केंद्र सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, देश भर में 183 ज़िलों में 100 से कम आइसोलेशन बेड हैं और इनमें से 67 ज़िलों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आए हैं. सबसे ख़राब स्थिति उत्तर प्रदेश, बिहार और असम की है.
मामला कर्नाटक के बेंगलुरु का है. अस्पताल के मुताबिक, शुक्रवार को व्यक्ति को श्वसन संबंधी शिकायतों के साथ अस्पताल में भर्ती किया गया था.
कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित देश अमेरिका में क़रीब 55 हज़ार लोगों की मौत. सिंगापुर में भारतीयों सहित विदेशी कामगार सबसे अधिक प्रभावित. मेक्सिको ने तीन हज़ार से अधिक शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजा. जापान ने अब तक 70 से अधिक देशों से आने वाले लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया.
इस किट को लेकर कई राज्यों ने आपत्ति जताई है और गलत परिणाम आने के कारण इस पर रोक लगा दी है.
आगरा के जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने कहा कि यह कुछ दिन पहले की घटना है और अब सब कुछ ठीक है. अतिरिक्त मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि भोजन वितरित करने में थोड़ी देरी हुई जिसके कारण क्वारंटाइन सेंटर में रहने वाले लोग कुछ बेचैन हो गए.
देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में सड़क किनारे या झुग्गी-बस्तियों में ज़िंदगी बिता रहे लोगों की मुश्किलें भी बढ़ गईं. हरियाणा के नूंह ज़िले के कुछ ऐसे ही मेहनतक़श परिवार केवल समाज के रहम पर दिन गुज़ार रहे हैं.
मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचने के बाद केंद्र सरकार ने कहा है कि वे पता लगाएंगे कि भारतीय नागरिकों के शव कहां और किस हालत में हैं.
विश्व में कई स्थानों पर लॉकडाउन में राहत, हालांकि विशेषज्ञ ढील देने के पक्ष में नहीं. चीन के स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि पिछले 10 दिनों से देश में कोई मौत नहीं हुई. जर्मनी में लोगों ने लॉकडाउन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया. व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण की कमी को लेकर पाकिस्तान के चिकित्साकर्मियों का विरोध नौ दिन से जारी.
उत्तर प्रदेश के आगरा के मेयर नवीन जैन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में कहा है कि हॉट स्पाट एरिया में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों में कई-कई दिनों तक जांच नहीं हो पा रही. न ही मरीजों के लिए भोजन पानी का उचित प्रबंध हो पा रहा है.
वीडियो: कोरोना वायरस के समय में राजधानी दिल्ली के एम्स में अपना इलाज करे रहे दूसरी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीज़ों का हाल.
इस वायरस ने इस दुनिया को पूरी तरह से छिन्न-भिन्न कर डाला है. इसने हमारे समय की उन नाइंसाफ़ियों से रूबरू करवाया है, जो हमारी अर्थव्यवस्था और राजनीति की बेमिसाल क्रूरता दर्शाती हैं.
इंटरनेट पर ट्रोल्स की तादाद इतनी हो चुकी है कि लगता नहीं कि वे जल्दी यहां से जाने वाले हैं. लेकिन अगर उनकी चरित्रगत ग्रंथियां, उनके तरीके और तकनीकें समझ लें, तो अपनी मानसिक शांति और संतुलन खोए बिना उनके उत्पात और हमलों का सामना कर पाएंगे.
केंद्रीय गृह मंत्रालय का यह आकलन ऐसे समय में सामने आया है, जब अहमदाबाद नगर निगम ने कहा कि यदि मामलों के दुगुनी होने की मौजूदा दर जारी रहती है, तो शहर में कोविड-19 के मरीजों की संख्या मई के अंत तक बढ़ कर आठ लाख हो सकती है.
हम वो देश हैं जो जुगाड़ पर नाज़ करता है, 5000 साल पहले की तथाकथित उपलब्धियों के ख्वाबों की दुनिया में रहता है. उससे यह उम्मीद करना बेमानी है कि वह व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में इतनी मेहनत करेगा कि वे बिना किसी रुकावट के और सक्षम तरीके से काम कर सकें.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय चयन समिति ने फरवरी में राष्ट्रपति के सचिव संजय कोठारी के नाम की अनुशंसा की थी. उस समय कांग्रेस ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति के लिए अपनाई प्रक्रिया को ‘गैरकानूनी और असंवैधानिक’ बताया था और फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की थी.