सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हालिया कार्रवाई के ख़िलाफ़ जो जनाक्रोश उभरा है उसमें ‘नक्सल’ शब्द और इसके पीछे के ठोस ऐतिहासिक संदर्भों को बार-बार सामने रखना ज़रूरी है ताकि यह शब्द महज़ एक आपराधिक प्रवृत्ति के तौर पर ही न देखा जाए बल्कि इसके पीछे मौजूद सरकारों की मंशा भी उजागर होती रहे.
दलितों और पिछड़ों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार कर, उन पर ‘माओवादी’ का लेबल लगाकर सरकार दलित महत्वकांक्षाओं का अपमान करती है, साथ ही दूसरी ओर दलित मुद्दों के प्रति संवेदनशील दिखने का स्वांग भी रचती है.
वीडियो: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से हुई सामाजिक कार्यकताओं की गिरफ्तारी पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
जैसे-जैसे 2019 आम चुनाव क़रीब आ रहे हैं, एक नई कहानी को बढ़ावा दिया जा रहा है- कि दुश्मन देश के अंदर ही हैं और ये न केवल सरकार और उसकी नीतियों, बल्कि देश के ही ख़िलाफ़ हैं.
जन गण मन की बात की 296वीं कड़ी में विनोद दुआ नोटबंदी पर आरबीआई की हालिया रिपोर्ट और भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं पर चर्चा कर रहे हैं.
अदालत ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के करीब नौ महीने बाद हुई गिरफ़्तारियों पर महाराष्ट्र पुलिस से सवाल करते हुए गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक जेल न भेजते घर में ही नज़रबंद रखने का आदेश दिया है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महाराष्ट्र के पुलिस प्रमुख को भी नोटिस जारी किया है. आयोग ने कहा है कि प्रतीत होता है कि पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी में नियमों का ठीक तरीके से पालन नहीं किया गया है. वहीं, गौतम नवलखा को महाराष्ट्र पुलिस ने दस्तावेजों की अनूदित प्रति उपलब्ध करा दी है.
महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को देश के विभिन्न हिस्सों से कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया और कइयों के घरों पर छापेमारी की. इन सभी का सामाजिक आंदोलनों और मानवधिकार से जुड़े रहने का इतिहास रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका पर बुधवार को ही सुनवाई करने का अनुरोध किया गया था. न्यायालय दोपहर पौने चार बजे सुनवाई करेगा. वहीं, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दोपहर सवा दो बजे दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.
पुलिस और कुछ टेलीविजन चैनलों के आपसी मिलीभगत से जिस तरह से वर्तमान समय में एक बड़े और लगातार विकसित हो रहे ‘अर्बन नक्सल’ (शहरी माओवादी) के नेटवर्क के प्रेत को खड़ा किया जा रहा है, उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि हम फासीवाद की तरफ काफी तेजी से छलांग लगा रहे हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और ऑक्सफेम इंडिया की प्रतिक्रिया पुणे पुलिस द्वारा भीमा-कोरेगांव घटना के संबंध में कई मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा पत्रकारों पर की कार्रवाई के बाद आई है.
जन गण मन की बात की 295वीं कड़ी में विनोद दुआ भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं और राहुल गांधी के 1984 के दंगों को लेकर दिए गए बयान पर चर्चा कर रहे हैं.
पुलिस का दावा है कि भीमा कोरेगांव हिंसा से एक दिन पहले हुए एल्गार परिषद कार्यक्रम में हुए भाषणों से हिंसा भड़की थी, जिसमें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था. मंगलवार सुबह से देश के विभिन्न शहरों में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों पर पुलिस ने छापे मारे हैं.
साक्षात्कार: यलगार परिषद के सुधीर धवले की गिरफ़्तारी के साथ दलित समाज के प्रति भाजपा और मीडिया के रवैये पर भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर से प्रशांत कनौजिया की बातचीत.
भीमा कोरेगांव हिंसा के पीछे बताए जा रहे कथित नक्सल कनेक्शन के चलते ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) क़ानून के तहत गिरफ़्तार किए गए पांचों लोगों के प्रति पुलिस और प्रशासन का यह रवैया नया नहीं है.