विशेष रिपोर्ट: आंकड़े बताते हैं कि अगर बसपा के साथ गठबंधन हो भी जाता तो भी कांग्रेस को कोई ख़ास फायदा नहीं मिलता.
राजस्थान के अजमेर में हुई सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति करने वाले हिंदू, मुस्लिम, अगड़े-पिछड़े जैसे मुद्दों को लेकर समाज को बांटते हैं. हम लोग वोट बैंक की राजनीति में नहीं, ‘सबका साथ सबका विकास’ में विश्वास रखते हैं.
राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में एक साथ 11 दिसंबर को मतगणना होगी.
चुनाव आयोग लगातार अपनी विश्वसनीयता से खिलवाड़ कर रही है. गुजरात विधानसभा की तारीख़ तय करने के मामले में यही हुआ. यूपी के कैराना में उपचुनाव हो रहे थे, आचार संहिता लागू थी और आयोग ने प्रधानमंत्री को रोड शो करने की अनुमति दी.
जन गण मन की बात की 313वीं कड़ी में विनोद दुआ यौन शोषण के ख़िलाफ़ महिलाओं द्वारा शुरू किए गए 'मीटू' अभियान और राफेल सौदे की सीबीआई जांच पर चर्चा कर रहे हैं.
अनुच्छेद 35ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के मद्देनजर नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने राज्य में निकाय चुनाव का बहिष्कार किया है.
जन गण मन की बात की 310वीं कड़ी में विनोद दुआ अमित शाह द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं को दिए गए भाषण और आधार से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर चर्चा कर रहे हैं.
इतिहासकार इरफ़ान हबीब ने महात्मा गांधी पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि मोदी सरकार ने एक राष्ट्रपिता के रूप में गांधी की विरासत को भुलाते हुए उनके क़द को स्वच्छ भारत मिशन तक सीमित कर दिया है.
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार दक्षिणपंथी नेता संभाजी भिड़े और उनके संगठन शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ छह मामले दर्ज किए गए थे. इसके अलावा भाजपा और शिवसेना नेताओं के ख़िलाफ़ दर्ज मामले भी महाराष्ट्र सरकार द्वारा वापस लिए गए.
रांची में एक कार्यक्रम के दौरान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सवाल उठाया कि क्या शिक्षा और नौकरियों में हमेशा के लिए आरक्षण दे देने से देश में समृद्धि आ जाएगी.
कांग्रेस विधायक और कार्यक्रम का बहिष्कार करने वाले निदेशकों में से एक राजेंद्रसिंह परमार ने कहा कि यह अमूल का कार्यक्रम था लेकिन भाजपा ने उसे राजनीतिक कार्यक्रम बना डाला.
अब तक हमारे लोकतंत्र का इतिहास यही रहा है कि जिसने भी सत्ता के मद में ख़ुद को मतदाताओं से बड़ा समझने की हिमाक़त की, मतदाता उसे सत्ता से बेदख़ल करके ही माने. साफ़ है कि वोट की ऐसी राजनीति से मतदाताओं को नहीं, उन्हें ही डर लगता है जो डराने की राजनीति करते हैं.
अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी का हवाला देकर प्रधानमंत्री मोदी बड़े पूंजीपतियों से अपने करीबी रिश्तों को लेकर हो रही आलोचना को नहीं टाल सकते.
वे सभी लोग जो नए कलेवर में प्रस्तुत संघ को लेकर प्रसन्न हो रहे हैं, उन्हें यह जानना होगा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब संघ इस क़वायद में जुटा है. उन्हें 1977 के अख़बारों को पलट कर देखना चाहिए जब यह बात फैलाई जा रही थी कि संघ अब अपनी कतारों में मुसलमानों को भी शामिल करेगा. लेकिन यह शिगूफ़ा साबित हुआ.
सितंबर 2016 में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और फ्रांस के रक्षा मंत्री के बीच राफेल क़रार पर दस्तख़त हुए थे, उसके ठीक पहले रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने राफेल लड़ाकू विमानों की कीमतों को लेकर सवाल उठाए थे और इसे फाइल में दर्ज किया था.