गाजा की सामूहिक क़ब्रों में पीड़ितों के हाथ बंधे हुए मिले: यूएन मानवाधिकार कार्यालय

बीते सप्ताह के आखिर में मध्य गाजा के ख़ान यूनिस के नासेर अस्पताल और उत्तरी इलाक़े में स्थित ग़ाज़ा सिटी के अल-शिफ़ा अस्पताल के मैदानों में सैकड़ों शव बरामद किए गए, जिन्हें ज़मीन में दबाए जाने के बाद उन स्थानों को कूड़े-कचरे से ढक दिया गया था.

अल-शिफा अस्पताल के बाहर इकट्ठा हुए लोग. फोटो साभार: WHO

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने मंगलवार (23 अप्रैल) को कहा कि गाजा में सामूहिक कब्रों के बारे में परेशान करने वाली ख़बरें सामने आ रही हैं. बताया गया है कि इनमें फिलिस्तीनी पीड़ितों के हाथ बंधे हुए और शव निर्वस्त्र मिले हैं. इस जानकारी के सामने आने के बाद इजरायली हमलों में युद्ध अपराधों को अंजाम दिए जाने को लेकर नई चिंताएं उभरी हैं.

बीते सप्ताह के आखिर में मध्य गाजा के ख़ान यूनिस के नासेर अस्पताल और उत्तरी इलाक़े में स्थित गाजा सिटी के अल-शिफा अस्पताल के मैदानों में सैकड़ों शव बरामद किए गए, जिन्हें ज़मीन में दबाए जाने के बाद स्थान को कूड़े-कचरे से ढक दिया गया था.

इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की प्रवक्ता रवीना शामदासानी ने कहा कि मृतकों में कथित तौर पर वृद्ध, महिलाएं और घायल शामिल थे, जबकि अन्य के हाथ बंधे हुए थे और उनके शरीर पर कपड़े भी नहीं थे.

अल-शिफा से बरामदगी

गाजा में स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों का हवाला देते हुए यूएन मानवाधिकार प्रवक्ता ने बताया कि अल-शिफा अस्पताल से और अधिक शव बरामद हुए हैं.

ज्ञात हो कि 7 अक्टूबर (2023) को युद्ध भड़कने से पहले तक अल-शिफा अस्पताल परिसर गाजा पट्टी का सबसे बड़ा स्वास्थ्य केंद्र था. इजरायल ने यहां ये कहते हुए कुछ सप्ताह पहले बड़ा हमला किया था कि यहां से हमास के कट्टरपंथी युद्ध गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे.

इजरायल का यह सैन्य अभियान अप्रैल के पहले सप्ताह में खत्म हुआ था. दो सप्ताह की भीषण लड़ाई के बाद संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कर्मियों ने 5 अप्रैल को पुष्टि की थी कि अल-शिफा अस्पताल अब एक खंडहर भर बचा है, जिसमें अधिकर चिकित्सा सुविधाएं और उपकरण राख़ में तब्दील हो गए हैं.

रवीना शमदासानी ने जिनेवा में पत्रकारों को बताया कि ख़बरों से मालूम हुआ है कि गाजा सिटी के अल-शिफा अस्पताल के मैदान में दो सामूहिक क़ब्रों में 30 फिलस्तीनियों के शव दबाए गए थे. इनमें से एक सामूहिक क़ब्र मेडिकल इमरजेंसी वाली इमारत के सामने और अन्य सामूहिक क़ब्र डायलिसिस इमारत के सामने पाई गईं.

मानवाधिकार प्रवक्ता ने कहा कि अल-शिफा अस्पताल में पाई गईं इन दो सामूहिक क़ब्रों से बरामद किए गए फिलिस्तीनी लोगों के शवों में से 12 शवों की पहचान कर ली गई है, मगर अन्य मृतकों की पहचान करना मुमकिन नहीं हो सका है.

रवीना शमदासानी ने कहा, ‘ऐसी ख़बरें हैं कि इन क़ब्रों में बरामद किए गए कुछ मृतकों के हाथ भी बंधे थे.’

प्रवक्ता ने कहा कि इजरायली सेना द्वारा अल-शिफा अस्पताल परिसर में लड़ाई के दौरान 200 फिलस्तीनियों को मारने के दावों के बावजूद, ऐसा लगता है कि अभी इन परिसरों में और भी मृतक दबे हो सकते हैं.

भयावहता के 200 दिन

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने 7 अक्टूबर को इजरायल में हमास के हमले से भड़के युद्ध के दौरान इजरायली हमलों के लगभग 200 दिनों के दौरान हुई मौतों और भीषण विनाश पर गहन चिंता व्यक्त की.

उन्होंने ख़ासतौर पर नासेर अस्पताल और अल-शिफा अस्पताल में हुई भारी तबाही और सामूहिक क़ब्रों में सैकड़ों लोगों के शव दबे होने पर हैरानी जताई.

वोल्कर टर्क ने कहा कि आम लोगों, बंदियों और युद्ध में शिरकत नहीं करने वाले अन्य लोगों की इरादतन हत्या करना, एक युद्ध अपराध है. उन्होंने इन मौतों की स्वतंत्र जांच कराए जाने का आह्वान किया.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने गाजा पट्टी के स्वास्थ्य अधिकारियों का संदर्भ देते हुए कहा कि गाजा युद्ध में 22 अप्रैल तक, 34 हज़ार फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें 14 हज़ार 685 बच्चे और 9 हज़ार 670 महिलाएं हैं. गाजा युद्ध में 77 हज़ार से अधिक अन्य लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें 7 हज़ार से अधिक लोगों को मलबे में दबा हुआ बताया गया है.

वोल्कर टर्क ने कहा है कि वहां हर दस मिनट में एक बच्चा हताहत होता है. बच्चों को युद्ध के क़ानूनों के तहत संरक्षण हासिल है, मगर फिर भी इस युद्ध में बच्चों को ही सबसे ज्यादा क़ीमत चुकानी पड़ी है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने गाजा के दक्षिणी इलाक़े रफाह में इजरायल के आक्रमण के खिलाफ भी चेतावनी जारी की है, यहां लगभग 12 लाख लोग पनाह लिए हुए हैं. इनमें से अधिकतर लोग गाजा के अन्य इलाक़ों में युद्ध से बचकर यहां पहुंचे हैं.

संयुक्त राष्ट्र अधिकार प्रमुख ने रफाह में पूर्ण पैमाने पर इजरायली घुसपैठ के खिलाफ अपनी चेतावनी भी दोहराई. यहां अनुमानित 1.2 मिलियन गाजावासियों को ‘जबरन कब्जे में ले लिया गया है.’ उच्चायुक्त ने एक बयान में कहा, ‘दुनिया के नेता रफाह में फंसे नागरिक आबादी की रक्षा के लिए एकजुट हैं.’

उन्होंने बयान में हाल के दिनों में रफाह के खिलाफ इजरायली हमलों की भी निंदा की, जिसमें मुख्य रूप से महिलाएं और बच्चे मारे गए.

इसमें 19 अप्रैल को ताल अल सुल्तान क्षेत्र में एक अपार्टमेंट पर हुआ हमला शामिल था, जिसमें ‘छह बच्चों और दो महिलाओं सहित’ नौ फिलिस्तीनियों की मौत हो गई थी. इसके साथ ही एक दिन बाद रफाह में अस शबोरा कैंप पर भी हमला हुआ, जिसमें कथित तौर पर चार लोग मारे गए थे. इसमें एक लड़की और एक गर्भवती महिला भी शामिल थे.

टर्क ने कहा, ‘मरती हुई मां के गर्भ से ली गई एक प्रीमैच्योर बच्चे की नवीनतम तस्वीरें, बगल के दो घरों की तस्वीरें, जहां 15 बच्चे और पांच महिलाएं मारी गईं, ये सब युद्ध से परे है.’

उच्चायुक्त ने महीनों के युद्ध की निंदा की और तत्काल युद्धविराम की मांग की. साथ ही इजरायल से शेष सभी बंधकों और मनमाने ढंग से हिरासत में रखे गए लोगों की रिहाई और मानवीय सहायता के निर्बाध प्रवाह के लिए अपना आह्वान दोहराया.

वेस्ट बैंक में बड़े पैमाने पर शरणार्थी शिविर पर हमले

वेस्ट बैंक की ओर रुख करते हुए संयुक्त राष्ट्र अधिकार प्रमुख ने कहा कि वहां गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन ‘बेरोकटोक’ जारी है. यहां अंतरराष्ट्रीय निंदा के बावजूद 12 से 14 अप्रैल के बीच ‘बड़े पैमाने पर शरणार्थी शिविरों पर हमला किया गया.’ इसे ‘इजरायली सुरक्षा बलों (आईएसएफ) द्वारा सुविधाजनक बनाया गया था.’

टर्क ने जोर देकर कहा कि आईएसएफ के समर्थन, संरक्षण और भागीदारी के साथ शरणार्थी शिविरों पर हिंसा हुई. इसके बाद उन्होंने 18 अप्रैल से शुरू हुए नूर शम्स शरणार्थी शिविर और तुलकेरेम शहर में 50 घंटे लंबे ऑपरेशन का भी वर्णन किया.

टर्क ने आगे बताया, ‘आईएसएफ ने जमीनी सेना, बुलडोजर और ड्रोन तैनात किए और शिविर को सील कर दिया. इसमें चौदह फिलिस्तीनी मारे गए, जिनमें से तीन बच्चे थे.’

एक बयान में टर्क ने उन रिपोर्टों पर भी प्रकाश डाला, जिनमें नूर शम्स ऑपरेशन में कई फिलिस्तीनियों को गैरकानूनी रूप से मारे जाने की बात करती हैं. साथ ही आईएसएफ द्वारा अपनी सेना को हमले से बचाने के लिए निहत्थे फिलिस्तीनियों के इस्तेमाल की पुष्टि करती हैं.’

उच्चायुक्त ने कहा, ‘दर्जनों लोगों को कथित तौर पर हिरासत में लिया गया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया, जबकि आईएसएफ ने ‘शिविर और उसके बुनियादी ढांचे पर सब कुछ बर्बाद कर दिया था.’

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