केंद्र के तीन विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारी किसानों किसानों से कहा है कि वे मास्क पहनें और कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करें. मोर्चा ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि चुनावी रैलियों में वह कोरोना वायरस को नज़रअंदाज़ कर रही है.
भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी की ओर से जारी बयान में राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार के साथ बातचीत वहीं से बहाल होगी, जहां 22 जनवरी को ख़त्म हुई थी. मांग भी वहीं हैं कि तीनों काले क़ानूनों को निरस्त किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए नया क़ानून बनाया जाए.
एक्सक्लूसिव: जिस समय किसान आंदोलन शुरू हुआ, तब वित्त मंत्रालय ने कृषि से जुड़ी खाद्य सुरक्षा मिशन, सिंचाई, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट घटाने को कहा था. व्यय विभाग ने राज्यों को दालें वितरित करने वाली योजना को कृषि मंत्रालय के बजट में शामिल करने पर सवाल उठाए थे.
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान बहुत से प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर चलाते हुए लाल किले तक पहुंच गए थे और वहां एक धार्मिक झंडा लगा दिया था. आरोप है कि ऐसा करने के लिए पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू ने उकसाया था.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले दो महीनों के लिए अपनी योजनाओं की घोषणा की. किसान नेताओं ने 10 अप्रैल को 24 घंटे के लिए कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध करने की बात कही है. आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है, उनके सम्मान में छह मई को कार्यक्रम होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 11 जनवरी को तीन नए विवादास्पद कृषि क़ानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेशों तक रोक लगा दी थी और गतिरोध का समाधान करने के लिए चार सदस्यीय समिति नियुक्त की थी. हालांकि किसानों के विरोध और समिति को सरकार समर्थन बताने के बाद एक सदस्य ने समिति से ख़ुद को अलग कर लिया था.
केंद्र के नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा से जुड़े मामले में एक शख़्स को ज़मानत देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि उस समय आरोपी की मौजूदगी और लाल क़िले की दीवार पर चढ़ जाने के आधार पर उसकी हिरासत को सही नहीं ठहरा सकते.
वीडियो: सिंघू बॉर्डर पर नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान विरोध शुरू हुए चार महीने पूरे हो गए. सिंघू बॉर्डर पर छात्र, बुज़ुर्ग और महिलाएं लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. इनका कहना है कि जब तक कृषि क़ानून वापस नहीं होंगे, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा. मोनिका ग्यामलानी और चिन्मय ग्यामलानी की रिपोर्ट.
तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली के सिंघू, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर जारी प्रदर्शन के चार महीने पूरे होने पर सुबह छह बजे से लेकर शाम छह बजे तक बंद का आह्वान किया था.
वीडियो: नवकिरण ने मेडिकल की पढ़ाई करके एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में डेंटिस्ट के तौर पर कई सालों तक काम किया है. नवकिरण अब कृषि क़ानून के विरोध में दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहे आंदोलन का हिस्सा हैं. वे किसान आंदोलन को समर्पित अख़बार ट्रॉली टाइम्स के संपादकीय समूह में भी शामिल हैं.
खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने सरकार से विवादित कृषि क़ानूनों में से एक आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को लागू करने की सिफ़ारिश की है. इस समिति में भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, एनसीपी और शिवसेना सहित 13 दलों के सदस्य शामिल हैं.
खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने सरकार से विवादित कृषि क़ानूनों में से एक आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को लागू करने की सिफ़ारिश की है. इस समिति में दोनों सदनों से भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, एनसीपी और शिवसेना सहित 13 दलों के सदस्य शामिल हैं.
खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने सरकार से विवादित कृषि क़ानूनों में से एक आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को लागू करने के लिए कहा है. इस समिति में दोनों सदनों से भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, एनसीपी और शिवसेना सहित 13 दलों के सदस्य शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य और पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी क़ानून बना देना चाहिए और इस मूल्य पर ख़रीद न होने को संज्ञेय अपराध घोषित कर देना चाहिए.
संयुक्त किसान मोर्चा ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीनों नए कृषि क़ानूनों से ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे किसानों और अन्य लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के घोषणा-पत्र का उल्लंघन हुआ है, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर कर रखे हैं.