लोकसभा चुनाव: मिथिलांचल में एम-वाई समीकरण कितना प्रभावी रहेगा?

दरभंगा लोकसभा क्षेत्र और निकटवर्ती लोकसभा सीटों- झंझारपुर, मधुबनी और समस्तीपुर- यानी मिथिलांचल में 55 पिछड़ी एवं अत्यंत पिछड़ी जातियों के मतदाता जिन्हें ‘पचपनिया’ कहा जाता है, की भूमिका निर्णायक मानी जाती है. पिछले चुनाव में एनडीए की जीत में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान बताया जाता है.

बिहार में भाजपा किस तरह से छोटी पार्टियों को ख़त्म करने की कोशिश कर रही है?

वीडियो: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते 27 मार्च को अपने कैबिनेट मंत्री और विकासशील इंसान पार्टी प्रमुख मुकेश साहनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर बार-बार हमला बोलने के कारण भाजपा उनसे काफी नाराज़ थी. साहनी की पार्टी ने यूपी में 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिल पाई थी.

बिहार: भाजपा के कहने के बाद वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी को मंत्री पद से हटाया गया

राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि भाजपा द्वारा मुकेश साहनी को मंत्री पद से हटाने के आग्रह के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजभवन को इसकी सिफ़ारिश की थी. भाजपा का कहना था कि साहनी अब राजग गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए उन्हें मंत्री पद से हटाया जाना चाहिए.

बिहार: वीआईपी विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद मुकेश साहनी का इस्तीफ़े से इनकार

बिहार सरकार में मंत्री मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी के सभी तीनों विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. उधर, मुकेश साहनी का कहना है कि उन्हें मंत्रिमंडल में रखना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विशेषाधिकार है. वे चाहें तो बर्ख़ास्त कर दें.

उत्तर प्रदेश: भाजपा के साथ उतरी निषाद पार्टी कितनी कामयाब होगी

बीते कुछ चुनावों में अपनी जीत से सबको चौंका चुकी निषाद पार्टी को भाजपा ने पिछले चुनाव में हारी हुई नौ सीटों को जिताने की ज़िम्मेदारी दी है. गठबंधन में निषाद पार्टी को मिली 16 सीटों में से छह पर प्रत्याशी भाजपा के चुनाव चिह्न पर जबकि 10 प्रत्याशी निषाद पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ रहे हैं.

यूपी: निषाद पार्टी के सामने वीआईपी को खड़ा करना क्या भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा है

उत्तर प्रदेश की राजनीति में निषाद वोट अहम हो गए हैं, जिसे लेकर निषाद पार्टी अपने प्रभुत्व का दावा करती रही है. राज्य में 150 से अधिक विधानसभा सीटें निषाद बहुल हैं, ऐसे में यह समुदाय निर्णायक भूमिका में हो सकता है. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट बढ़ते ही निषाद वोटों पर अपने कब्ज़े को लेकर निषाद पार्टी और बिहार की विकासशील इंसान पार्टी के बीच खींचतान शुरू हो गई है.