यूक्रेन संकट: ‘युद्ध को वे दिव्य कहते हैं जिन्होंने, युद्ध की ज्वाला कभी जानी नहीं है’

आज के मनुष्य ने मछलियों की तरह जल में तैरना और पक्षियों की तरह आसमान में उड़ना भले सीख लिया है, मनुष्य की तरह धरती पर चलना उसे अभी सीखना है. मनुष्य की तरह धरती पर चलना न सीख पाने के ही कारण उसकी बार-बार की जाने वाली शांति की क़वायदें भी युद्ध की क़वायदों में बदल जाती हैं.