वीडियो: नवकिरण ने मेडिकल की पढ़ाई करके एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में डेंटिस्ट के तौर पर कई सालों तक काम किया है. नवकिरण अब कृषि क़ानून के विरोध में दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहे आंदोलन का हिस्सा हैं. वे किसान आंदोलन को समर्पित अख़बार ट्रॉली टाइम्स के संपादकीय समूह में भी शामिल हैं.
खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने सरकार से विवादित कृषि क़ानूनों में से एक आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को लागू करने के लिए कहा है. इस समिति में दोनों सदनों से भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, एनसीपी और शिवसेना सहित 13 दलों के सदस्य शामिल हैं.
वीडियो: किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर महिलाओं ने आंदोलन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. इन किसान महिलाओं से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के सिकंदरपुर में हुई किसान-मज़दूर महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि 2021 आंदोलन का वर्ष होगा. किसान पूरी ताक़त से लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार है.
वीडियो: किसान आंदोलन के सौ दिन पूरे होने और इसे आगे ले जाने की रणनीति पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत से विशाल जायसवाल की बातचीत.
दो कांग्रेस विधायकों द्वारा उठाए गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने विधानसभा में कहा कि अब तक हरियाणा से मृत प्रदर्शनकारियों के परिजनों को नौकरी और वित्तीय सहायता देने के लिए राज्य सरकार के विचारार्थ कोई प्रस्ताव नहीं है.
ब्रिटिश सांसदों ने किसान आंदोलन- शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार संबंधी चर्चा की, भारत ने नाराज़गी जताई
भारत में तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आंदोलन के बीच ब्रिटिश सांसदों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकार और प्रेस की आज़ादी को लेकर एक लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर वाली ‘ई-याचिका’ पर चर्चा की. भारत ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि इस ‘एकतरफा चर्चा में झूठे दावे’ किए गए.
साक्षात्कार: कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आंदोलन को सौ दिन पूरे हो चुके हैं. 22 जनवरी को केंद्र से आख़िरी बार हुई बातचीत के बाद से जहां किसान नेता आंदोलन को देशव्यापी बनाने के प्रयास में हैं, वहीं सरकार भी अपने पक्ष में समर्थन जुटाने में लगी है. आंदोलन को लेकर भाकियू नेता राकेश टिकैत से बातचीत.
दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के 100 दिन पूरा होने पर खिल भारतीय किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि अगर सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं लेती है तो पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में इसका असर देखने को मिलेगा.
दिल्ली में कृषि क़ानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन की गूंज गुरुवार को पूर्वांचल में भी सुनाई दी, जहां बस्ती ज़िले में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने किसान पंचायत का आयोजन किया और जमकर भाजपा और केंद्र सरकार पर निशाना साधा.
केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर 26 जनवरी को किसान संगठनों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे. इसके बाद सैकड़ों लोगों को गिरफ़्तार किया गया था.
राज्य में ज़िला पंचायत चुनावों से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा से जुड़े किसान नेताओं को किसानों के बीच जाकर कृषि क़ानूनों संबंधी 'भ्रांतियां' दूर करने की ज़िम्मेदारी दी है. हालांकि शामली क्षेत्र में पहुंचे केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान और भाजपा के अन्य नेताओं को किसानों की ख़ासी नाराज़गी झेलनी पड़ी.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, अधिकतर मौतें दिल का दौरा पड़ने, ठंड की वजह से बीमारी और दुर्घटनाओं से हुई हैं. ये आंकड़े 26 नवंबर 2020 से इस साल 20 फरवरी के बीच इकट्ठा किए गए हैं.
अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये दावा बिल्कुल झूठा है कि उनकी सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों के अनुसार किसानों को लाभकारी मूल्य दे रही है. सभा का कहना है कि भले ही भाजपा ने इन सिफ़ारिशों को लागू करने का वादा किया था, लेकिन इसे अमल में लाने के लिए उसकी सरकार ने कुछ नहीं किया.
किसान आंदोलन के प्रमुख संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग के लिए दबाव बनाने को लेकर गुरुवार को चार घंटे के रेल रोको प्रदर्शन का आह्वान किया था. इस दौरान विभिन्न राज्यों में रेलवे स्टेशनों पर प्रदर्शन करते हुए पटरियों को अवरुद्ध कर दिया गया और नारेबाज़ी हुई.