भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े एलगार परिषद मामले में आरोपी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन ने कहा है कि उनके खिलाफ मामला इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के आधार पर तैयार किया गया था, जिसे एनआईए ने कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से बरामद होने का दावा किया था. उन्होंने कहा कि उनके ख़िलाफ़ इकट्ठा किए गए सबूत फ़र्ज़ी हैं और उन्हें प्लांट किया गया है.
जेलें क़ैदियों को उनके अपराध के आधार पर वर्गीकृत कर सकती हैं, लेकिन जेलों, ख़ासतौर पर महिला जेलों में वर्गीकरण सिर्फ अपराधों से तय नहीं होता है. यह सदियों की परंपराओं और अक्सर धर्म द्वारा स्थापित नैतिक लक्ष्मण रेखा लांघने से जुड़ा है. ऐसे में भारतीय महिलाएं जब जेल जाती हैं, तब वे अक्सर जेल के भीतर एक और जेल में दाख़िल होती हैं.
नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन ने अदालत में अंतरिम जमानत याचिका दायर करते हुए कहा था कि वह कई बीमारियों से ग्रसित हैं और इस वजह से उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा अधिक है.