राजस्थान में चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच पहली बार बयान देते हुए कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं. पायलट को पद से हटाने के साथ ही उनके दो समर्थकों को भी कैबिनेट से हटा दिया गया है.

(फोटो: पीटीआई)
जयपुर/नई दिल्ली: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी सियासी खींचतान के बीच मंगलवार को दूसरी बार बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) बैठक में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के न पहुंचने के बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सचिन पायलट के उप-मुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने की घोषणा की.
इसके साथ ही उन्होंने पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने की घोषणा करते हुए गोविंद सिंह डोटासरा को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की जानकारी दी. वहीं, हेम सिंह शेखावत को सेवा दल का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया.
इसके साथ ही उन्होंने पायलट के दो समर्थकों विश्वेंदर सिंह और रमेश मीणा को कैबिनेट से हटाने की भी घोषणा की.
#WATCH Congress party has decided to remove Sachin Pilot as Deputy CM and Rajasthan PCC Chief. Vishvender Singh & Ramesh Meena removed as Ministers: Congress leader Randeep Singh Surjewala #Rajasthan pic.twitter.com/sJHmE9kI3T
— ANI (@ANI) July 14, 2020
सुरजेवाला ने आगे कहा, ‘मुझे दुख है कि सचिन पायलट और उनके कुछ करीबी भाजपा की साजिश में फंस गए और अब आठ करोड़ राजस्थानियों द्वारा चुनी गई कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं. यह अस्वीकार्य है.’
उन्होंने कहा, ‘हमने पायलट से कई बार बात की और कहा कि उनकी सभी चिंताओं का समाधान किया जाएगा. पायलट के जितना कोई भी युवा आगे नहीं बढ़ा है. राजनीति में पायलट के छोटे से जीवन में हमने उन्हें पूरी पहचान दी है.’
पूरे घटनाक्रम पर पहली बार सार्वजनिक बयान देते हुए पायलट ने ट्वीट कर कहा, ‘सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं.’
सत्य को परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं।
— Sachin Pilot (@SachinPilot) July 14, 2020
वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने के बाद जयपुर स्थित कांग्रेस मुख्यालय से सचिन पायलट का नेमप्लेट भी हटा दिया गया. उनके स्थान पर गोविंद सिंह डोटासरा का नेमप्लेट लगा दिया गया है.
Rajasthan: Sachin Pilot's nameplate removed from Congress headquarter in Jaipur after he was removed as Deputy CM and PCC Chief, Govind Singh Dotasra appointed as state unit chief. pic.twitter.com/m0Nzd6iSD3
— ANI (@ANI) July 14, 2020
कांग्रेस विधायक दल की बैठक खत्म होने और सचिन पायलट और उनके दो समर्थकों को कैबिनेट से बाहर के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल कलराज सिंह से मुलाकात करने के लिए राजभवन पहुंचे.
राज्यपाल कलराज सिंह ने सचिन पायलट, विश्वेंदर सिंह और रमेश मीणा को मंत्री पद से हटाने के गहलोत के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया.
Rajasthan Governor Kalraj Mishra has accepted CM Ashok Gehlot's proposal to remove Sachin Pilot as Deputy CM, and Vishvender Singh and Ramesh Meena as ministers. https://t.co/FGppoHMV5c
— ANI (@ANI) July 14, 2020
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भारतीय युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश भाकर को भी उनके पद से हटा दिया गया और उनकी जगह पर गणेश घोगरा को नियुक्त किया गया.
इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाकर ने कहा, ‘मैं तो चुनाव जीतकर यूथ कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना हूं. अशोक गहलोत कौन होते हैं मुझे हटाने वाले. अशोक गहलोत और उनके मंत्री-विधायक तो पहले ही एक किसान-फौजी के बेटे को हराने में लगे हुए थे.’
मैं तो चुनाव जीतकर यूथ कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना हूँ।
अशोक गहलोत कौन होते है मुझे हटाने वाले।
अशोक गहलोत और उनके मंत्री- विधायक तो पहले ही एक किसान-फौजी के बेटे को हराने में लगे हुए थे।— Mukesh Bhakar (@MukeshBhakar_) July 14, 2020
इस बीच, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के लिए उनके आवास 10 जनपथ पहुंच गई हैं.
वहीं, समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि जयपुर के फेयरमॉन्ट होटल में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) बैठक के दौरान 102 विधायक मौजूद रहे और उन्होंने एकमत से सचिन पायलट को पार्टी से निकालने की मांग की.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, गहलोत सरकार के प्रति अपना समर्थन जताने वाले 100 से अधिक विधायकों को जयपुर के फेयरमॉन्ट होटल में रखा गया है.
इसके साथ ही दिसंबर 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत के बाद गहलोत और पायलट के बीच शुरू हुई सत्ता की जंग में गहलोत ने एक बार फिर से पायलट को मात दे दी है.
इससे पहले सोमवार को विधायक दल की बैठक में पायलट और उनके समर्थकों के शामिल न होने के बाद मंगलवार सुबह राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने बेहद सख्त रूख अपनाते हुए कहा था कि हम सचिन पायलट को दूसरा मौका दे रहे हैं. उनसे आज की बैठक में शामिल होने के लिए कहा है. मुझे उम्मीद है कि सभी विधायक आएंगे और नेतृत्व के साथ एकजुटता दिखाएंगे जिसके लिए राजस्थान ने वोट दिया है. हम सभी राज्य के विकास के लिए काम करना चाहते हैं.
बता दें कि पायलट ने रविवार शाम दावा किया था कि उनके साथ 30 से अधिक विधायक हैं और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है.
उन्होंने सोमवार शाम को एक वीडियो भी जारी किया था जिसमें वे 16 विधायकों के साथ हरियाणा के एक होटल में बैठे हुए थे.
वहीं, पहली बार पायलट समर्थक कैबिनेट मंत्रियों विश्वेंदर सिंह और रमेश मीणा और पूर्व स्पीकर दीपेंद्र शेखावत ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वे एक ऐसे समय में अपना आत्मसम्मान बचाने के लिए कदम उठा रहे हैं जब उनके नेता को एसओजी द्वारा राजद्रोह और आपराधिक साजिश के आरोप में नोटिस भेजकर धमकी दी जा रही है.
उन्होंने कहा, ‘हमारे नेता पायलट का सार्वजनिक अपमान किया जाना हमारे लिए पूरी तरह अस्वीकार्य है और इस व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए. हम अपने स्वाभिमान को बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं और मीडिया में झूठी खबरों के विपरीत किसी भी पद और पदों के लिए संघर्ष नहीं कर रहे हैं. हम कई वर्षों से पार्टी के वरिष्ठ सदस्य हैं और पार्टी और सरकार के भीतर कई पदों पर रहे हैं.’
पायलट के खुलकर बागी तेवर अपना लेने के बाद कांग्रेस ने सोमवार सुबह जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई थी, लेकिन इसमें पायलट और उनके समर्थक विधायक नहीं पहुंचे.
इस बैठक में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में आस्था प्रकट की गई और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रति समर्थन जताया गया. बाद में कांग्रेस ने दावा किया कि गहलोत सरकार को 109 विधायकों का समर्थन हासिल है.
उप मुख्यमंत्री तथा पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट द्वारा बागी तेवर अपना लिए जाने के मद्देनजर यह महत्वपूर्ण बैठक थी जिसमें विधायकों ने सरकार विरोधी व पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की, चाहे वे पदाधिकारी हों या विधायक दल के सदस्य.
उप मुख्यमंत्री पायलट व उनके करीबी माने जाने वाले विधायक इस बैठक में शामिल नहीं हुए.
प्रस्ताव में कहा गया था, ‘कांग्रेस विधायक दल पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में आस्था व भरोसा व्यक्त करता है. यह बैठक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में सर्वसम्मति से समर्थन व्यक्त करती है.’
इसके साथ ही इस प्रस्ताव में कांग्रेस पार्टी व राज्य में कांग्रेस सरकार को कमजोर करने वाले सभी अलोकतांत्रिक तत्वों की निंदा करते हुए कहा गया था कि अगर कोई पार्टी पदाधिकारी या विधायक इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए.
हालांकि, इस दौरान सीधे तौर पर पायलट का नाम नहीं लिया गया था.
इससे पहले, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था, ‘एक बार फिर हम सचिन पायलट, सभी विधायक साथियों को लिखकर भी भेज रहे हैं … उनसे अनुरोध करते हैं कि आइए राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करें. राजस्थान को कैसे मजबूत करें– ये चर्चा करें. अगर किसी व्यक्ति विशेष से कोई मतभेद है तो खुले मन से वो भी कहिए, कांग्रेस नेतृत्व … सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी सबकी बात सुनने और उसका हल निकालने के लिए पूर्ण रूप से तैयार हैं.’
उन्होंने कहा था, ‘हमने यह कहा था कि सचिन पायलट सहित सभी विधायकों के लिए सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के दरवाजे खुले हैं वे खुले मन से आएं अगर कोई मतभेद है तो उस पर चर्चा करेंगे, केंद्रीय नेतृत्व चर्चा कर हल निकालेगा.’
गौरतलब है कि विधायकों को प्रलोभन देकर राज्य की निर्वाचित कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों के आरोपों पर राजस्थान पुलिस के विशेष कार्यबल (एसओजी) ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट व सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी को बयान देने के लिए नोटिस जारी किया था.
एसओजी ने गत शुक्रवार को ही इस बारे में एक प्राथमिकी दर्ज की थी. इस नोटिस के बाद से ही सचिन पायलट की नाराजगी खुलकर सामने आ गई और राजस्थान में सियासी उठापटक का दौर शुरू हो गया.
एसओजी ने इस बारे में दो मोबाइल नंबरों की निगरानी से सामने आए तथ्यों के आधार पर राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त और निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के आरोपों के संबंध में शुक्रवार को मामला दर्ज किया.
एसओजी अधिकारियों के अनुसार इन नंबरों पर हुई बातचीत से ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार को गिराने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों को प्रलोभन दिया जा रहा है.
बता दें कि राज्य विधानसभा में कुल 200 विधायकों में से कांग्रेस के पास 107 और भाजपा के पास 72 विधायक हैं. राज्य के 13 में से 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी कांग्रेस को है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)