प्रवासी मज़दूरों के घर लौटने के प्रयासों के बीच बिहार और उत्तर प्रदेश के 1.09 लाख प्रवासियों ने अपने गृह राज्यों से वापस लौटने के लिए हरियाणा सरकार के वेब पोर्टल पर आवेदन किया है.
पत्र के अनुसार, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और पंजाब ने फैक्ट्री अधिनियम में संशोधन के बिना काम की अवधि को आठ घंटे प्रतिदिन से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है. इससे मजदूरों के मौलिक अधिकार को लेकर गंभीर ख़तरा पैदा हो रहा है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रह रहे मज़दूर 750 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के बेमेतरा ज़िले के रहने वाले थे. लॉकडाउन की वजह से बेरोज़गार हो गए थे.
मृतक पंकज कुलश्रेष्ठ दैनिक जागरण अखबार में लंबे समय से उप-समाचार संपादक पद पर कार्यरत थे. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी सरकार को जान गंवाने वाले पत्रकार के परिवार के लिए आर्थिक सहायता और सभी पत्रकारों के लिए बीमा कवर की घोषणा करने की मांग की है.
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के रहने वाले राजू अंकलेश्वर के एक पावर प्लांट में काम करते थे. सोमवार को वे किसी को बिना बताए साइकिल से अपने गांव जाने के लिए निकले थे, इसी शाम उनका शव नेशनल हाईवे पर मिला.
रिज़वाना द वायर समेत विभिन्न मीडिया वेबसाइट के लिए काम किया करती थीं. उनके द्वारा लिखे एक नोट के आधार पर उनके पिता ने शमीम नोमानी नाम के शख़्स के ख़िलाफ़ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज करवाया है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि मिस्र में बीते चार साल से मीडिया घरानों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है, असंतुष्ट आवाजों को इस हद तक दबाया जा रहा है कि वहां पत्रकार होना एक अपराध बन गया है.
साल 2015 से डॉयचे वेले द्वारा यह सालाना सम्मान मीडिया के क्षेत्र में मानवाधिकार और बोलने की आज़ादी के प्रति प्रतिबद्धता से काम करने के लिए दिया जाता रहा है. इस बार यह विश्व भर के उन पत्रकारों को दिया जा रहा है, जिन्होंने कोरोना संकट के दौरान उनके देशों में सत्ता द्वारा उत्पीड़न और कार्रवाई का सामना किया है.
गोरखपुर ज़िले के भटहट क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले राजेंद्र और धर्मेंद्र निषाद हैदराबाद में काम करते थे, जहां लॉकडाउन के दौरान राजेंद्र की तबियत बिगड़ी और डॉक्टरों ने जवाब दे दिया. गांव की ज़मीन गिरवी रख और क़र्ज़ लेकर किसी तरह उन्हें घर लाया जा रहा था, जब उन्होंने गांव के रास्ते में दम तोड़ दिया.
महाराष्ट्र के भिवंडी से उत्तर प्रदेश के महराजगंज ज़िले स्थित अपने घर पहुंचने के लिए साइकिल से निकले एक अन्य प्रवासी कामगार की मौत मध्य प्रदेश के बड़वानी में हो गई है.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के महराजगंज के सात मज़दूर काम करने हैदराबाद गए थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में उन्होंने थोड़ी-बहुत जमापूंजी से साइकिल खरीदी और घर की ओर निकल पड़े.
पेशे से मिस्री इंसाफ़ अली 1500 किलोमीटर पैदल चलकर 27 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में अपने गांव पहुंचे थे. उनकी पत्नी का आरोप है कि अब गांववाले उनका बहिष्कार कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें संदेह है कि मैं कोरोना संक्रमित हूं.
उत्तर प्रदेश और बिहार के 34 मज़दूर कर्नाटक के शिमोगा ज़िले में फंसे हैं. बालू खनन का काम करने वहां गए मज़दूरों का कहना है कि जो थोड़े-बहुत पैसे थे, वो अब तक के लॉकडाउन के दौरान ख़त्म हो चुके हैं. अब अगर यहां से नहीं निकाला गया तो भुखमरी जान ले लेगी.
यह घटना बुलंदशहर के पगोना गांव की है. आरोप है कि मंदिर से पुजारियों का चिमटा चुराए जाने पर हुए विवाद के बाद आरोपी ने तलवार से दोनों की हत्या कर दी.
उत्तर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि पार्टी ऐसे बयानों का समर्थन नहीं करती है. पार्टी इस मामले का संज्ञान लेगी और बरहज से विधायक सुरेश तिवारी से पूछेगी कि उन्होंने किन परिस्थितियों में ऐसी टिप्पणी की.