काश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बातें बनाने के बजाय समझते कि आंदोलन तो होते ही सत्ताओं की निरंकुशता पर लगाम लगाने के लिए हैं और उन्हें ख़त्म करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि ख़ुद पर उनका अंकुश हमेशा महसूस किया जाता रहे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि कुछ समय से देश में एक नई जमात पैदा हुई है, आंदोलनजीवी. वकीलों, छात्रों, मज़दूरों के आंदोलन में नज़र आएंगे, कभी पर्दे के पीछे, कभी आगे. ये पूरी टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते और आंदोलन से जीने के लिए रास्ते ढूंढते रहते हैं.
भोपाल में मध्य प्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा के एक वर्षीय अभिनय प्रशिक्षण कोर्स के 2019-20 सत्र के विद्यार्थी बीते दो सप्ताह से अधिक समय से प्रबंधन के ख़िलाफ़ आंदोलनरत हैं. उनका कहना है कि कोरोना के चलते उनके बैच को प्रमोशन देकर नया सत्र शुरू किया जा रहा है जबकि उनका प्रशिक्षण अभी तक पूरा नहीं हुआ है.
सुरक्षा का हवाला देकर जामिया प्रबंधन ने छात्राओं के हॉस्टल बंद होने की समयसीमा रात 10:30 बजे से घटाकर नौ बजे की. इस नियम के ख़िलाफ़ प्रदर्शन पर भी लगाया प्रतिबंध.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में समाजवादी छात्र सभा ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सांस्कृतिक सचिव और उपमंत्री का पद जीता, एबीवीपी की केवल एक पद पर जीत.
‘छात्र और शिक्षक का रिश्ता बल प्रयोग का नहीं होता. यह नैतिक बल का रिश्ता होता है. नैतिक बल का पतन हो गया है तो प्रोफेसर को पुलिस बुलानी पड़ रही है.’
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हॉस्टल खाली करवाने के विरोध में छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन उग्र रूप ले चुका है.
छात्रों का कहना है कि विवि प्रशासन अपनी नाकामी छुपाने के लिए अवैध छात्रों के बहाने वैध रूप से रह रहे आठ हज़ार छात्रों को प्रताड़ित कर रहा है.