पहलवानों के हालिया आंदोलन में न केवल कुश्ती बल्कि भारतीय खेल संस्कृति के भविष्य को मोड़ने की ताक़त है. हालांकि, आंदोलन की क़रीबी पड़ताल करें तो एक तरफ़ ये आंदोलन राज्य की पितृसत्ता का विरोध कर रहा है, लेकिन साथ ही जातिगत पितृसत्ता के साथ खड़ा मिलता है.