नागार्जुन की कविता ‘तेरी खोपड़ी के अंदर’ स्वतंत्रता के बाद विकसित हुए भारतीय जीवन पर एक फटकार है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की सोलहवीं क़िस्त.
कनाडा में दक्षिण एशियाई प्रवासियों के एक समूह ने बयान जारी कर भारत में हाल के महीनों में बढ़ी मुस्लिम विरोधी हिंसा, हिजाब विवाद और रामनवमी के आसपास हुई सांप्रदायिक हिंसा की निंदा की है. उन्होंने मांग की है कि भारत सरकार देश में मुस्लिम और अल्पसंख्यक समुदायों का उत्पीड़न रोके और संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखे.
आम आदमी पार्टी का दावा है कि उसके तिरंगे के रंग पक्के हैं. शुद्ध घी की तरह ही वह शुद्ध राष्ट्रवाद का कारोबार कर रही है. भारत और अभी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को राष्ट्रवाद का असली स्वाद अगर चाहिए तो वे उसकी दुकान पर आएं. उसकी राष्ट्रवाद की दाल में हिंदूवाद की छौंक और सुशासन के बघार का वादा है.
तिरंगे में लिपटे एक पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यपाल के पार्थिव शरीर के आधे हिस्से पर अपना झंडा प्रदर्शित करके भाजपा ने पूरी तरह साफ कर दिया कि राष्ट्रीय प्रतीकों के सम्मान के मामले में वह अब भी ‘ख़ुद मियां फजीहत दीगरे नसीहत' की अपनी नियति से पीछा नहीं छुड़ा पाई है.
राष्ट्रध्वज को जब बहुसंख्यकवादी अपराध को जायज़ ठहराने के उपकरण के रूप में काम में लाया जाने लगेगा, वह अपनी प्रतीकात्मकता खो बैठेगा. फिर एक तिरंगे पर दूसरा दोरंगा पड़ा हो, इससे किसे फ़र्क़ पड़ता है?