नई शिक्षा नीति में नया क्या है

सरकार द्वारा हाल ही में लाई गई नई शिक्षा नीति को लेकर विशेषज्ञों एवं शिक्षाविदों की विभिन्न राय है. कुछ लोग जहां इसे प्रगतिशील दस्तावेज़ बता रहे हैं, वहीं कुछ का मानना है कि यह हाशिये पर पड़े लोगों एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों, एससी/एसटी, ओबीसी जैसे वर्ग को कोई ख़ास राहत प्रदान नहीं करती है.

नई शिक्षा नीति में मध्याह्न भोजन के साथ स्कूली बच्चों को सुबह नाश्ता देने का प्रस्ताव

नई शिक्षा नीति में प्रस्ताव किया गया है कि मध्याह्न भोजन के दायरे का विस्तार कर उसमें नाश्ते का प्रावधान जोड़ा जाए. सुबह के समय पोषक नाश्ता मिलना अधिक मेहनत वाले विषयों की पढ़ाई में लाभकर हो सकता है.

मिड-डे मील: मिज़ोरम में सिर्फ़ चावल मिला, बच्चों को अब भी खाना पकाने की राशि का इंतज़ार

द वायर द्वारा ​सूचना के अधिकार क़ानून के तहत प्राप्त दस्तावेज़ों से पता चला है कि मिज़ोरम में लॉकडाउन के दौरान मार्च-अप्रैल में बंद हुए स्कूलों के हर तीन में से लगभग एक बच्चे को मिड-डे मील के तहत पका हुआ भोजन या इसके एवज में राशन और खाना पकाने की राशि नहीं मिली है.

बिहार: मिड-डे मील न मिलने से कबाड़ बीनने को मजबूर बच्चे, एनएचआरसी ने नोटिस जारी किया

बिहार के भागलपुर ज़िले में मिड-डे मील बंद होने के कारण ग़रीब परिवार से आने वाले बच्चों के कूड़ा बीनने और भीख मांगने के साथ ठेकेदारों के पास काम करने का मामला सामने आया है.

दिल्ली सरकार ने अप्रैल से जून तक किसी बच्चे को मिड-डे मील योजना का लाभ नहीं दिया: आरटीआई

आरटीआई दस्तावेज़ों से पता चला है कि दिल्ली सरकार ने मार्च महीने में मिड-डे मील के तहत पके हुए भोजन के बदले में छात्रों के खाते में कुछ राशि डाली है, लेकिन ये भोजन पकाने के लिए निर्धारित राशि से भी कम है. इसके अलावा ये धनराशि भी सभी पात्र लाभार्थियों को नहीं दी गई है.

लॉकडाउन: त्रिपुरा सरकार ने चार लाख से ज़्यादा बच्चों को मिड-डे मील का खाद्यान्न तक नहीं दिया

कोरोना वायरस महामारी के कारण स्कूल बंद होने की अवधि में त्रिपुरा की भाजपा सरकार ने मिड-डे मील के एवज में छात्रों के खाते में कुछ राशि ट्रांसफर करने का आदेश दिया था, जो कि सिर्फ़ खाना पकाने के लिए निर्धारित राशि से भी कम है.

कोरोना: उत्तराखंड में हर पांच में से एक बच्चे को मिड-डे मील के तहत खाद्यान्न नहीं मिला

द वायर द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि उत्तराखंड राज्य ने अप्रैल और मई महीने में लगभग 1.38 लाख बच्चों को मिड-डे मील मुहैया नहीं कराया है. राज्य ने इस दौरान 66 कार्य दिवसों में से 48 कार्य दिवसों पर ही बच्चों को राशन दिया.