ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में यहूदियों के उपासना स्थल के पास छह जगहों पर गोलीबारी की गई. इससे पहले फ्रांस में नीस शहर के नॉट्रे डैम चर्च में तीन लोगों की और एक शिक्षक की हत्या कर दी गई थी.
जो लोग जेएनयू गेट पर लाठियां लेकर खड़े थे और भीतर जो लोग लाठियां लेकर शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की लिंचिंग पर उतारू थे, उनकी मंशा को समझना क्या इतना मुश्किल है?
प्रेमचंद लिखते हैं, ‘राष्ट्रीयता वर्तमान युग का कोढ़ है, उसी तरह जैसे मध्यकालीन युग का कोढ़ सांप्रदायिकता थी.’
भारत में सब हत्या करने वाली भीड़ को ही दोष दे रहे हैं. कोई नहीं जांच करता कि बिना आदेश के जो भीड़ बन जाती है उसमें शामिल लोगों का दिमाग़ किस ज़हर से भरा हुआ है.
भारतीय सिनेमा में यहूदियों केे योगदान पर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाले फिल्मकार डैनी बेन मोशे से बातचीत.