26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद से ग़ाज़ीपुर, टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर बैरिकेड और सीमेंट की दीवारों की संख्या बढ़ गई है. तीनों सीमाओं को काफ़ी दूर तक तारों से घेर दिया गया है और टिकरी और ग़ाज़ीपुर में पुलिस ने धरनास्थल तक जाने वाली सड़कों पर लोहे की कीलें भी गाड़ दी हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा ने यह आरोप भी लगाया कि सड़कों पर कीलें व कंटीले तार लगाना, आंतरिक सड़कें बंद कर अवरोधक बढ़ाना, इंटरनेट सेवाएं बंद करना और भाजपा-आरएसएस के कार्यकर्ताओं के माध्यम से प्रदर्शन करवाना सरकार, पुलिस और प्रशासन की ओर से हो रहे नियोजित ‘हमलों’ का हिस्सा हैं.
वरिष्ठ पत्रकार और कृषि मामलों के जानकार पी. साईनाथ ने कहा कि जब कॉरपोरेट की ज़रूरतों के लिए जीएसटी का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है तो किसानों के लिए संसद का विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया जा सकता है, जहां कृषि संकट से समाधान के लिए चर्चा की जा सके.
वीडियो: बीते 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के बाद उत्तर प्रदेश प्रशासन ने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने का आदेश दिया था. हालांकि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की अपील के बाद, यहां किसानों का हुजूम उमड़ पड़ा है.
वीडियो: गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद से अब तक के टीवी चैनलों के कवरेज पर वरिष्ठ पत्रकार हरवीर सिंह और शीतला प्रसाद सिंह से चर्चा कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश.
वीडियो: गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के बाद ग़ाज़ियाबाद प्रशासन ने दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटने का अल्टीमेटम दिया था. हालांकि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत यह कहते हुए डटे रहे कि वह ख़ुदकुशी कर लेंगे, लेकिन आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे.
अकाल तख़्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति हर साल फतेह मार्च का आयोजन निशान साहिब के साथ लाल क़िले में करती है. इसे गलवान घाटी में फहराया जाता है. इस साल गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा निशान साहिब था. इसे खालिस्तान का झंडा कहकर आलोचना करना सही नहीं है.
आंदोलन का केंद्र बने दिल्ली के सिंघू, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बाॅर्डर धरना स्थलों पर इंटरनेट सेवाओं पर यह पाबंदी ऐसे समय में लगाई गई है, जब किसान नेता राकेश टिकैट को धरने से उठाने का पुलिस-प्रशासन का प्रयास विफल हो गया और आंदोलन में एक बार फिर से जान आ गई है. सभी धरना स्थलों पर किसान एक बार फ़िर से भारी संख्या में इकट्ठा होने लगे हैं.
वीडियो: दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर बाॅर्डर पर डटे किसानों का कहना है कि तीनों कृषि क़ानूनों के रद्द होने तक वो पीछे नहीं हटने वाले हैं.
कृषि क़ानूनों के विरोध में दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर बीते दो महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों की प्रदर्शन स्थल को ख़ाली करा रहे कथित तौर पर स्थानीय लोगों के एक समूह के साथ झड़प हुई है, जिसमें एक एसएचओ गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. प्रदर्शनस्थल पर भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं और यहां किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं है.
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के बाद ग़ाज़ियाबाद प्रशासन ने दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटने का अल्टीमेटम दिया था. हालांकि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत यह कहते हुए डटे रहे कि वह ख़ुदकुशी कर लेंगे, लेकिन आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे.
आंदोलन का शाब्दिक अर्थ ही यही है कि वह स्थिरता, जड़ता को तोड़ता है. वह कर्णप्रिय हो, आवश्यक नहीं.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पिछले दो महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया है कि केंद्र की भाजपा सरकार राज्यों की अपनी सरकारों के साथ मिलकर 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा का दोष हमारे संगठन पर मढ़ कर आंदोलन को समाप्त करने का प्रयास कर रही है, जो यह अस्वीकार्य है.
वीडियो: गणतंत्र दिवस के मौके पर केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग पर किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद से द वायर के अजय आशीर्वाद की बातचीत.
वीडियो: गणतंत्र दिवस के मौके पर केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग पर किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर योगेंद्र यादव समेत तमाम किसान नेताओं के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. इस मुद्दे पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.