असहिष्णु आवाज़ों को हमारी ख़ामोशी से ही ताकत मिलती है: गौरी लंकेश

गौरी का अख़बार उनके तेज़तर्रार और तर्कवादी पिता की ही तरह धर्मनिरपेक्षता, दलितों, महिलाओं और समाज में पिछड़े लोगों के अधिकारों के प्रति मुखर रहता था.

झारखंड सरकार गांधी की छवि और जनता का पैसा ईसाईयों के ख़िलाफ़ नफरत फैलाने में इस्तेमाल कर रही है

11 अगस्त को झारखंड के अधिकतर हिंदी अख़बारों में छपे एक सरकारी विज्ञापन में गांधी के नाम से धर्मांतरण के संबंध में वो बातें लिखी गईं, जो उन्होंने कभी कही ही नहीं थीं.

लोगों का भीड़ में बदलना और क़ातिल हो जाना विकास का कैसा मुक़ाम है?

भीड़ को राजनीति और सत्ता मिलकर पैदा करते हैं. उन्हें निर्देशित करते हैं. फिर भीड़ उनके नियंत्रण से भी बाहर निकल जाती है. वह किसी की नहीं सुनती.

क्या नीतीश ने मोदी के 2019 के चुनावी सपने में रंग भरने की शुरुआत कर दी है?

नीतीश मुख्यमंत्री पद के तथाकथित ‘बलिदान’ के कुछ ही घंटों के भीतर भाजपा के समर्थन से फिर उसी कुर्सी पर काबिज़ हो गए, जो प्रदेश की जनता द्वारा दिए गए जनादेश से धोखा करने जैसा है.

इस्तीफ़े के पहले राज्यसभा में मायावती ने क्या कहा?

बसपा प्रमुख मायावती ने यह कहते हुए राज्यसभा से इस्तीफ़ा दे दिया है कि उन्हें दलितों से जुड़े मुद्दे उठाने का समय नहीं दिया जा रहा है. पढ़िए सदन में उनका पूरा भाषण...

संसद में आवाज़ दबाने का आरोप लगाते हुए मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफ़ा दिया

इस्तीफ़े से ठीक पहले संसद में कहा था कि 'मैं जिस समाज से मैं आती हूं उसी की बात सदन में नहीं रख पा रही. मुझे ऐसी सदस्यता नहीं चाहिए. मैं अभी इससे इस्तीफ़ा देती हूं.'

कमज़ोर तबके की आवाज़ नहीं उठा सकती तो सदन में रहने का अधिकार नहीं: मायावती

बसपा प्रमुख मायावती इस्तीफा देने की बात करते हुए सदन से बाहर चली गईं. उनके समर्थन में कांग्रेस सदस्यों ने भी वॉकआउट किया.

‘जबसे मोदीजी प्रधानमंत्री बने हैं, आरएसएस, एबीवीपी और भाजपा वालों को चर्बी चढ़ गई है’

हमारे संविधान का उद्देश्य है देश को सेक्युलर, समाजवादी और लोकतांत्रिक बनाना. लेकिन मनुवादी सोच वाले लोग इसे हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं, हमारा संविधान जिसकी इजाज़त नहीं देता.

हमें गिरफ़्तार करके सरकार आतंक फैलाना चाह रही है ताकि कोई विरोध करने की हिम्मत न कर सके

पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी समेत आठ लोग सोमवार को 'दलित अत्याचार और निदान' विषय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस और गोष्ठी करने जा रहे थे, तभी उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया.

लखनऊ में दलित उत्पीड़न के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने जा रहे 8 लोग गिरफ़्तार, रिहा

इसी प्रदर्शन में 125 किलो का साबुन लेकर शामिल होने आ रहे गुजरात के 45 दलित कार्यकर्ताओं को झांसी स्टेशन पर रविवार शाम पुलिस ने हिरासत में लिया था.

योगी को गुजरात से 125 किलो का साबुन देने आ रहे 45 दलित-आदिवासी हिरासत में लिए गए

गुजरात से दस ज़िलों के दलित-आदिवासी कार्यकर्ता योगी आदित्यनाथ को महात्मा बुद्ध का संदेश देने आ रहे थे, झांसी में यूपी पुलिस ने उन्हें रोक लिया. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सवा क्विंटल का साबुन देने आ रहे 45 गुजराती दलित-आदिवासी कार्यकर्ताओं को यूपी पुलिस ने झांसी में रोककर हिरासत में ले लिया. हिरासत में लिए गए लोगों में दलित और आदिवासी समाज के लोग हैं, जिनमें आठ महिलाएं भी हैं. गुजरात के दस ज़िलों के दलित-आदिवासी सामाजिक

आपातकाल के 42 सालों के बाद एक बार फिर भारत का लोकतंत्र ख़तरे में है

‘एक ऐसी सरकार जो ‘सबका विकास’ के वादे पर सत्ता में आई थी, अब समाज के सबसे कमज़ोर लोगों को सुरक्षा देने को लेकर अनिच्छुक नज़र आ रही है.’

हमारे समाज को आजकल इतना गुस्सा क्यों आ रहा है?

तकनीक के अधकचरे इस्तेमाल ने दरअसल एक अधकचरी पढ़ी-लिखी हिंसा को भी जन्म दिया है. इस हिंसा का शिकार हर वैसा वर्ग और व्यक्ति हो रहा है, जो एक मदमाती सत्ता से सवाल पूछता है.

मीडिया बोल, एपिसोड 03: भारतीय मीडिया में दलित पत्रकार कहां हैं?

मीडिया बोल की तीसरी कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, जेएनयू में समाजशास्त्र के प्रोफेसर विवेक कुमार और वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह के साथ मीडिया में दलित पत्रकारों की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं.