वीडियो: अपने खेत में व्यस्त रहने वाला किसान समय-समय पर अपने लिए हक़ की आवाज़ बुलंद करता रहा है. देश की आज़ादी से पहले की बात हो या आज़ादी के बाद की किसान अपना हक़ हुक्मरानों से मांगते रहे हैं.
केंद्रीय जेल प्रशासन ने इलाहाबाद की एक अदालत के जारी पेशी वॉरंट का हवाला देते हुए फारुकी की रिहाई में शनिवार देर शाम असमर्थता जताई थी. हालांकि देर रात सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने इंदौर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को फोन किया और उन्हें अपलोड किए गए आदेशों के लिए वेबसाइट देखने और उसका अनुपालन करने के लिए कहा.
वीडियो: दिल्ली पुलिस ने स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया को सिंघू बॉर्डर प्रदर्शन स्थल से गिरफ्तार किया था जहां केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर जाकर डिजिटल मीडिया के पत्रकारों से बात की.
वीडियो: 16 अगस्त, 1904 को इलाहाबाद के निकट निहालपुर गांव में जन्मीं सुभद्रा कुमारी चौहान ने महज़ नौ साल की उम्र में अपनी पहली प्रकाशित कविता लिखी थी. वह स्वतंत्रता आंदोलन में भी शामिल रही हैं. स्वतंत्रता से पूर्व स्त्री अधिकारों पर लिखने वाली वह देश की पहली महिला लेखक थीं.
मोहब्बत की ख़ातिर की जा रही इस लड़ाई में यह ज़रूरी है कि इसे जुझारू तरीके से लड़ा जाए और ख़ूबसूरत तरीके से जीता जाए.
पिछले सत्तर दिनों से तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हो रहे किसान आंदोलन का केंद्र बने धरनास्थलों में से एक ग़ाज़ीपर बॉर्डर पर बैरिकेडिंग बढ़ाने के साथ, कंटीले तार और कीलें गाड़ दी गई हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इसका मक़सद दिल्ली और आसपास के इलाकों से आने वाले लोगों को रोकना है.
छत्तीसगढ़ के बस्तर की एकमात्र आदिवासी महिला पत्रकार पुष्पा रोकड़े को 13 दिसंबर 2020 और 28 जनवरी 2021 को जान से मारने की धमकी मिली है. ये धमकियां कथित तौर पर माओवादी दक्षिण बस्तर पामेड एरिया समिति द्वारा दी गई हैं.
केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों के आह्वान पर शनिवार को देश के विभिन्न इलाकों में चक्काजाम किया गया. किसानों ने आंदोलन स्थलों के पास के क्षेत्रों में इंटरनेट पर रोक लगाए जाने, अधिकारियों द्वारा कथित रूप से उन्हें प्रताड़ित किए जाने और अन्य मुद्दों को लेकर देशव्यापी चक्काजाम की घोषणा की थी.
रालोद पार्टी के पूर्व विधायक वीरपाल सिंह राठी ने कहा कि 31 जनवरी को बड़ौत तहसील में एक महापंचायत में शामिल होने से एक दिन पहले उन्हें और छह अन्य लोगों को नोटिस मिला था. महापंचायत में फैसला किया गया था कि क्षेत्र के लोग दिल्ली की सीमाओं पर जारी आंदोलन में शामिल होने के लिए गाजीपुर और सिंघू बॉर्डरों के लिए कूच करेंगे.
लैटरल एंट्री के तहत विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव पद पर तीन और निदेशक स्तर के पदों पर 27 नियुक्तियां होनी हैं. लैटरल एंट्री सरकारी विभागों में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति से संबंधित है. इसके तहत ऐसे लोगों को आवेदन करने योग्य माना गया है, जिन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा पास नहीं की है.
क्या सरकार आंदोलनकारी अन्नदाताओं के इरादों से सचमुच डर गई है और इसीलिए ऐसी सियासत पर उतर आई है, जो अन्नदाताओं के रास्ते में दीवारें उठाकर, कंटीले तार बिछाकर और गिरफ़्तार करके उनसे कह रही है कि आओ वार्ता-वार्ता खेलें?
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि देश के विभिन्न राज्यों में आंदोलनरत किसानों की मौत के बारे में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है. क्या सरकार मृतक किसानों के परिवारों को किसान कल्याण कोष से वित्तीय सहायता प्रदान करेगी? इस प्रश्न का उत्तर तोमर ने ‘नहीं’ में दिया.
पूर्व नौकरशाहों ने एक खुले पत्र में नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के प्रदर्शन के प्रति केंद्र सरकार का रवैये की निंदा की है. उन्होंने 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के समय के घटनाक्रम को लेकर सवाल उठाया कि जब लाल क़िले पर किसानों के एक समूह ने राष्ट्रीय ध्वज के नीचे अपना झंडा फहराया था, तब पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए कुछ भी क्यों नहीं किया था?
ग़ौर करने लायक बात यह है कि नौ महीनों की इस अवधि में पटरियों पर हादसों में इतनी बड़ी तादाद में लोगों की जान तब गई, जब कोविड-19 के प्रकोप के कारण अधिकांश समय लाॅकडाउन था और सीमित संख्या में ट्रेनें चल रही थीं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कहा है कि शांतिपूर्ण एकत्र होने एवं अभिव्यक्ति के अधिकारों की हिफ़ाज़त की जानी चाहिए. यह ज़रूरी है कि सभी के मानवाधिकारों की रक्षा करते हुए न्यायसंगत समाधान तलाशा जाए.