फोन और इंटरनेट सेवाएं बंद किए जाने के एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद लोगों में निराशा बढ़ती जा रही है. कुछ अधिकारी यह स्वीकार कर रहे हैं कि फोन लाइनों के बंद रहने से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट ने संचार सेवाओं के साथ लगे अन्य प्रतिबंधों को हटाने के संबंध में केंद्र सरकार को तत्काल कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया. पीठ ने हालात में सुधार की उम्मीद करते हुए सुनवाई को 2 हफ्ते के लिए टाल दिया है.
राज्य में फोन और इंटरनेट सेवा बंद होने के चलते रविवार को सीआरपीएफ द्वारा हेल्पलाइन सेवा 'मददगार' शुरू की गई है, जिस पर दो दिनों में 870 से ज़्यादा कॉल आए हैं, जिनमें बड़ी संख्या घाटी में तैनात सुरक्षा बलों के परिजनों की भी है.
बीते हफ्ते कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि जम्मू कश्मीर से हिंसा की कुछ खबरें आई हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पारदर्शी तरीके से इस मामले पर चिंता व्यक्त करनी चाहिए.
वीडियो: अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सरकार द्वारा घाटी में ‘शांति’ के दावे के बीच बीते कुछ दिनों में श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में पैलेट गन से घायल हुए करीब दो दर्जन मरीज भर्ती हुए हैं
रॉयटर्स, बीबीसी, द वाशिंगटन पोस्ट और अल जजीरा जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट्स के मुताबिक जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के खिलाफ हजारों प्रदर्शनकारियों ने विरोध किया. प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए सुरक्षा बलों ने पेलेट गन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया.
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति के आदेश और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को असंवैधानिक, अमान्य एवं निष्प्रभावी घोषित करने का अनुरोध किया है.
ग्राउंड रिपोर्ट: अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सरकार द्वारा घाटी में 'शांति' के दावे के बीच बीते कुछ दिनों में श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में पैलेट गन से घायल हुए करीब दो दर्जन मरीज भर्ती हुए हैं.
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के कई प्रावधान खत्म किए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने का कदम उठाए जाने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की कश्मीर घाटी के शोपियां में कुछ लोगों के साथ बातचीत करते हुए तस्वीर सामने आई है.
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा संबंधी अनुच्छेद 370 के कई प्रावधानों को समाप्त करने के फैसले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि अगर पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल इस फैसले को विश्वासघात बता रहे हैं तो कल्पना कीजिए जम्मू कश्मीर के लाखों आम लोग क्या सोचते होंगे.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने संबंधी राष्ट्रपति का आदेश असंवैधानिक है.
कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला द्वारा दायर याचिका में राज्य की जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन करने और उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को रिहा करने की भी मांग की गई है.