एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भीमा गोरेगांव मामले में गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए काम करने वाले नौ लोगों को स्पाइवेयर का निशाना बनाया गया था. उन्होंने मांग की है कि इसकी स्वतंत्र जांच हो और पता लगाया जाए कि क्या इन स्पाइवेयर अभियानों और किसी ख़ास सरकारी एजेंसी के बीच कोई संबंध है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल की डिजिटल टीम द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया है कि कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों, जिनमें से अधिकतर भीमा कोरेगांव मामले से जुड़े हैं, को संदिग्ध ईमेल के ज़रिये एक ऐसा मैलवेयर भेजा गया था, जिससे उनके कम्प्यूटर को नियंत्रण में लिया जा सके.
कंंपनियों की खिंचाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये लोग पैसा बनाना जानते हैं लेकिन भारतीय कानूनों का सम्मान करना नहीं जानते.