भीमराव आंबेडकर के दोनों पोते प्रकाश आंबेडकर और आनंद आंबेडकर ने उनके नाम बदलने के निर्णय की आलोचना करते हुए इसे भाजपा की वोट बैंक की राजनीति करार दिया है.
बीते दस महीनों में उत्तर प्रदेश पुलिस ने औसतन प्रतिदिन 4 एनकाउंटर किए हैं. द वायर ने ऐसे 14 परिवारों से मुलाक़ात की, जिनका कोई सदस्य इस दौरान पुलिस एनकाउंटर में मारा गया.
सपा प्रमुख ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में सत्ता और धनबल का दुरुपयोग कर भाजपा ने सपा और बसपा के रिश्ते को और भी मजबूत कर दिया है.
हम भी भारत की 26वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के एक साल पूरे होने पर स्वतंत्र पत्रकार नेहा दीक्षित और द वायर के अजय आशीर्वाद से चर्चा कर रही हैं.
पिछले महीने केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, बुढ़ाना विधायक उमेश मालिक और खाप नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े 179 मामलों रद्द करने की सूची सौंपी थी.
भारतीय चीनी मिल संघ ने कहा कि वे समय पर किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान करने में असमर्थ हैं.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कि उत्तर प्रदेश में भाजपा एकमात्र ताक़तवर पार्टी है और रहेगी. अगर 2019 में भी सपा-बसपा का गठबंधन होता है तो पार्टी मुक़ाबला करने को तैयार है.
गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों के उपचुनाव में भाजपा की हार और सरकार की किरकिरी के बाद शुक्रवार देर रात प्रशासनिक व्यवस्था में बड़ा फेरबदल किया गया है.
गोरखपुर से ग्राउंड रिपोर्ट: गोरक्षपीठ को निषादों का बताने वाले संजय उन चंद लोगों में हैं, जो गोरखपुर में रहते हुए हिंदू युवा वाहिनी को दंगा करने वाला, मुसलमानों, दलितों, अति पिछड़ों और निषादों पर अत्याचार करने वाला ‘संगठित गिरोह’ बताते रहे हैं.
जहां भाजपा सफल हो जाती है, वहां ये कथित ‘चाणक्य नीति’ का ढोल पीटते हैं, जहां विफल हो जाते हैं तो कहते हैं कि अति-आत्मविश्वास हमें ले डूबा.
गोरखपुर में सत्ताधारी दल के उपचुनाव में हारने की कहानी नई नहीं है.
गोरखपुर में मिली हार योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ा झटका है. भाजपा कार्यकर्ता उन्हें 2024 में प्रधानमंत्री के रूप में देख रहे थे, लेकिन अपनी सीट छोड़ो, वो अपना बूथ तक नहीं बचा पाए.
लोकसभा की तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में हार के बाद भाजपा के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने नरेंद्र मोदी तो सुब्रमनियन स्वामी और पूर्व भाजपा सांसद रमाकांत यादव ने योगी आदित्यनाथ पर साधा निशाना.
गोरखपुर से ग्राउंड रिपोर्ट: मार्च 2017 के बाद यूपी की राजनीति में नए बदलाव की जो धीमी आवाज़ें उठ रही थीं, उसे सुना नहीं गया. ये आवाज़ें इस चुनाव में बहुत मुखर थीं लेकिन उसे नज़रअंदाज़ कर दिया गया. अब जब उसने अपना असर दिखा दिया, तो सभी हैरान हैं.
गोरखपुर-फूलपुर उपचुनाव: सपा और बसपा के इस गठजोड़ में अगर कांग्रेस भी शामिल हो गई तो भाजपा को देश के सबसे बड़े राज्य में निराशा ही हाथ लगेगी.