वित्त मंत्रालय ने कहा कि एनपीए में करीब 77 प्रतिशत हिस्सेदारी शीर्ष औद्योगिक घरानों के पास फंसे क़र्ज़ का है.
यूनियन कार्बाइड को औपचारिक रूप से तो ख़त्म मान लिया गया, लेकिन जो ज़हर इस कारखाने ने भोपाल की ज़मीन में बोया, वो अब इस शहर की अगली नस्ल को अपनी चपेट में ले रहा है.
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन की ओर से जारी जीडीपी के तिमाही आंकड़ों को फ़र्ज़ी बताया. स्वामी ने कहा कि पैसे देकर क्रेडिट रेटिंग कंपनियों से कोई भी रिपोर्ट बनवाई जा सकती है.
उपचुनाव परिणाम: जयललिता के निधन से चेन्नई की आरके नगर सीट खाली हो गई थी. अरुणाचल में दोनों सीटों पर भाजपा का कब्ज़ा.
सूचना के अधिकार के तहत रिलायंस एनर्जी का टैक्स बकाया होने की मिली जानकारी. कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने कंपनी बेचने के लेन-देन को जांच होने तक रोके जाने की मांग की.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, मिज़ोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, असम, नगालैंड और मणिपुर के प्रमुख समाचार.
राज्य सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति मिलने के बाद 15 दिसंबर को भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वॉरंट जारी किए गए थे.
बोर्ड ने कहा कि यह बेहद आपत्तिजनक बात है कि केंद्र सरकार ने इस विधेयक का मसौदा तैयार करने से पहले किसी भी मुस्लिम संस्था या किसी भी मुस्लिम विद्वान से कोई राय-मशविरा नहीं किया.
सिविल अदालत के फैसले से इस बात की पुष्टि हो गई कि द वायर द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट जनहित में की गई अभिव्यक्ति की आज़ादी के तहत न्यायसंगत है.
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने भारत में पत्रकारों की हत्या की निंदा करते हुए ऐसी घटनाओं पर चिंता ज़ाहिर की है.
भाजपा विधायकों की बैठक में लिया गया निर्णय. मंडी ज़िले के सेराज से विधायक ठाकुर और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार बने हुए थे.
अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने कहा कि शिक्षित होना और सशक्त होना अलग-अलग बाते हैं. सशक्त व्यक्ति ग़लत मान्यताओं और परंपराओं के ख़िलाफ़ खड़ा होना जानता है.
राजस्थान सरकार द्वारा आवश्यक सेवाएं रखरखाव अधिनियम लागू कर 86 डॉक्टरों को गिरफ्तार किए जाने के बाद राज्य के डॉक्टरों की हड़ताल का एम्स के डॉक्टरों ने समर्थन किया.
थियानमेन चौक नरसंहार के 28 साल से भी ज़्यादा समय बाद यह दस्तावेज़ सार्वजनिक किया गया. यह दस्तावेज़ ब्रिटेन के नेशनल आर्काइव्ज़ में पाया गया.
जयंती विशेष: हिंदी के लोग अब आम तौर पर लेखक और पत्रकार पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी को न याद करते हैं, न ही उनकी पत्रिका ‘विशाल भारत’ को. यहां तक कि उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर भी उन्हें याद नहीं किया जाता.