वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही की वृद्धि दर घटकर 3.1 फीसदी

सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बीते वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 11 साल के निचले स्तर 4.2 फीसदी पर पहुंच गई है.

(फोटो: रॉयटर्स)

सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बीते वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 11 साल के निचले स्तर 4.2 फीसदी पर पहुंच गई है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

नयी दिल्लीः देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में घटकर 3.1 फीसदी पर आ गई.

इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 5.7 फीसदी रही थी.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है.

इन आंकड़ों पर कोविड-19 संकट का प्रभाव भी पड़ा है. कोरोना वायरस की वजह से मार्च तिमाही में उपभोक्ता मांग कमजोर हो गई है.

आंकड़ों के अनुसार, बीते पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 11 साल के निचले स्तर 4.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 6.1 फीसदी रही थी.

यह 2008-09 के बाद जीडीपी की वृद्धि दर का सबसे कमजोर आंकड़ा है. 2008-09 में आर्थिक वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही थी.

इस बीच सीएसओ ने बीते वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के वृद्धि दर के आंकड़े को घटाकर 4.7 की जगह 4.1 फीसदी कर दिया है. इसी तरह बीते वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के आंकड़ों को भी 5.6 से कम कर 5.2 फीसदी और 5.1 की जगह 4.4 फीसदी किया गया है.

आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) में चौथी तिमाही में 1.4 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि एक साल पहले समान तिमाही में इसमें 2.1 फीसदी की वृद्धि हुई थी.

हालांकि, कृषि क्षेत्र का जीवीए चौथी तिमाही में बढ़कर 5.9 फीसदी पर पहुंच गया, जो एक साल पहले समान तिमाही में 1.6 फीसदी था.

निर्माण क्षेत्र का जीवीए चौथी तिमाही में 2.2 प्रतिशत घटा, जबकि एक साल पहले समान तिमाही में यह छह प्रतिशत बढ़ा था.

वहीं खनन क्षेत्र की वृद्धि दर समीक्षाधीन तिमाही में 5.2 फीसदी रही, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में इसमें 4.8 फीसदी की गिरावट आई थी.

आंकड़ों के अनुसार, चौथी तिमाही में बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य सार्वजनिक सेवाओं की वृद्धि दर 4.5 फीसदी रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 5.5 फीसदी रही थी.

इसी तरह व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं में चौथी तिमाही में 2.6 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि एक साल पहले समान तिमाही में इन क्षेत्र की वृद्धि दर 6.9 फीसदी रही थी.

समीक्षाधीन अवधि में वित्तीय, रीयल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की वृद्धि दर 8.7 से घटकर 2.4 फीसदी रह गई. लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं की वृद्धि दर में भी गिरावट आई और यह 10.1 फीसदी पर आ गई.

कोविड-19 पर काबू के लिए सरकार ने 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी लेकिन जनवरी-मार्च के दौरान दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियां सुस्त रहीं, जिसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा.

भारतीय रिजर्व बैंक ने 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर पांच फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. एनएसओ ने इस साल जनवरी और फरवरी में जारी पहले और दूसरे अग्रिम अनुमान में वृद्धि दर पांच फीसदी रहने का अनुमान लगाया था.

कोरोना वायरस महामारी की वजह से जनवरी-मार्च, 2020 के दौरान चीन की अर्थव्यवस्था में 6.8 फीसदी की गिरावट आई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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