मंटो नूरजहां को लेकर कहते थे, 'मैं उसकी शक्ल-सूरत, अदाकारी का नहीं, आवाज़ का शैदाई था. इतनी साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ आवाज़, मुर्कियां इतनी वाज़िह, खरज इतना हमवार, पंचम इतना नोकीला! मैंने सोचा अगर ये चाहे तो घंटों एक सुर पर खड़ी रह सकती है, वैसे ही जैसे बाज़ीगर तने रस्से पर बग़ैर किसी लग्ज़िश के खड़े रहते हैं.'
एक समय तक लद्दाख में हिमालयन भेड़ियों से मवेशी बचाने के लिए शांगदोंग यानी एक तरह के पत्थरों के जाल बनाकर उन्हें फंसाया जाता था और इसकी मौत पर स्थानीय उत्सव मनाते थे. पर अब इसके अस्तित्व पर मंडराते ख़तरे को देखते हुए इसके संरक्षण के लिए इन शांगदोंगों को स्तूपों में बदला जा रहा है.
केंद्र सरकार ने 12,000 साल पहले से भारतीय संस्कृति की उत्पत्ति और विकास का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की है. 32 सांसदों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा है कि समिति के लगभग सभी सदस्य एक विशिष्ट सामाजिक समूह से हैं, जो देश के बहुलतावादी समाज को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं.
पुस्तक समीक्षा: किसी यात्रा वृतांत को पढ़ने के बाद अगर उस जगह जाने की इच्छा न जगे, तो ऐसे वृतांत का बहुत अर्थ नहीं है. पत्रकार समीर अरशद खतलानी द्वारा अपनी एक लाहौर यात्रा पर लिखी गई किताब 'द अदर साइड ऑफ द डिवाइड' इस मायने पर खरी उतरती है.
संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि 321 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों में अतिक्रमण की घटनाओं का पता चला है.
पुस्तक समीक्षा: कुलदीप कुमार की कविताएं पिछले तीन दशकों में हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में आती रही हैं, पत्रकार की हैसियत से वे साहित्य-संस्कृति की जानी-मानी शख्सियतों से बातचीत करते रहे हैं. ऐसे अदीब से यह उम्मीद रहती है कि अपनी मौलिक रचनाओं में वे नई अंतर्दृष्टि की तलाश करेंगे. हाल ही में प्रकाशित उनके संग्रह 'बिन जिया जीवन' में सादगी के साथ इस उम्मीद को पूरा करने की कोशिश है.
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि कुतुब मीनार हमारी संस्कृति का सबसे बड़ा उदाहरण है. यह एक ऐसा स्मारक है, जो 27 मंदिरों को ढहाकर बना था और आजादी के बाद भी यह विश्व धरोहर है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि विडंबना यह है कि एक वैश्विक रूप से जुड़े समाज ने हमें उन लोगों के प्रति असहिष्णु बना दिया है, जो हमारे अनुरूप नहीं हैं. स्वतंत्रता उन लोगों पर जहर उगलने का एक माध्यम बन गई है, जो अलग तरह से सोचते हैं, बोलते हैं, खाते हैं, कपड़े पहनते हैं और विश्वास करते हैं.
मदीहा हिंदुस्तान-पाकिस्तान की सांस्कृतिक विरासत के बीच रंगमंच के साझे दूत की तरह काम करती रहीं. रहती वे लाहौर में थीं लेकिन जब मौका मिलता अमृतसर आ जाया करती थीं. देह उनकी लाहौर में थी लेकिन दिल अमृतसर में बसता.
इतिहासकार प्रोफेसर मृदुला मुखर्जी ने कहा कि वह राष्ट्रवाद सर्वसमावेशी और बहुआयामी था, जिसमें हर क्षेत्र, धर्म, संप्रदाय, हर भाषा को बोलने वाले और सभी जनजातीय समूह के लोग शामिल थे.
आजकल सेकुलर (कुछ के लिए सिकुलर) शब्द आतंकवादी, देशद्रोही, पाकिस्तानी एजेंट, टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसे कई शब्दों का पर्याय बन गया है.
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, राष्ट्रीय पुस्तकालय समेत देश के कई अहम सांस्कृतिक संगठनों में प्रमुख के पद ख़ाली, संसदीय समिति ने निराशा व्यक्त की.
मणिशंकर अय्यर के बयान से प्रधानमंत्री इतने आहत हो गए कि इसी पर वोट मांगने लगे. साथ भी यह भी पूछ डाला कि क्या मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान उनकी सुपारी देने गए थे?
माहौल का असर है या कुछ और कि श्री श्री रविशंकर को अयोध्या में कोई भी गंभीरता से नहीें ले रहा. लेकिन श्री श्री का सौभाग्य कि वे मीडिया की भरपूर सुर्ख़ियां बटोर रहे हैं.
छठ के इस वीडियो को देखकर शहर में अकेले रह रहे उच्च और मध्यमवर्ग के लोग अपने जीवन में आ रही कमी को महसूस करते हैं. यह सुख-सुविधा की कमी नहीं है. यह रौनक और संस्कृति के तत्त्वों की कमी है.