बांग्लादेशः संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या मामले में पूर्व सेना अधिकारी को फांसी दी गई

बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान की उनके परिवार सहित 15 अगस्त 1975 को हत्या कर दी गई थी. इस हमले में उनकी दोनों बेटियां बच गई थीं. देश की मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना उनकी बेटी हैं और हमले के समय वे जर्मनी में अपनी बहन के साथ थीं.

Bangladesh's Prime Minister Sheikh Hasina (R) puts a garland on the portrait of her father Sheikh Mujibur Rahman, Bangladesh's independence leader, at a national council meeting of ruling Awami League party in Dhaka June 23. Mujibur was killed in a 1975 army coup along with most of his family. His Awami League regained power after 21 years in 1996 when Hasina was elected the country's prime minister. Friday's meeting marked the 51st anniversary of founding of the League and completion of Hasina's four years in power. Hasina on Friday vowed to push for more economic, social and political reforms. She urged opposition parties to end their oycott of parliament and sit with the government to resolve differences. AA/JDP

बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान की उनके परिवार सहित 15 अगस्त 1975 को हत्या कर दी गई थी. इस हमले में उनकी दोनों बेटियां बच गई थीं. देश की मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना उनकी बेटी हैं और हमले के समय वे जर्मनी में अपनी बहन के साथ थीं.

Bangladesh's Prime Minister Sheikh Hasina (R) puts a garland on the portrait of her father Sheikh Mujibur Rahman, Bangladesh's independence leader, at a national council meeting of ruling Awami League party in Dhaka June 23. Mujibur was killed in a 1975 army coup along with most of his family. His Awami League regained power after 21 years in 1996 when Hasina was elected the country's prime minister. Friday's meeting marked the 51st anniversary of founding of the League and completion of Hasina's four years in power. Hasina on Friday vowed to push for more economic, social and political reforms. She urged opposition parties to end their oycott of parliament and sit with the government to resolve differences. AA/JDP
बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर पर माल्यार्पण करतीं उनकी बेटी और प्रधानमंत्री शेख हसीना. (फोटो: रॉयटर्स)

ढाका: बांग्लादेश ने 1975 के तख्तापलट में शामिल होने के मामले में सेना के एक पूर्व कैप्टन को फांसी दे दी. इसी तख्तापलट में बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या कर दी गई थी.

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, सेना के पूर्व अधिकारी अब्दुल माजिद को शनिवार रात स्थानीय समयानुसार 12.01 मिनट पर केरानीगंज की ढाका सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई.

जेलर महबूब उल इस्लाम ने कहा कि माजिद को फांसी दे दी गई है. वह लगभग 25 साल तक भारत में छिपे हुए थे, उन्हें मंगलवार को ढाका से गिरफ्तार किया गया था.

इससे पहले शुक्रवार को माजिद की पत्नी और चार अन्य संबंधियों ने जेल में उनसे दो घंटे मुलाकात की थी.

राष्ट्रपति अब्दुल हामिद ने मंगलवार को उनकी दया याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्हें फांसी दिए जाने का रास्ता साफ हो गया था.

बता दें कि माजिद ने 15 अगस्त 1975 को बंगबंधु के निजी आवास पर उनकी हत्या करने का अपराध स्वीकार किया था.

जानकारी के अनुसार, माजिद ने न केवल बंगबंधु की हत्या की बल्कि वह तीन दिसंबर 1975 को कड़ी सुरक्षा वाली ढाका जेल में की गई नेताओं की हत्या में भी शामिल था.

मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि अब्दुल ने बांग्लादेश पुलिस को पूछताछ में बताया था कि वह कोलकाता में पिछले 23 सालों से छिपकर रह रहा था.

इससे पहले बांग्लादेश के गृह मंत्री ने बताया था कि पुलिस ने पूर्व सैन्य अधिकारी अब्दुल माजिद को गिरफ्तार कर लिया है.

माजिद ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि उसने बंगबंधु रहमान की हत्या की है.

मालूम हो कि बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान और उनके अधिकतर परिजनों की 15 अगस्त 1975 को हत्या की गई थी.

हत्या का दोषी पाए जाने पर बारह पूर्व सैन्य अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई थी. दोषियों में से पांच को 2010 में फांसी दे दी गई थी जबकि एक की प्राकृतिक कारणों से मौत हो गई थी.

वहीं, अन्य दोषियों पर अदालत में मुकदमा चलाया गया था. माजिद उन भगोड़े दोषियों में से था जो देश से बाहर छिपा हुआ था.

बता दें कि बांग्लादेश की मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना मुजीबुर्रहमान की बेटी हैं. 1975 में जिस समय शेख मुजीबुर्रहमान की परिवार समेत हत्या कर दी गई, उस समय शेख हसीना जर्मनी में अपने बहन के साथ थी.

इस हमले में संयोगवश मुजीबुर्रहमान की दोनों बेटियां बच गई थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)