7 जून 2018 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर मुख्यालय पर हुए समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा दिया गया पूरा भाषण.
गणेश शंकर विद्यार्थी पत्रकारिता के ज़रिये ब्रिटिश शासन के साथ-साथ देसी सामंतों को भी निशाने पर लेते थे. उनका दफ़्तर क्रांतिकारियों की शरणस्थली था तो युवाओं के लिए पत्रकारिता का प्रशिक्षण केंद्र.
सावरकर ने अंग्रेज़ों को सौंपे अपने माफ़ीनामे में लिखा था, ‘अगर सरकार अपनी असीम भलमनसाहत और दयालुता में मुझे रिहा करती है, मैं यक़ीन दिलाता हूं कि मैं संविधानवादी विकास का सबसे कट्टर समर्थक रहूंगा और अंग्रेज़ी सरकार के प्रति वफ़ादार रहूंगा.’
पूर्व प्रधानमंत्री ने पाक से सांठगांठ के आरोप पर किया फिर पलटवार, अमित शाह ने पूछा, मनमोहन सिंह का गुस्सा तब कहां था जब नज़रों के सामने लूट हो रही थी.
सिनेमाघर न तो पंद्रह अगस्त और छब्बीस जनवरी का लाल किला है, न ही उन तमाम स्कूलों और कॉलेजों का मैदान, जहां इन दो दिनों पर राष्ट्रगान भी होता है और ‘रंगारंग कार्यक्रम’ भी.
पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी आज़ादी की लड़ाई में न सिर्फ़ क्रांतिकारियों के साथ सक्रिय थे, बल्कि अपने अख़बार 'प्रताप' में आज़ादी की अलख जगा रहे थे.
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा, धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों को पुनर्जीवित करना आज की चुनौती है. इनमें सहिष्णुता और धर्म की स्वतंत्रता शामिल हैं.
प्रेमचंद लिखते हैं, ‘राष्ट्रीयता वर्तमान युग का कोढ़ है, उसी तरह जैसे मध्यकालीन युग का कोढ़ सांप्रदायिकता थी.’
तकनीक के अधकचरे इस्तेमाल ने दरअसल एक अधकचरी पढ़ी-लिखी हिंसा को भी जन्म दिया है. इस हिंसा का शिकार हर वैसा वर्ग और व्यक्ति हो रहा है, जो एक मदमाती सत्ता से सवाल पूछता है.
देश के सबसे बड़े देशप्रेमी ने देशप्रेम नापने की एक मशीन बनवाई है . इस मशीन में आदमी बैठ जाता है और सुई घूमने लगती है. पता चल जाता है कि कौन देश से कितना प्रेम करता है.