मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित तीन मंत्रियों को पद से हटाने के बाद राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री पहले विधानसभा में बहुमत सिद्ध करें और उसके बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल करें.
जयपुर/नई दिल्ली: राजस्थान में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्षी दल भाजपा ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विधानसभा में शक्ति परीक्षण में बहुमत साबित करना चाहिए.
पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस विधायकों के आवास पर निगरानी रख रही है.
प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने मुख्यमंत्री को विधानसभा में बहुमत साबित करने की चुनौती दी.
उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘मुख्यमंत्री पहले विधानसभा में बहुमत सिद्ध करें और उसके बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल करें. राजनीतिक लड़ाई का परिणाम सामने आया है. हमारी अब क्या रणनीति होगी.. हम हमारे नेताओं के साथ बैठकर चर्चा करेंगे.’
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प्रतिपक्ष के उप नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि अशोक गहलोत सरकार सदन में बहुमत सिद्ध नहीं कर पायेगी.
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस विधायकों के आवास पर निगरानी रख रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) विधायकों को धमकी दी जा रही है.
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि राज्य सरकार ने जनता का विश्वास खो दिया है और अब इसके जाने का समय आ गया है.
उन्होंने कहा कि सरकार अपने वादों को पूरा करने में विफल रही है और वादे निभाने में असफल रही है. पूनिया ने कहा कि हम स्थितियों पर नजर बनाये हुए है और पार्टी के नेताओं के दिशा निर्देशों की पालना करेंगे.
पार्टी ने यहां प्रदेश मुख्यालय में बैठक कर स्थिति पर चर्चा की. नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल भी बैठक में मौजूद थे. रालोपा भाजपा की सहयोगी पार्टी है.
गहलोत बोले- महज भाजपा के हाथ में खेल रहे हैं पायलट
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि बगावत करने वाले सचिन पायलट के हाथ में कुछ नहीं है और वे केवल भाजपा के हाथ में खेल रहे हैं.
राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात करने के बाद गहलोत ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा मध्य प्रदेश के खेल को राजस्थान में भी दोहराना चाहती थी और ‘यह सब’ पिछले छह महीने से चल रहा था.
गहलोत ने कहा कि पायलट व उनके साथ गए अन्य मंत्रियों, विधायकों को मौका दिया गया, लेकिन वे न तो सोमवार को और न ही मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में आए.
गहलोत ने कहा, ‘सचिन पायलट के हाथ में कुछ भी नहीं हैं. वह तो केवल भाजपा के हाथ में खेल रहे हैं… जो रिसॉर्ट सहित बाकी सारे बंदोबस्त करने में जुटी है.’
उन्होंने कहा कि पिछले छह महीने से राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त के प्रयास चल रहे थे.
पायलट सहित तीन मंत्रियों को उनके पदों से हटाए जाने के फैसले की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी ने मजबूर होकर यह फैसला किया है.
गहलोत ने कहा, ‘आज के फैसले से कोई खुश नहीं है, न पार्टी, न आलाकमान.’ गहलोत ने इसके साथ ही कहा कि उन्होंने किसी की पार्टी आलाकमान से शिकायत नहीं की.
गौरतलब है कि अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावती रुख अपनाने के लिए पायलट एवं उनके साथी नेताओं के खिलाफ कांग्रेस ने कड़ी कार्रवाई की है.
पायलट को उपमुख्यमंत्री पद के साथ-साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया है. पायलट के दो सहयोगी विश्वेंदर सिंह और रमेश मीणा हैं.
पार्टी के फैसले के बाद विश्वेंदर सिंह ने कहा, ‘हमने कौन सा पार्टी विरोधी बयान दिया? हम तो केवल हाईकमांड का ध्यान मैनिफेस्टो के उन मुद्दों पर दिलाना चाहते थे जो सत्ता में करीब दो साल रहने के बाद भी पूरे नहीं हो सके. किस गलती के लिए यह कार्रवाई की गई?’
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वहीं, पाली से कांग्रेस के जिला अध्यक्ष चुन्नीलाल चडवास ने यह कहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया कि वे प्रदेश इकाई प्रमुख के पद से सचिन पायलट को अलोकतांत्रित तरीके से हटाए जाने से दुखी हैं.
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इस बीच टोंक जिले में कांग्रेस के 59 पदाधिकारियों ने भी पायलट को पद से हटाने के विरोध में अपना इस्तीफ़ा दे दिया है.
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बता दें कि जयपुर के फेयरमॉन्ट होटल में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) बैठक के दौरान 102 विधायक मौजूद रहे और उन्होंने एकमत से सचिन पायलट को पार्टी से निकालने की मांग की थी.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, गहलोत सरकार के प्रति अपना समर्थन जताने वाले 100 से अधिक विधायकों को जयपुर के फेयरमॉन्ट होटल में रखा गया है.
बता दें कि पायलट ने रविवार शाम दावा किया था कि उनके साथ 30 से अधिक विधायक हैं और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है.
उन्होंने सोमवार शाम को एक वीडियो भी जारी किया था जिसमें वे 16 विधायकों के साथ हरियाणा के एक होटल में बैठे हुए थे.
गौरतलब है कि विधायकों को प्रलोभन देकर राज्य की निर्वाचित कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों के आरोपों पर राजस्थान पुलिस के विशेष कार्यबल (एसओजी) ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट व सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी को बयान देने के लिए नोटिस जारी किया था.
एसओजी ने गत शुक्रवार को ही इस बारे में एक प्राथमिकी दर्ज की थी. इस नोटिस के बाद से ही सचिन पायलट की नाराजगी खुलकर सामने आ गई और राजस्थान में सियासी उठापटक का दौर शुरू हो गया.
एसओजी ने इस बारे में दो मोबाइल नंबरों की निगरानी से सामने आए तथ्यों के आधार पर राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त और निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के आरोपों के संबंध में शुक्रवार को मामला दर्ज किया.
एसओजी अधिकारियों के अनुसार इन नंबरों पर हुई बातचीत से ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार को गिराने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों को प्रलोभन दिया जा रहा है.
बता दें कि राज्य विधानसभा में कुल 200 विधायकों में से कांग्रेस के पास 107 और भाजपा के पास 72 विधायक हैं. राज्य के 13 में से 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी कांग्रेस को है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)