दो पत्रकारों की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से धारा 124-ए को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया. याचिका में दावा किया गया कि धारा 124-ए बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन है.
राजद्रोह के मामलों में दोषिसिद्धि की दर काफी कम होने को लेकर राज्यसभा में विपक्ष ने केंद्र सरकार की आलोचना की. गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया कि सरकार ने राजद्रोह सहित आपराधिक क़ानून सुधारों के लिए एक समिति गठित की है और विभिन्न पक्षों से इस संबंध में सुझाव मांगे गए हैं.
लोकसभा में केंद्र सरकार ने एक हालिया जवाब में बताया था कि साल 2016-2019 के बीच यूएपीए के तहत दर्ज मामलों में से केवल 2.2 फीसदी में सज़ा हुई है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश की जेलों में बंद 41.55 फीसदी क़ैदियों ने दसवीं कक्षा से कम तक ही पढ़ाई की है. 6.31 फीसदी क़ैदी ग्रेजुएट और 1.68 प्रतिशत पोस्ट-ग्रेजुएट हैं.
राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की कुल संख्या 1,948 है. उन्होंने बताया कि 2016 से 2019 के दौरान दोषी साबित हुए व्यक्तियों की संख्या 132 है.
गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया कि ओबीसी, एससी और अन्य श्रेणियों के क़ैदियों की अधिकतम संख्या उत्तर प्रदेश की जेलों में है, जबकि मध्य प्रदेश की जेलों में एसटी समुदाय की है. इसके अलावा देशभर की जेलों में कुल क़ैदियों में 95.83 फ़ीसदी पुरुष और 4.16 फ़ीसदी महिलाएं हैं.
गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा को बताया कि 2019 में 76 लोगों के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर किए गए, जबकि 29 लोगों को अदालतों द्वारा बरी कर दिया गया.सर्वाधिक मामले कर्नाटक में दर्ज किए गए.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया कि इंटरनेट का उपयोग बढ़ने के साथ ही साइबर अपराध की संख्या में भी वृद्धि हो रही है. उन्होंने कहा कि देश में होने वाले साइबर अपराध के पीछे जो मंशा रही है, उनमें व्यक्तिगत शत्रुता, धोखाधड़ी, यौन उत्पीड़न, घृणा फैलाना, पायरेसी का विस्तार, सूचनाओं की चोरी आदि शामिल हैं.
गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया कि जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने के बाद 396 लोगों को जन सुरक्षा क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.
दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाकों में हुए दंगों के बाद कई परिवारों के सदस्य गुमशुदा हैं. परिजनों का आरोप है कि पुलिस इसे लेकर एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है और सरकार से भी उन्हें ज़रूरी मदद नहीं मिल रही है.
उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान मुस्तफ़ाबाद इलाके में पीड़ितों की मदद के लिए पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता भी डर से अछूते नहीं थे. एक ऐसे ही कार्यकर्ता की आपबीती.
वीडियो: 23 फरवरी से दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा की आग में अब तक 48 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हैं. मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश इस बारे में द वायर के डिप्टी एडिटर अजय आशीर्वाद, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी और जनचौक वेबसाइट के संवाददाता सुशील मानव से चर्चा कर रहे हैं.
दिल्ली की हिंसा का कोई ‘हिंदू’ या ‘मुस्लिम’ पक्ष नहीं है, बल्कि यह लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की एक घृणित सियासी चाल है. 2002 के दंगों ने भाजपा को गुजरात में अजेय बना दिया. गुजरात मॉडल के इस बेहद अहम पहलू को अब दिल्ली में उतारने की कोशिश ज़ोर-शोर से शुरू हो गई है.
राज्यसभा में गृह मंत्रालय द्वारा बताया गया कि साल 2017 में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम क़ानून (यूएपीए) के तहत सर्वाधिक गिरफ्तारियां उत्तर प्रदेश में हुईं.
केंद्रीय गृहराज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि सरकार ऐसे स्कूल, सिनेमाघरों, मंदिरों और अन्य बंद पड़ी जगहों का एक सर्वे करवाएगी, जो फिलहाल बंद पड़े हुए हैं. उन्हें दोबारा खोलने के बारे में सोचा जा रहा है.