प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री और सीएसडीएस के संस्थापक सदस्यों में से एक रामाश्रय राय के लेखन में सैद्धांतिक गहराई और व्यावहारिक समझ का अनूठा संगम देखने को मिलता है. एक ओर वे समकालीन विचारकों से संवाद करते हैं, वहीं दूसरी ओर पाठकों को भारतीय राजनीति की ज़मीनी हक़ीक़त से भी रूबरू कराते चलते हैं.
मध्य प्रदेश सरकार राज्य में विधान परिषद बनाना चाहती है, जिसके लिए उसका तर्क है कि इससे चुनावी राजनीति से दूर रहने वाले विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों को प्रतिनिधित्व मिलेगा. वहीं विपक्षी भाजपा सहित एक तबका इसे जनता के पैसे की फ़िज़ूलख़र्ची और पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को स्थापित करने का हथकंडा बता रहा है.
2014 के पहले तक ‘राजनीतिक बहुमत’ और ‘सांप्रदायिक बहुमत’ के बीच की खाई औपचारिक रूप से बनी रही. ज़मीन पर जो भी हालात रहे हों लेकिन चुनाव एक भ्रम पैदा करने वाले एक मुखौटे के रूप में काम करते रहे. लेकिन केंद्र में भाजपा के आने के बाद यह मुखौटा भी उतर गया.