावों के बाद भारत के साथ राजनयिक संबंध घटाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत का संविधान हमेशा से संप्रभु मामला रहा है और आगे भी रहेगा, पाकिस्तान को अपने कदमों की समीक्षा करनी चाहिए.
सदन में अमित शाह ने कहा कि नेहरू कश्मीर हैंडल कर रहे थे, सरदार पटेल नहीं. यह इतिहास नहीं है मगर अब इतिहास हो जाएगा क्योंकि अमित शाह ने कहा है. उनसे बड़ा कोई इतिहासकार नहीं है.
जम्मू कश्मीर में संचार व्यवस्थाएं पूरी तरह से ठप होने के कारण न कश्मीरी अख़बार छपे, न ही समाचार वेबसाइट अपडेट हुईं.
जो कुछ भी 5 अगस्त को संसद में हुआ है उसने साबित कर दिया है कि भाजपा के लिए बहुमत का अर्थ बहुसंख्यकवादी बहुमत है.
पुलिस और सेना का इस्तेमाल करके आम राय को कुछ समय के लिए दबाया जा सकता है, लेकिन क्या इससे राज्य में लंबे समय के लिए शांति सुनिश्चित की जा सकती है?
जहां सारी दुनिया को इस बात का एहसास जल्द ही हो गया था कि डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका एक भरोसेमंद साथी नहीं है, नरेंद्र मोदी ने इसके बावजूद भारत के वॉशिंगटन से संबंध प्रगाढ़ किए. यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि इसकी कीमत क्या होगी.
वीडियो: सोमवार को वॉशिंगटन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की मौजूदगी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करने का अनुरोध किया था. भारत ने ट्रम्प के इस दावे को नकार दिया है. इस बारे में द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कश्मीर समस्या पर मध्यस्थता करने को लेकर दिए बयान के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा कि दोनों देश द्विपक्षीय तरीके से कभी कश्मीर विवाद नहीं सुलझा सकेंगे.
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इस दावे से भारत सरकार ने इनकार किया है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत पाकिस्तान की बीच लंबित मसलों पर कोई भी बातचीत द्विपक्षीय ही होगी.
फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव 27 फरवरी को पेश किया था.
ट्रम्प ने कहा कि भारत, अमेरिका को यह आश्वासन देने में विफल रहा है कि कि वह अमेरिकी उत्पादकों को भारत के बाज़ार में समान और उचित पहुंच प्रदान करेगा.
पाकिस्तान के सांप्रदायिक एजेंडे के लिए नरेंद्र मोदी की एक और जीत से अच्छा कुछ नहीं हो सकता है. उनकी नीतियों ने पाकिस्तानियों को यह यक़ीन दिलाने का काम किया है कि भारत में मुस्लिम कभी भी सुरक्षित नहीं रह सकते हैं.