बीते अगस्त से नज़रबंद 90 वर्षीय सैयद अली शाह गिलानी को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का आजीवन अध्यक्ष बनाया गया था. उनके प्रवक्ता ने कहा कि अब उन्होंने पूरी तरह से इससे अलग होने की घोषणा की है.
भाजपा मतदाताओं को यह दिखाने के लिए कि वह आतंक पर सख़्त है, उस मौजूदा कश्मीर नीति से छेड़छाड़ कर रही है, जो अलगाववादियों के साथ सामंजस्य लाने के उद्देश्य से बनाई गई थी. एक ऐसी नीति, जो राज्य को बर्बादी की कगार से वापस लाई थी.
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने अलगाववादी नेता मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ के अलावा शब्बीर शाह, हाशिम कुरैशी, बिलाल लोन और अब्दुल गनी भट की भी सुरक्षा वापस ले ली है.
अलगाववादी नेता ने कहा, उदारवादी अलगाववादियों की दिक्कत यह है कि भारत कश्मीर समस्या को पूरी तरह पाकिस्तान की देन मानता है और इसे सीमापार आतंकवाद के ऩजरिये से देखता है.
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक का कहना है कि वर्तमान सरकार कश्मीरियों की एक पूरी पीढ़ी को सशस्त्र संघर्ष के लिए मजबूर कर रही है.
कश्मीर के मामले में मोदी सरकार ने न तो पहले की सरकारों की विफलताओं से कोई सबक लिया और न ही कामयाबियों से.