अनुवाद में ऋग्वेद

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: वेद हमारे प्रथम काव्यग्रंथ हैं. ‘स्वस्ति’ शीर्षक से रज़ा पुस्तकमाला के अंतर्गत सेतु प्रकाशन से प्रकाशित ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 112 सूक्तों का कवि-विद्वान मुकुंद लाठ द्वारा किया गया हिंदी अनुवाद इसका प्रमाण है.

एनसीईआरटी ने छठी कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब से जाति और वर्ण व्यवस्था का उल्लेख हटाया

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी)ने छठी कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब 'एक्सप्लोरिंग सोसाइटी इंडिया एंड बियॉन्ड' में जाति व्यवस्था का उल्लेख किए बिना वेदों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जबकि पुरानी किताब में उल्लेख था कि महिलाओं और शूद्रों को वेदों का अध्ययन करने की अनुमति नहीं थी.

चंद्रयान पर एनसीईआरटी मॉड्यूल में विज्ञान को पौराणिक कथाओं के साथ जोड़ने पर नाराज़गी

शिक्षाविदों और छात्र संगठनों ने कहा कि बच्चों में वैज्ञानिक स्वभाव पैदा करने के बजाय केंद्र सरकार एनसीईआरटी के ज़रिये पौराणिक कथाओं और विज्ञान को मिलाकर ‘अपनी भगवा विचारधारा थोपने’ की कोशिश कर रही है. चंद्रयान-3 मिशन पर एनसीईआरटी द्वारा जारी एक रीडिंग मॉड्यूल में इसरो और वैज्ञानिकों के योगदान के बजाय प्रधानमंत्री का महिमामंडन किया गया है.

एनसीईआरटी मॉड्यूल में चंद्रयान-3 की सफलता का श्रेय मोदी को, अंतरिक्ष विज्ञान को वेदों से जोड़ा

अंतरिक्ष विज्ञान विशेषज्ञों का कहना है कि चंद्रयान मिशन पर एनसीईआरटी द्वारा लाया गया रीडिंग मॉड्यूल इसरो और उसके वैज्ञानिकों के साथ अन्याय है, जो बरसों से हर विफलता से उबरे हैं.

‘भाजपा सनातन धर्म का बचाव कर सकती है, लेकिन इसके अर्थ को परिभाषित नहीं कर सकती’

साक्षात्कार: बेंगलुरू के नेशनल लॉ स्कूल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कार्तिक राम मनोहरण ने जाति, धर्म और जेंडर से जुड़े मसलों पर विस्तृत शोध किया है. सनातन धर्म पर छिड़े विवाद पर इसकी विभिन्न व्याख्याओं और उत्तर-दक्षिण भारत की राजनीतिक मान्यताओं के अंतर को लेकर उनसे बातचीत.

वैज्ञानिक खोजें वेदों में थीं, बाद में पश्चिमी अवधारणा के रूप में इन्हें पेश किया गया: इसरो चीफ

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि बीजगणित, समय की अवधारणा, ब्रह्मांड की संरचना, धातु विज्ञान और विमानन जैसी वैज्ञानिक अवधारणाएं सबसे पहले वेदों में पाई गई थीं. ये भारतीय खोजें अरब देशों के माध्यम से यूरोप पहुंचीं और फिर पश्चिमी अवधारणाओं के रूप में सामने आईं.

क्या एक फिल्म के पोस्टर से ‘आहत’ हुए लोगों की वास्तव में काली में आस्था है

एक स्त्री निर्देशक जब काली की छवि को अपनी बात कहने के लिए चुनती है तो वह लैंगिक न्याय और स्वतंत्रता में उसकी आस्था का प्रतीक है. क्या इंटरनेट पर आग उगल रहे तमाम ‘आस्थावान’ स्त्री स्वतंत्रता के इस उन्मुक्त चित्रण से भयभीत हो गए हैं? या उन्हें काली की स्वतंत्रता के पक्ष में स्त्रियों का बोलना असहज कर रहा है?