मोदी सरकार और उनके समर्थक लगातार मीठा-मीठा गप और कड़वा-कड़वा थू की कहावत को चरितार्थ करते नज़र आ रहे हैं. विचार या निष्कर्ष उनके अनुकूल हुए तो उसके सौ खोट भी सिर माथे और प्रतिकूल हुए तो ईमानदार विश्लेषण भी टके सेर.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर दावा किया कि उनके दो साल के शासन में कोई दंगा नहीं हुआ है. हालांकि सरकारी रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ साल 2017 में ही उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की कुल 195 घटनाएं हुई हैं. इस दौरान 44 लोगों की मौत हो गई और 542 लोग घायल हुए.
गृह मंत्रालय ने बताया कि भारत में साल 2004 से 2017 के बीच सांप्रदायिक हिंसा की 10,399 घटनाएं हुईं. इसमें 1,605 लोग मारे गए और 30,723 लोग घायल हुए.
सांप्रदायिक हिंसा की सबसे ज़्यादा घटनाएं उत्तर प्रदेश में हुईं. यहां 2014 से लेकर 2017 तक में 645 मामले सामने आए जिसमें 121 लोग मारे गए. ये आंकड़ा सभी राज्यों में मारे गए लोगों का लगभग 32 प्रतिशत है.
अगर आप केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ट्विटर टाइमलाइन देखेंगे, तो आपको पता नहीं लगेगा कि देश में क्या चल रहा है.
अमेरिकी विदेश मंत्री ने वर्ष 2017 की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वंतत्रता रिपोर्ट जारी की. इसमें कहा गया है कि भारत में साल के पहले छह महीनों में ईसाइयों को प्रताड़ित करने की 410 घटनाएं सामने आईं हैं.
लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने वर्ष 2017 में देश भर में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं का ब्यौरा दिया है.