वीडियो: हाल ही में एक किताब आई है, ‘कौन हैं भारत माता’. इसमें पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिखे गए लेखों और खुद उन पर लिखे गए लेखों संकलन किया गया है. इस किताब के संपादक साहित्यकार पुरुषोत्तम अग्रवाल हैं. उनसे ख़ास बातचीत.
पुस्तक अंश: अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद में वर्ष 1949 में मूर्ति रखने के बाद की घटनाएं यह प्रमाणित करती हैं कि कम-से-कम फ़ैज़ाबाद के तत्कालीन ज़िलाधीश केकेके नायर तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत यदि मूर्ति स्थापित करने के षड्यंत्र में शामिल न भी रहे हों, तब भी मूर्ति को हटाने में उनकी दिलचस्पी नहीं थी.
पुस्तक अंश: फ़ैज़ाबाद में 1948 में हुए उपचुनाव में समाजवादी नेता आचार्य नरेंद्र देव मैदान में थे. कांग्रेस ने उनके ख़िलाफ़ देवरिया के बाबा राघव दास को अपना प्रत्याशी बनाया. चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने कहा था कि आचार्य नरेंद्र की विद्वत्ता का लोहा भले दुनिया मानती है, लेकिन वे नास्तिक हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या ऐसे व्यक्ति को कैसे स्वीकार कर पाएगी?
अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में एक रैली को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर का भारत में ‘एकीकरण नहीं करने’ को लेकर नेहरू की आलोचना की.
वीडियो: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले पर जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष भटनागर से विशाल जायसवाल की बातचीत.
लोकसभा चुनाव के नतीजे आ जाने के बाद देश में दिलचस्प बहस शुरू हो गई है कि कांग्रेस का क्या हो. कुछ लोग पार्टी की समाप्ति चाहते हैं. कई दूसरे लोग राहुल गांधी को उसके अध्यक्ष पद से हटाना चाहते हैं.
नरेंद्र मोदी को वोट देने वालों की सोच यह नहीं है कि वह अपने किए गए वादों को पूरा करेंगे या नहीं, बल्कि उन्होंने मोदी को इसलिए वोट किया क्योंकि उन्हें उनमें अपना ही अक्स दिखाई देता है.
चुनावी बातें: तीसरी लोकसभा के कार्यकाल के दौरान देश ने अपने पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान के आक्रमणों का मुक़ाबला किया और अपने दो प्रधानमंत्रियों को गंवाया.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर राज्य के लिए अलग प्रधानमंत्री की उनकी मांग को लेकर हमला करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं इन नेताओं को बताना चाहता हूं कि यदि आप ऐसी मांगें जारी रखते हैं, तो हमारे पास संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.
भारतीय राजनीति में करिश्माई नेतृत्व ने कई करिश्मे दिखाए हैं, लेकिन किसी भी दौर में करिश्मे के मुकाबले ज़मीनी समीकरण और समुदायों की गोलबंदियां ज्यादा प्रभावी रही हैं. फिलहाल कांग्रेस कम से कम यूपी में तो इन दोनों मोर्चों पर पिछड़ती नज़र आ रही है.
अगर प्रियंका का प्रदर्शन अच्छा रहा, तो वे लंबी पारी खेलने के लिए राजनीति में रह सकती हैं. अगर नतीजे इसके उलट रहें, तो उनकी नियति ‘बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले’ वाली हो सकती है.
हम भी भारत की 56वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी मोदी के भारत में नेहरू के महत्व पर इतिहासकार सैयद इरफ़ान हबीब और वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी से चर्चा कर रही हैं.
प्रधानमंत्री इसीलिए आज के ज्वलंत सवालों के जवाब देना भूल जा रहे हैं क्योंकि वे इन दिनों नायकों के नाम, जन्मदिन और उनके दो-चार काम याद करने में लगे हैं. मेरी राय में उन्हें एक मनोहर पोथी लिखनी चाहिए, जो बस अड्डे से लेकर हवाई अड्डे पर बिके. इस किताब का नाम मोदी-मनोहर पोथी हो.
जयंती विशेष: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के सातवें और अब तक के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ अपने आत्मीय रिश्ते को याद करते हुए एक बार बताया था कि कैसे राजीव ने उनकी जान बचाई थी.
जनता से सलाह मांगना एक अच्छा विचार है, लेकिन प्रधानमंत्री को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में क्या बोलना है, इसके लिए जनता से सलाह मांगना, 15 अगस्त के भाषण के गंभीर काम को लोकप्रिय फरमाइशी कार्यक्रम में तब्दील कर देता है.