जहां से गाड़ी शुरू होगी वहां पर राज्य सरकार लोगों को फूड पैकेट्स और पानी मुहैया कराएगी. 12 घंटे से अधिक की यात्रा के लिए रेलवे ट्रेन में एक टाइम का भोजन प्रदान करेगा.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के महराजगंज के सात मज़दूर काम करने हैदराबाद गए थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में उन्होंने थोड़ी-बहुत जमापूंजी से साइकिल खरीदी और घर की ओर निकल पड़े.
रेलवे ने शुक्रवार को छह श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की घोषणा की है. लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य लोगों की वापसी के लिए यह इंतज़ाम किया गया है.
कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन में फंसे लोगों को उनके घर पहुंचाने के लिए चलने वाली यह पहली ट्रेन है. आमतौर पर ट्रेन की एक बोगी में 72 लोग बैठते हैं, लेकिन इसमें सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए 54 लोगों को बैठाया गया है.
कोरोना वायरस के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन से बेरोज़गार हुए ये मज़दूर सरकार द्वारा बसों से राजस्थान के जैसलमेर शहर से मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर लाए गए थे.
गृह मंत्रालय ने कहा कि उसने देश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की है और पाया है कि लॉकडाउन के कारण अब तक बहुत फायदे हुए हैं और चार मई से अनेक जिलों में पर्याप्त राहतें देने के लिए नये दिशानिर्देश जल्द जारी किये जाएंगे.
लॉकडाउन के दौरान अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देने संबंधी गृह मंत्रालय की अधिसूचना को नागरीका एक्सपोर्ट्स और फिक्स पैक्स प्राइवेट लिमिटेड सहित तीन निजी कंपनियों ने चुनौती दी है.
उत्तर प्रदेश और बिहार के 34 मज़दूर कर्नाटक के शिमोगा ज़िले में फंसे हैं. बालू खनन का काम करने वहां गए मज़दूरों का कहना है कि जो थोड़े-बहुत पैसे थे, वो अब तक के लॉकडाउन के दौरान ख़त्म हो चुके हैं. अब अगर यहां से नहीं निकाला गया तो भुखमरी जान ले लेगी.
देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में सड़क किनारे या झुग्गी-बस्तियों में ज़िंदगी बिता रहे लोगों की मुश्किलें भी बढ़ गईं. हरियाणा के नूंह ज़िले के कुछ ऐसे ही मेहनतक़श परिवार केवल समाज के रहम पर दिन गुज़ार रहे हैं.
वीडियो: कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के बीच दिल्ली के भलस्वा डेयरी इलाके में फंसे प्रवासी मज़दूरों को भोजन के लिए बनी लंबी लाइनों में घंटों अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ रहा है.
इस वायरस ने इस दुनिया को पूरी तरह से छिन्न-भिन्न कर डाला है. इसने हमारे समय की उन नाइंसाफ़ियों से रूबरू करवाया है, जो हमारी अर्थव्यवस्था और राजनीति की बेमिसाल क्रूरता दर्शाती हैं.
विश्व बैंक की ‘प्रवासी के नजरिये से कोरोना वायरस संकट’ नामक रिपोर्ट के अनुसार आंतरिक प्रवास की तादाद अंतरराष्ट्रीय प्रवास के मुकाबले करीब ढाई गुना है. विश्व बैंक ने कहा कि सरकारों को नकदी हस्तांतरण तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के जरिए इनकी मदद करनी चाहिए.
देशव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाए जाने के बाद एक स्वैच्छिक समूह वर्कर्स एक्शन नेटवर्क (स्वान) ने एक रिपोर्ट जारी की है जो कि इस दौरान शहरों में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों के भूख के संकट और आर्थिक बदहाली को दिखाती है.
ट्रेन सेवा बहाल किए जाने की कथित ख़बर को लेकर बीते मंगलवार को मुंबई के बांद्रा बस डिपो पर घर जाने के लिए प्रवासी मज़दूर जुट गए थे. इस संबंध में मुंबई पुलिस ने दो अन्य एफआईआर भी दर्ज की है और एक युवक को गिरफ़्तार किया है.
बीते मंगलवार को कोरोना वायरस के चलते लागू देशव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा के बाद हज़ारों की संख्या में प्रवासी मज़दूर घर जाने की मांग को लेकर मुंबई के बांद्रा इलाके में सड़क जमा हो गए थे. सूरत में ही बीते 10 अप्रैल को इसी मांग के साथ मजदूरों ने हंगामा किया था.