पिछली बार भाजपा ने जिन पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी- 2014 में कश्मीर की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और 2019 में हरियाणा की जननायक जनता पार्टी- इस चुनाव में उन दोनों का सफाया हो गया है.
पार्टियों की हार-जीत से इतर हरियाणा में एक ज़रूरी मुद्दा महिलाओं की राजनीति में भागीदारी का है. इस बार कुल 13 महिलाएं विधायक चुनी गई हैं, जो कुल सीटों की करीब साढ़े 14 प्रतिशत है.
चुनावी मैदान में जीत विनेश की लड़ाई का अंत नहीं है. यह दरसअल शुरुआत है. जिन आकांक्षाओं को लेकर उन्हें बतौर खिलाड़ी अपना करिअर शिखर पर छोड़कर राजनीति का रुख़ करना पड़ा, उन सपनों को पूरा करने का रास्ता अब आरंभ होता है.
विनेश फोगाट बलाली गांव की रहने वाली हैं जो चरखी-दादरी ज़िले के बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, लेकिन वे जींद ज़िले की जुलाना विधानसभा से लड़ रही हैं.
सेना में जवानों की अल्पकालिक भर्ती के लिए लाई गई 'अग्निपथ' योजना, दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों को लेकर डटे किसान और राजधानी में ही पुलिस द्वारा घसीटे गए प्रदर्शनकारी पहलवानों के मुद्दों की हरियाणा के मौजूदा विधानसभा चुनावों में गहरी छाप नज़र आती है.
विनेश स्टेडियम को छोड़कर एक नई राह पर चल पड़ी हैं. उनसे पहले भी खिलाड़ी राजनीति में आए हैं, लेकिन उन सभी ने अपनी पूरी पारी खेल चुकने के बाद संसद का रुख़ किया था. क्या सहसा चुना गया यह रास्ता विनेश को सार्थकता दे पाएगा?
हरियाणा में जुलाना प्रत्याशी विनेश फोगाट की जनसभा के लिए कांग्रेस ने भले ही हरिजन बस्ती को चुना था, लेकिन जनसभा की तैयारी के लिए निर्देश ब्राह्मण दे रहे थे और दलित उनका पालन कर रहे थे. मायावती की निष्क्रियता के बावजूद वंचित समाज अब भी अपना नेतृत्व बसपा में ही तलाश रहा है और सामाजिक न्याय के कांग्रेस के दावे पर उन्हें भरोसा नहीं है.
हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र भाजपा ने अपने पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह को पहलवानों और अब कांग्रेस सदस्य विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया पर टिप्पणी करने से परहेज़ को कहा है. हालांकि, इसके बावजूद वे पहलवानों के आंदोलन पर टिप्पणी करते नज़र आए.
पेरिस ओलंपिक में फाइनल मुक़ाबले से पहले अयोग्य घोषित कर दी गईं भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने अपने जीवन और कुश्ती की यात्रा को लेकर एक बयान जारी किया है, जिसमें लिखा है कि वह अलग परिस्थितियों में शायद ख़ुद को फिर खेलते देख पाएं.
विनेश फोगाट की कहानी संघर्ष, कड़ी मेहनत और साहस की एक ज़िंदा मिसाल है. एक ऐसी मिसाल जो दिखाती है कि विरोधियों या शासक वर्ग द्वारा संरक्षित खेल संघों में बैठे मुखियाओं के ख़िलाफ़ हार मान लेना कोई विकल्प नहीं है.
भारत में विनेश फोगाट का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने दावा किया है कि पेरिस ओलंपिक में भारतीय पहलवान को फाइनल से पहले अयोग्य ठहराए जाने के निर्णय पर भारत सरकार केवल तभी जागी जब ओलंपिक खेलों के दौरान खिलाड़ियों की क़ानूनी सहायता के लिए गठित पैनल के निशुल्क वकीलों ने फोगाट का मामला कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स में उठा दिया था.
वीडियो: पेरिस ओलंपिक में भारतीय पहलवान विनेश फोगाट को फाइनल से ठीक पहले अयोग्य घोषित किए जाने के बाद केंद्रीय खेल मंत्री उन पर किए गए ख़र्च गिनाते दिखे. इस पूरे घटनाक्रम और खेलों के प्रति सरकार की रवैये पर वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रदीप मैगजीन और द वायर के पत्रकार अतुल अशोक होवाले के साथ चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
भारतीय पहलवान अंतिम पंघाल के ख़िलाफ़ ये कार्रवाई अनुशासनात्मक उल्लंघन के बाद की गई है. पंघाल ने अपना ओलंपिक विलेज मान्यता (एक्रेडिटेशन) कार्ड अपनी बहन को दिया था, जिसके चलते भारतीय ओलंपिक संघ ने उन्हें देश वापस भेजे जाने का फैसला लिया.
भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक से अयोग्य घोषित किए जाने के कुछ ही घंटों बाद केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में अपने भाषण में गिनाया कि ओलंपिक की तैयारी के लिए भारत सरकार ने उन्हें कितनी वित्तीय सहायता प्रदान की. इसके विरोध में विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर लिया.
ओलंपिक में कुश्ती के फाइनल मुक़ाबले से पहले कुछ ग्राम बढ़े वजन के चलते अयोग्य घोषित कर दी गईं भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने संन्यास की घोषणा के साथ अपनी मां को संबोधित करते हुए लिखा कि 'आपका सपना-मेरी हिम्मत सब टूट चुके. इससे ज़्यादा ताक़त नहीं रही.'