2012 के निर्भया कांड के बाद संविधान संशोधन के द्वारा आईपीसी की धारा 376 (ई) के तहत बार-बार बलात्कार के दोषियों को उम्रक़ैद या मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया था. इस प्रावधान के तहत 2014 में मौत की सज़ा पाने वाले शक्ति मिल्स सामूहिक बलात्कार कांड के तीन दोषियों ने इस धारा की संवैधानिकता को चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को निर्देश दिया कि मृत और मानसिक रूप से अस्वस्थ पीड़ितों की पहचान किसी भी तरह से उजागर नहीं की जा सकती है, चाहे इसमें माता-पिता की सहमति ही क्यों न हों. कोर्ट ने समाचार चैनलों से ऐसे मुद्दे को टीआरपी के लिए सनसनी बनाने से बचने को कहा.
सामूहिक बलात्कार की घटना की पीड़िता ज्योति सिंह (निर्भया) की मां ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा दोषियों को मौत की सजा देने से वह संतुष्ट हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चारों दोषियों को रियायत नहीं दी जा सकती. यह एक जघन्य अपराध था.