राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2017 के आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में बलात्कार के मामलों की कुल संख्या 1,46,201 थी, लेकिन उनमें से केवल 5,822 लोगों को ही दोषी ठहराया जा सका.
नई दिल्लीः राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ें बताते हैं कि दिल्ली के निर्भया सामूहिक बलात्कार के सात साल बाद भी देश में बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि यानी कि आरोपी के दोषी ठहराए जाने की दर सिर्फ 32.2 प्रतिशत है.
इस घटना के बाद यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए कानूनों को सख्त बनाये जाने के बावजूद बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि दर कम है.
साल 2017 के एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2017 में बलात्कार के मामलों की कुल संख्या 1,46,201 थी, लेकिन उनमें से केवल 5,822 लोगों को ही दोषी ठहराया जा सका.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में मेट्रोपॉलिटन शहरों में भी बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि दर कम थी. हाल के वर्षों में बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि दर बढ़ी भी है तो आरोपपत्र (चार्जशीट) दायर करने की दर कम हो गई है.
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में चर्जशीट दायर करने की दर 86.4 फीसदी थी जबकि 2013 में यही दर 95.4 फीसदी थी.
2017 में बलात्कार के कुल 1,46,201 मामलों की सुनवाई हो रही थी लेकिन इसमें से 18,333 मामलों का ही अदालतों द्वारा निपटारा किया गया.
अलवर बलात्कार मामले में बचाव पक्ष की वकील शिल्पी जैन का कहना है कि बलात्कार मामलों की जांच करने वाले पुलिस के क्षेत्रीय कर्मचारियों को अधिक कुशल बनाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘एक उप-निरीक्षक स्तर का अधिकारी होता है जो आरोप पत्र दायर करता है, इसलिए कोई भी तथ्यों की गुणवत्ता की कल्पना कर सकता है.’
गौरतलब है कि दक्षिणी दिल्ली में 23 वर्षीय एक छात्रा से वर्ष 2012 में 16 और 17 दिसम्बर की दरम्यानी रात में एक चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया. सड़क पर फेंके जाने से पहले उस पर गंभीर रूप से हमला किया गया था और 29 दिसम्बर को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी.
निर्भया पर इस भयानक हमले के एक सप्ताह बाद यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए आपराधिक कानूनों की समीक्षा के लिए जस्टिस जेएस वर्मा समिति गठित की गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)