गैरकांग्रेसवाद का सिद्धांत भले ही डाॅ. राममनोहर लोहिया ने दिया था लेकिन उसकी बिना पर कांग्रेस की केंद्र की सत्ता से पहली बेदखली 1977 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के तत्वावधान में ही संभव हुई.
वीडियो: भगत सिंह की जयंती पर उनके विचारों पर चर्चा कर रहे हैं प्रोफेसर अपूर्वानंद.
ऐसा लगता है कि भगत सिंह के प्रति श्रद्धा वास्तव में गांधी-नेहरू से घृणा का दूसरा नाम है. जिनके वैचारिक पूर्वज ख़ुद को बचाते हुए अपने अनुयाइयों को भगत सिंह से दूर रहने की सलाह देते हुए दिन गुज़ारते रहे, उन्होंने अपनी कायर हिंसा को उचित ठहराने के लिए आज भगत सिंह को एक ढाल बना लिया है.
वीडियो: आज़ादी के बाद भारत में ख़ूनखराबे का सिलसिला जारी था. इसके विरोध में गांधीजी ने अपना आख़िरी उपवास 13 जनवरी 1948 को शुरू किया था. इस घटना पर इतिहासकार दिलीप सिमीओन से चर्चा कर रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद.
आज़ादी के बाद दिल्ली में ख़ूनखराबे का सिलसिला जारी था. इसके विरोध में गांधीजी ने 12 जनवरी 1948 को घोषणा की कि वह अगले दिन यानी 13 जनवरी से उपवास शुरू करेंगे.
आपातकाल की चर्चा तब तक पूरी नहीं होती जब तक स्वाधीनता संग्राम सेनानी और प्रसिद्ध समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की चर्चा न की जाए.
अब यह हम पर निर्भर है कि क्या हम ये होने देंगे या अपने दौर के लिए एक नया गांधी रचेंगे.
गांधी गाय को माता मानते हुए भी उसकी रक्षा के लिए इंसान को मारने से इनकार करते हैं. उनके ही देश में गोरक्षकों ने पीट-पीट कर मारने का आंदोलन चला रखा है.
आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं होगी.
जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी ने गाय और गोरक्षा के नाम पर क़ानून हाथ में न लेने की अपील की थी, उसी दिन झारखंड में एक व्यक्ति को गोमांस ले जाने के संदेह में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था.
जिस दिन प्रधानमंत्री ने बयान दिया कि गाय और गोरक्षा के नाम पर किसी को क़ानून हाथ में लेने का हक़ नहीं है, उसी दिन झारखंड में एक और व्यक्ति की गाय के नाम पर हत्या कर दी गई.
अहमदाबाद में साबरमती आश्रम के शताब्दी वर्ष समारोह में बोलते हुए मोदी ने कहा कि गाय के नाम पर किसी भी इंसान को क़ानून हाथ में लेने का हक़ नहीं है.
वह कैसी सोच है जिसे पूरी दुनिया में केवल एक गाय ही रक्षा करने योग्य लगती है. सड़क के किनारे सोया थका-हारा मज़दूर नहीं, पुल के नीचे मिट्टी में पलते दुर्बल बच्चे नहीं, अस्पतालों के बाहर बैठे रोगी नहीं.
इतिहासकार सुधीर चंद्र ने अपनी किताब ‘गांधी: एक असंभव संभावना ‘में गांधी के विचारों पर विस्तार से प्रकाश डाला है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और उनके विचार पर इतिहासकार और ‘गांधी एक असंभव संभावना’ के लेखक सुधीर चंद्र से अजय आशीर्वाद की बातचीत.