राजस्थान के सूचना आयोग ने सूचना अधिकार कानून के तहत सूचना मुहैया कराने में लापरवाही बरतने वाले अजमेर नगर निगम के आयुक्त पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. सूचना आयोग के निर्देशों की अवहेलना करने पर कोटा जिले में रामगंज मंडी के खनिज अभियंता पर भी 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
सतर्क नागरिक संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक 11 सूचना आयोगों की वेबसाइट पर लॉकडाउन में कामकाज के संबंध में कोई भी नोटिफिकेशन उपलब्ध नहीं था. बिहार, मध्य प्रदेश और नगालैंड राज्य सूचना आयोगों की वेबसाइट ही काम नहीं कर रही थी.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव के टेलिफोनिक सर्वे में ये जानकारी सामने आई है कि देश के अधिकतर सूचना आयोग एकाध स्टाफ के सहारे काम कर रहे हैं. अधिकतर आयोगों के ऑफिस नंबर या हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने पर किसी ने जवाब नहीं दिया.
हाल ही में लाए गए नए नियमों के तहत केंद्र सरकार को केंद्रीय और राज्य सूचना आयोग के ऊपर नियंत्रण देना यह सुनिश्चित करेगा कि आरटीआई की अपील पर सरकार की मर्ज़ी के मुताबिक काम हो.
इस संबंध में जारी एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत इन आयोगों को बंद करने का फैसला किया गया है. ये आदेश 31 अक्टूबर से प्रभावी हो जाएंगे.
कार्यकर्ताओं का कहना है कि मोदी सरकार को सूचना का अधिकार क़ानून में संशोधन करने के बजाय सूचना आयोगों में आयुक्तों की नियुक्ति करनी चाहिए ताकि आरटीआई क़ानून और मज़बूत बने.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र और राज्य के सूचना आयोगों में सूचना आयुक्त के पदों का ख़ाली रहना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. आरटीआई एक्ट पारित करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना था.
भारत से नौ साल बाद साल 2014 में आरटीआई लागू करने वाला अफगानिस्तान सूची में पहले स्थान पर है. अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था एक्सेस इन्फो यूरोप और सेंटर फॉर लॉ एंड डेमोक्रेसी ने जारी की है रिपोर्ट.
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोग के 156 पदों में से करीब 48 पद खाली हैं. वहीं 2005 से 2016 के बीच 2.5 करोड़ से अधिक आरटीआई आवेदन दायर.
विशेष साक्षात्कार: डेटा सुरक्षा बिल, सूचना के अधिकार और निजता के अधिकार से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर केंद्रीय सूचना आयुक्त प्रो. मदाभूषनम श्रीधर आचार्युलु से धीरज मिश्रा की बातचीत.
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि सरकार राज्य सूचना आयोगों में लंबित अपील या शिकायतों से संबंधित कोई आंकड़ा नहीं रखती है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, गुजरात, केरल और कर्नाटक की सरकारों को चार हफ़्ते में जवाब देने का निर्देश दिया.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया की रिपोर्ट का दावा, राज्य सूचना आयोगों की हालत बदतर है.