एक अनुमान के अनुसार लगभग 70% शहरी कार्यबल अनौपचारिक रूप से कार्यरत हैं. अनौपचारिक श्रमिकों के काम की अनिश्चित प्रकृति पहले ही जोखिम भरी होती है, जिससे उनके कोविड-19 के संपर्क में आने का ख़तरा बढ़ जाता है. मौजूदा टीकाकरण ढांचे में कई बाधाओं के चलते ऐसे कामगारों के टीकाकरण की संभावना कम है.
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करने के लिए असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के पंजीकरण के लिए सॉफ्टवेयर विकास में देरी पर कड़ा रुख़ जताया और कहा कि वह इस बात से चिंतित है कि जिन प्रवासी श्रमिकों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, वे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ कैसे उठा पाएंगे.
परमबीर सिंह की उनके ख़िलाफ़ चल रही जांच महाराष्ट्र से बाहर किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने के अनुरोध वाली याचिका सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ‘आश्चर्य की बात है’ कि राज्य में 30 साल से ज्यादा सेवा देने के बाद मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह अब कह रहे हैं कि उन्हें राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं है.
शिक्षाविदों, यूरोपीय संघ के सांसदों, नोबेल पुरस्कार विजेताओं और अन्य अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भारतीय जेलों में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की दयनीय स्थिति और उचित मेडिकल देखरेख न होने पर चिंता जताते हुए कहा है कि उन्हें कोरोना वायरस के नए और अधिक घातक स्ट्रेन से संक्रमित होने का गंभीर ख़तरा है.
एकाधिक मूल्य निर्धारण, यानी केंद्र के लिए एक मूल्य और निजी अस्पतालों के लिए अलग मूल्य - किसी भी तर्क के विपरीत है. राष्ट्रीय आपातकाल के समय में ऐसा करना निर्माताओं को अधिक लाभ अर्जित करने की अनुमति देना है और सौदे पर बातचीत करने वाले दोनों पक्षों की ओर से संदिग्ध उद्देश्यों की बू आती है.
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख कर कहा है कि निचली अदालत के जज उनके ख़िलाफ़ 2019 की चार्जशीट का संज्ञान लेने के लिए अधिकृत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सात जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण नीति में बदलाव की घोषणा की और पुरानी नीति के लिए राज्यों को ज़िम्मेदार ठहरा दिया. हालांकि ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल बताती है कि दो मुख्यमंत्रियों के बयानों को छोड़ दें, तो किसी भी राज्य ने ख़ुद वैक्सीन खरीदने की मांग नहीं की थी.
जोधपुर की एक अदालत ने साल 2018 को आसाराम को 2013 में अपने आश्रम में एक किशोरी के साथ बलात्कार करने का दोषी पाने के बाद उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. अब आसाराम ने अपनी विभिन्न बीमारियों का हवाला देते हुए याचिका दायर कर सज़ा निरस्त करने और अंतरिम ज़मानत की मांग की है.
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही 17 साल की लड़की और 20 साल के लड़के को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देते हुए कहा है कि उत्तर भारत में ख़ासकर हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में ‘ऑनर किलिंग’ की घटनाएं होती रहती हैं, ऐसे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी राज्य की है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोविड-19 के कारण माता-पिता में से किसी एक या फ़िर दोनों को खोने वाले बच्चों में 15,620 लड़के, 14,447 लड़कियां और चार ट्रांसजेंडर शामिल हैं. इनमें से अधिकतर बच्चे आठ से 13 आयु वर्ग के हैं. महाराष्ट्र में ऐसे बच्चों की संख्या सर्वाधिक है. इसके बाद उत्तर प्रदेश में और राजस्थान हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल में अभिभावक को खोने वाले या बेसहारा, अनाथ हुए बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि अनाथ बच्चों को गोद लिए जाने का आमंत्रण देना कानून के प्रतिकूल है, क्योंकि केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण की भागीदारी के बिना गोद लेने की अनुमति नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते सोमवार को घोषणा की कि 18 वर्ष से 44 साल उम्र तक के लोगों के टीकाकरण के लिए 21 जून से राज्यों को कोविड-19 का टीका मुफ्त दिया जाएगा और आगामी दिनों में देश में टीका आपूर्ति में पर्याप्त बढ़ोतरी होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार के अधिकारियों को फ़रीदाबाद ज़िले के लकड़पुर खोरी गांव के निकट वन भूमि से सभी अतिक्रमण छह हफ़्त के भीतर हटाने और मामले की अगली सुनवाई तक अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. पीठ ने कहा कि भूमि हथियाने वाले निष्पक्ष सुनवाई के लिए क़ानून के शासन का सहारा नहीं ले सकते हैं.
सोमवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि 21 जून से राज्यों को 18 से 44 साल तक की उम्र के लोगों के लिए मुफ़्त कोविड टीका मिलेगा. बीते हफ़्ते सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा इसी आयु वर्ग के टीकों के लिए राज्यों व निजी अस्पतालों को लोगों से शुल्क वसूलने की अनुमति देने को लेकर सवाल उठाए थे.
लोकपाल के पास प्रधानमंत्री समेत सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार होता है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2019-20 में जितनी शिकायतें मिलीं, उससे अगले वर्ष 92 प्रतिशत कम शिकायतें आई हैं. लोकपाल को 2019-20 में भ्रष्टाचार की 1427 शिकायतें मिली थीं.