कोविड-19: डीसीजीआई ने 12 से 18 साल आयु वर्ग के लिए ‘कोर्बेवैक्स’ टीके को मंज़ूरी दी

‘कोर्बेवैक्स’ भारत के औषधि महानियंत्रक की ओर से 12 से 18 वर्ष आयु वर्ग के लिए सीमित आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी हासिल करने वाला तीसरा टीका बन गया है. इससे पहले जाइडस कैडिला के जायकोव-डी और भारत बायोटेक के कोवैक्सीन को मंज़ूरी दी गई थी.

बिहार: रिकॉर्ड के अनुसार पटना की सिविल सर्जन ने कोविड-19 की पांच खुराकें ली, जांच के आदेश

पटना की सिविल सर्जन विभा कुमारी सिंह ने अतिरिक्त खुराक लेने का खंडन करते हुए मामले की जांच में तथ्यों के सामने आने पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है. इस महीने की शुरुआत में उत्तर बिहार के मधेपुरा ज़िले में एक 84 वर्षीय व्यक्ति ने दावा किया था कि उन्होंने कोरोना वायरस वैक्सीन के एक दर्जन टीके लिए हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने मृतकों को भी कोरोना टीकाकरण सर्टिफिकेट जारी किए: रिपोर्ट

मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर ज़िले का है, जहां के निवासी अक्षय भटनागर ने बताया कि मई महीने में कोरोना संक्रमण के चलते उनके भाई गुज़र गए थे, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दिसंबर में आए एक मैसेज में कहा गया कि उनके भाई को कोविड रोधी टीके की दूसरी डोज़ लग गई है.

केंद्र की टीकाकरण योजना से ‘मौलिक अधिकार का उल्लंघन’ हुआ: केरल हाईकोर्ट

कोर्ट ने कहा कि टीकाकरण योजना ने भारत में नागरिकों के दो वर्ग बना दिए हैं. इसमें एक तरफ़ कोवैक्सीन लेने वाले नागरिक शामिल हैं जिनकी आवाजाही पर पाबंदी है, वहीं दूसरी ओर वो हैं जिन्होंने कोविशील्ड टीका लिया और वे कहीं भी जा सकते हैं. इसके चलते ‘आवाजाही के मौलिक अधिकार का उल्लंघन’ हुआ है.

कोरोना: देश के 48 ज़िलों में टीकाकरण की दर पचास फीसदी से भी कम

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इन 48 ज़िलों में से 27 उत्तरपूर्वी राज्यों में हैं, जिनमें से आठ-आठ ज़िले मणिपुर और नगालैंड में हैं. झारखंड में सर्वाधिक नौ ज़िले हैं, जहां पचास फीसदी से भी कम लोगों को कोरोना का पहला टीका लगा है. इस सूची में दिल्ली का एक और महाराष्ट्र के छह ज़िले शामिल हैं.

भारत सरकार की संशोधित वैक्सीन नीति अब भी राष्ट्रीय हित का उल्लंघन है

कोविड-19 टीकाकरण में निजी क्षेत्र की विफलता दिखाती है कि केंद्र सरकार को टीकों की सौ फीसदी ख़रीद करनी चाहिए और समान मूल्य निर्धारण नीति अपनानी चाहिए.

प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर हुए टीकाकरण में फ़र्ज़ीवाड़ा, बिना टीका लगे बंटे प्रमाणपत्र: रिपोर्ट

द कारवां की रिपोर्ट में विभिन्न राज्यों के लोगों के हवाले से दावा किया गया है कि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के रोज़ कई लोगों को कोविड टीकाकरण प्रमाणपत्र मिला, जबकि उन्हें टीका पहले लगा था. कई लोगों को टीके की दूसरी खुराक लेने का प्रमाणपत्र मिला जबकि उन्होंने दूसरी डोज़ ली ही नहीं थी.

ब्रिटेन ने यात्रा नियमों में कोविशील्ड को मंज़ूरी दी, पर अब भी भारतीयों को क्वारंटीन में रहना होगा

इससे पहले भारत के विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने कोविशील्ड टीके के मुद्दे पर ब्रिटेन को चेताया था और कहा था कि भारत भी ब्रिटेन जैसा क़दम उठा सकता है. हालांकि नियमों में संशोधन के बाद भी भारतीयों को ब्रिटेन पहुंचने पर क्वारंटीन में रहना होगा क्योंकि यूके कोविन सर्टिफिकेट स्वीकार नहीं कर रहा है.

ब्रिटेन ने भारत में लगे कोविशील्ड टीके को नहीं दी मान्यता, जयराम रमेश और थरूर ने कहा- ‘नस्लवाद’

ब्रिटेन के नए यात्रा नियमों के अनुसार, भारत में कोविशील्ड टीके की दोनों खुराक लिए व्यक्ति को 'पूर्ण वैक्सीनेटेड' नहीं माना जाएगा और उन्हें दस दिन क्वारंटीन में रहना होगा. जिन देशों को इस नियम से बाहर रखा गया है, उनमें ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, इज़रायल, सऊदी अरब, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया शामिल हैं, जहां एस्ट्राजेनेका वैक्सीन, जो भारत में कोविशील्ड के रूप में उपलब्ध है, उपयोग में है.

केंद्र इच्छुक लोगों को कोविशील्ड का दूसरा डोज़ चार सप्ताह बाद लेने की अनुमति दे: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि जब लोगों को टीका लेने या इससे इनकार करने का अधिकार है, तो कोई कारण नहीं है कि राज्य को यह रुख़ अपनाना चाहिए कि उन्हें मूल प्रोटोकॉल के संदर्भ में चार सप्ताह के बाद दूसरी खुराक लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी. ख़ासतौर से तब, जब वे टीके के लिए अपनी जेब से पैसे ख़र्च कर रहे हैं.

कोर्ट ने केंद्र से पूछा- कोविशील्ड खुराकों के बीच 84 दिन का अंतर उपलब्धता से जुड़ा या प्रभाव से

केरल हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस पीबी सुरेश कुमार ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल का कारण टीके के प्रभावी होने से जुड़ा है, तो वे चिंतित हैं क्योंकि उन्हें दूसरी खुराक पहली खुराक दिए जाने के 4-6 सप्ताह के भीतर दे दी गई थी.

केरल: गर्भवती महिला की मौत पर अस्पताल का दावा, कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभावों से गई जान

केरल के कोट्टायम ज़िले का मामला. महिला ने गर्भावस्था की पुष्टि के बाद छह अगस्त को कोविशील्ड की पहली डोज़ ली थी. 11 अगस्त को उन्हें तेज सिर दर्द हुआ, जिसके चार दिन बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराय गया, जहां 20 अगस्त को उनकी मौत हो गई. कोट्टायम के ज़िला चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि हमें समझ नहीं आ रहा है कि अस्पताल ने महिला की मौत को किन परिस्थितियों में वैक्सीन से जोड़ा है. हमें ऑटोप्सी रिपोर्ट का

केंद्र के टीका समिति के प्रमुख ने कहा, अच्छी गुणवत्ता न होने के चलते हुई कोवैक्सीन की कमी

टीकाकरण सलाहकार समिति के प्रमुख एनके अरोड़ा ने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में कोवैक्सीन का उत्पादन कई गुना बढ़ेगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वैक्सीन की जो खेप अच्छी गुणवत्ता की नहीं थी, उसे टीकाकरण के लिए नहीं भेजा गया था.

राजस्थानः कोरोना वैक्सीन की कमी से 30 लाख लोगों को नहीं लगी दूसरी डोज़

राज्य के स्वास्थ्य आंकड़ों के अनुसार राज्य में खुराकों में अंतराल की अनिवार्य अवधि पूरी होने बाद के 8.94 लाख लोग कोवैक्सीन और 20.97 लाख लोग कोविशील्ड की दूसरी डोज़ का इंतज़ार कर रहे हैं.

ऐसे बच्चों की संख्या सबसे ज़्यादा भारत में है, जिन्हें कोई टीका नहीं लगा हैः यूनिसेफ़

दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के बीच यूनिसेफ ने कहा कि भारत में ऐसे बच्चों की संख्या बढ़कर 35 लाख हो गई है, जिन्हें कोई टीका नहीं लगा है. यह 2019 की अपेक्षा इस संख्या में 14 लाख की वृद्धि हुई है. इसके मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में किसी भी नियमित टीकाकरण में विफलता के मामले में दक्षिण एशिया सबसे ऊपर रहा और 2020 में ऐसे बच्चों की संख्या क़रीब 44 लाख थी.

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