कोटा के अस्पताल में एक महीने में 77 बच्चों की मौत, मुख्यमंत्री ने जांच के लिए समिति गठित की

राजस्थान के कोटा में जेके लोन अस्पताल में 48 घंटे में दस बच्चों की मौत हुई है, जिसमें नवजात शिशु भी शामिल हैं. अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टरों की ओर से किसी तरह की लापरवाही होने से इनकार किया है.

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कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल. (फोटो साभार: ट्विटर/@Pintuchoudhry3)

राजस्थान के कोटा में जेके लोन अस्पताल में 48 घंटे में दस बच्चों की मौत हुई है, जिसमें नवजात शिशु भी शामिल हैं. अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टरों की ओर से किसी तरह की लापरवाही होने से इनकार किया है.

कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल. (फोटो साभार: ट्विटर/@Pintuchoudhry3)
कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल. (फोटो साभार: ट्विटर/@Pintuchoudhry3)

राजस्थान के कोटा के जेकेलोन अस्पताल में दिसंबर महीने में  77 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है. इस हफ्ते बुधवार और गुरुवार के 48 घंटे में ही यहां 10 बच्चों की मौत हुई, जिसमें नवजात भी शामिल हैं.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते तीन साल में इस अस्पताल में 2,376 नवजात बच्चों की मौत हुई है. अस्पताल में डिलीवरी होने के बावजूद इन बच्चों को नहीं बचाया जा सका.

अख़बार के मुताबिक जेकेलाेन में राेजाना लगभग दो नवजात बच्चाें की माैत हाे जाती है. कई बच्चे संक्रमण से मर रहे हैं. तीन साल की अवधि में 428 नवजात विभिन्न तरह के संक्रमण से दम तोड़ चुके हैं.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल प्रशासन ने इस घटना को सामान्य बताते हुए डॉक्टरों की ओर से किसी तरह की लापरवाही से इनकार किया है.

अस्पताल प्रशासन द्वारा मौतों की जांच के लिए गठित एक कमेटी ने कहा है कि अस्पताल के सारे उपकरण सुचारू रूप से चल रहे हैं, इसलिए अस्पताल की तरफ से लापरवाही का सवाल नहीं पैदा होता.

अपनी रिपोर्ट में अस्पताल की ओर से सफाई दी गई कि इस हफ्ते दो दिन के अंदर जिन 10 बच्चों की मौत हुई है उनकी स्थिति काफी गंभीर थी और वे वेंटिलेटर पर थे.

अस्पताल ने यह भी दावा किया कि 23 और 24 दिसंबर को जिन पांच नवजात शिशुओं की मौत हुई वे सिर्फ एक दिन के थे और भर्ती करने के कुछ ही घंटों के अंदर उन्होंने दम तोड़ दिया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वे हाइपॉक्सिक इस्केमिक इंसेफ्लोपैथी से पीड़ित थे. इस अवस्था में नवजात के मस्तिष्क में पर्याप्त ऑक्सिजन नहीं पहुंच पाती है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 23 दिसंबर को पांच महीने के बच्चे की गंभीर निमोनिया की वजह से मौत हुई जबकि सात साल के एक बच्चे की एक्यूट रेस्पिरटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम यानी सांस लेने में दिक्कत की वजह से मौत हुई.

इसी दिन डेढ़ महीने के एक बच्चे की मौत भी हो गई जो जन्म से ही दिल की बीमारी से पीड़ित था.

अस्पताल ने कहा कि इनके अलावा 24 दिसंबर को दो महीने के बच्चे की गंभीर एस्पिरेशन निमोनिया और एक अन्य डेढ़ महीने के बच्चे की ऐस्पिरेशन सीजर डिसऑर्डर की वजह से मौत हो गई.

अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एसएल मीणा ने बताया, ‘जांच के बाद सामने आया कि 10 बच्चों की मौत सामान्य थी न कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की वजह से.’ अस्पताल के पीडिएट्रिक विभाग के अमृत लाल बैरवा ने कहा कि बच्चों को गंभीर अवस्था में अस्पताल लाया गया था.

उन्होंने कहा, ‘नेशनल एनआईसीयू रिकॉर्ड के अनुसार, शिशुओं की 20 फीसदी मौत स्वीकार्य है जबकि कोटा में शिशु मृत्यु दर 10 से 15 फीसदी है जो खतरनाक नहीं है क्योंकि ज्यादातर बच्चों को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था. गंभीर मरीज बूंदी, बारां, झालावाड़ और मध्य प्रदेश से भी आए थे. यहां रोज एक से तीन शिशुओं और नवजात की मौत होती है.’

इससे पहले कोटा से सांसद और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बच्चों के मौत पर चिंता जताई थी. बिड़ला ने अपने संसदीय क्षेत्र कोटा के अस्पताल में शिशुओं की मौत होने पर शुक्रवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस विषय की जांच-पड़ताल कराने और आवश्यक मेडिकल इंतजाम करने का अनुरोध किया.

उन्होंने कहा कि बिरला ने कहा कि कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र में स्थित जेके लोन अस्पताल में शिशुओं की असमय मौत सभी के लिए चिंता का विषय है. इस बड़े अस्पताल में योग्य चिकित्साकर्मियों और जीवन रक्षक उपकरणों के अभाव के चलते हर साल 800 से 900 शिशुओं और 200 से 250 बच्चों की मौत हो जाती है.

उन्होंने यह भी कहा कि जानकारी के मुताबिक अस्पताल में जीवन रक्षक उपकरण काम नहीं कर रहे हैं और योग्य चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल कर्मचारी के कई पद खाली हैं. उन्होंने इसे हर साल इस अस्पताल में शिशुओं और बच्चों की मौत होने की मुख्य वजह बताया और इस विषय की जांच पड़ताल करने के लिए गहलोत से एक कमेटी गठित करने का अनुरोध किया.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोटा में नवजातों की मौत मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए आईएएस अधिकारी वैभव गालरिया के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है.

गहलोत ने कहा, ‘हमने वरिष्ठ अधिकारियों और डॉक्टरों को भेजा है. हम मामले को देख रहे हैं.’ यह टीम शुक्रवार शाम  कोटा पहुंच गई और अस्पताल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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