नॉर्थ ईस्ट डायरी: मणिपुर में फर्ज़ी मुठभेड़ मामलों की जांच के लिए सीबीआई की विशेष टीम गठित

इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, असम, नगालैंड और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.

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(फोटो: पीटीआई)

इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, असम, नगालैंड और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.

फोटो: पीटीआई
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नयी दिल्ली: मणिपुर में सेना, राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा वर्ष 2000 से 2012 के बीच फर्ज़ी मुठभेड़ों में करीब 95 लोगों की मौत के मामले में रिकॉर्ड की जांच के लिये सीबीआई ने पुलिस अधीक्षक स्तर के एक अधिकारी की अध्यक्षता में पांच अफसरों वाले एक विशेष जांच दल का गठन किया है.

एजेंसी का यह कदम उच्चतम न्यायालय के 14 जुलाई के आदेश के बाद आया है. सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को आदेश दिया था कि वह फर्ज़ी मुठभेड़ के मामलों में 31 दिसंबर तक रिकॉर्ड की जांच करें. साथ ही ज़रूरी एफआईआर दर्ज करे और जहां ज़रूरी हो आरोप पत्र भी तैयार करे.

सेना ने ऐसी किसी भी जांच का यह कहते हुए विरोध किया है कि मणिपुर और जम्मू कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियान चलाने के लिये वह जांच के दायरे में नहीं आ सकती. उसने उच्चतम न्यायालय के समक्ष पूर्व में कहा था कि इस क्षेत्र में उसके ख़िलाफ़ की गयी न्यायिक जांचों में स्थानीय पूर्वाग्रह था, जिससे उसकी छवि को नुकसान पहुंचा है.

अटॉर्नी जनरल ने इस बिंदु को भी रेखांकित किया लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इसे ख़ारिज कर दिया. न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और यू.यू ललित की पीठ ने कहा, ‘मामले पर उसकी संपूर्णता में विचार करने के बाद हमारी राय है कि यह उपयुक्त होगा कि सीबीआई इन फर्ज़ी मुठभेड़ों या ज्यादतियों अथवा प्रतिरोधात्मक बल के मामलों को देखे.’

गौरतलब है कि अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 1,528 फर्ज़ी हत्याओं की जांच की मांग की गयी थी.

असम: बाढ़ के कारण काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के नौ गैंडों सहित 124 पशु मारे गए

Kaziranga: Indian one-horned Rhinos stand at an elevated area inside the flood affected Kaziranga National Park in Assam on Thursday. PTI Photo (PTI7_6_2017_000231A)
फोटो: पीटीआई

गुवाहाटी: राज्य में हाल में आई बाढ़ में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) के नौ गैंडों सहित 124 पशुओं ने जान गंवाई है.

काजीरंगा नेशनल पार्क (केएनपी) की संभागीय वन अधिकारी रोहिणी वल्लभ सैकिया ने 3 अगस्त को बताया कि नदी के पानी के विश्व धरोहर स्थल केएनपी के 85 फीसदी हिस्से को जलमग्न कर देने से तकरीबन 130 अन्य पशु जख्मी हुए हैं.

पिछले सालों की तरह इस बार भी काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान 10 दिन से ज़्यादा समय तक जलमग्न रहा, जिससे पशुओं में घबराहट और अफरातफरी पैदा हो गई .

सैकिया ने बताया कि अधिकारियों ने पशुओं के लिए करीब 200 ऊंची जगहें तैयार रखी थी, ताकि वे बाढ़ के दौरान वहां शरण ले सकें, लेकिन कई ऊंची जगहें ब्रह्मपुत्र और दिफलू नदी के पानी में दो हफ्ते तक डूबी रहीं .

मृत पाए गए नौ गैंडों में से चार डूब गए जबकि चार अन्य उम्रदराज होने के कारण बढ़ते जलस्तर से बच कर निकल नहीं सके .

मणिपुर: मच्छरों से फैली बीमारियों के चलते करीब दो दर्जन लोगों की मौत

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इम्फाल का जवाहरलाल नेहरु अस्पताल (फोटो: पीटीआई)

इम्फाल: मच्छर से पैदा हुई बीमारियों के चलते राज्य में लगभग दो दर्जन से अधिक मौतें हो चुकी हैं. वहीं भारतम्यांमार सीमा क्षेत्र में संदिग्ध एच-वन-एन-वन (H1N1) के प्रकोप की आशंका जताई गई है.

हालांकि अब तक H1N1 से केवल की पुष्टि की गई है, वहीं बाकी मौतों का कारण अब तक पता नहीं चल पाया है.

स्थानीय समाचारों के मुताबिक इसका कारण डेंगू या जापानी इन्सेफेलाइटिस भी हो सकता है. क्योंकि बीते कुछ सालों में डेंगू और जापानी इन्सेफेलाइटिस के कारण कई मौतें हुई हैं.

राज्य स्वास्थ्य मंत्री एल.जयंतकुमार ने 29 जुलाई को विधानसभा में बताया कि भारतम्यांमार सीमा के पास चूड़ाचांदपुर जिले के हेंलेप कस्बे के एक गांव में 16 लोगों की मौत मच्छरों से फैली बीमारी की वजह से हुई है, वहीं राज्य के अन्य भागों में हुई चार और मौतें के पीछे भी इसी कारण के होने का अनुमान लगाया जा रहा है.

उन्होंने कहा तेज़ बुखार वाली इस बीमारी के फैलने का कारण बॉर्डर पर लोगों का अधिक पलायन भी हो सकता है. विधानसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया, ‘स्वास्थ मंत्रालय इन मौतों को लेकर चिंतित है और हेंलेप में H1N1 के प्रकोप और फैलने की संभावना पर पूरी नज़र रख रहा है. उन्होंने इस बात की भी सूचना दी कि डॉक्टरों की एक टीम को वहां भेज दिया गया है, साथ ही कुछ डॉक्टर चूड़ाचांदपुर के ज़िला अस्पताल में भी भेजे गए हैं. 31 बच्चों सहित 41 लोग एच-वन-एन-वन (H1N1) के संदेह के कारण चूड़ाचांदपुर ज़िला अस्पताल भेज दिए गए नहीं और उनको मेडिकल निरीक्षण के लिए भर्ती किया गया है.

उन्होंने सरकार की ओर से हर तरह की बीमारी से निपटने के लिए पूरी तैयारी होने का आश्वासन भी दिया है.

इम्फाल के जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (जेएनआईएमएस) और रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (आरआईएमएस) दोनों ऐसे रोगियों के लिए अलग वार्ड बनाए गए हैं. सरकार ने राज्य के अन्य हिस्सों में बीमारी के फैलाव को प्रतिबंधित करने के लिए जिले में चेक पॉइंट बनाकर करके रोग से प्रभावित लोगों की आवाजाही भी प्रतिबंधित की है.

इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आपात बैठक बुलाकर स्थिति का ब्यौरा लिया. सिंह ने बताया मच्छर से पैदा होने वाली बीमारी से चूड़ाचांदपुर में कुल 200 लोग प्रभावित हैं. आवश्यक दवाओं के साथ ही डॉक्टरों और परामर्शदाताओं को जिले में भेज दिया गया है.

उन्होंने यह भी बताया कि हेंलेप और चूड़ाचांदपुर के सुदूर गांवों से 100 से ज़्यादा लोगों को यातायात के लिए फ़ंड की भी मंजूरी दी गई है. यदि आवश्यकता हुई तो लोगों को हवाई जहाज के माध्यम से भी लाने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

नगालैंड:  मुख्यमंत्री जेलियांग ने एनपीएफ के दस विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की

कोहिमा : नगालैंड के मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के दस विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग को लेकर राज्य विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर की है.

4 अगस्त को दायर की गयी याचिका में जेलियांग ने दलील दी है कि विधायकों को दसवीं अनुसूची के अनुच्छेद 21 बी के तहत अयोग्य घोषित किया जाए क्योंकि वे पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करते हुए बीती 19 जुलाई को विधानसभा की आपात बैठक से अनुपस्थित थे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ये विधायक सदन की आपात बैठक के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ़ थे क्योंकि उन्हें इस के बारे में पूरी जानकारी दे दी गयी थी.

निवर्तमान मुख्यमंत्री शुरहोजेली लिजित्सु के ख़िलाफ़ 36 एनपीएफ विधायकों सहित 47 विधायकों के बगावत करने के बाद जेलियांग को गत 19 जुलाई को राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी गयी थी. उन्होंने 21 जुलाई को विश्वास मत जीत लिया था.

इन दस विधायकों में के पेसेयी, वाईवी स्वू, सी साजो, के नीनू, यिताचू, सीएल जॉन, थोंगवांग कोन्यक, पी लोंगोन, आर तोशन्बा और तोरेचू शामिल हैं.

असम:  एबीएमएसयू अध्यक्ष की हत्या की जांच के लिए बनी एसआईटी

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लफीक उल इस्लाम (बाएं) और बोडोलैंड की मांग करते प्रदर्शनकरी (दाएं) (फोटो: फेसबुक और पीटीआई)

कोकराझार:  असम सरकार ने ऑल बोडोलैंड माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष लफीक उल इस्लाम अहमद की हत्या की जांच के लिए 2 अगस्त को विशेष जांच दल का गठन किया. वहीं एबीएमएसयू ने हत्या की सीबीआई जांच और कोकराझार के पुलिस अधीक्षक को तुरंत हटाने की मांग की. कांग्रेस ने भी हत्या की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) से कराने की मांग की है.

एसआईटी के प्रमुख पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय प्रकाश मेधी होंगे.  1 अगस्त को कोकराझार पहुंचे पुलिस महानिदेशक मुकेश सहाय ने बोडोलैंड टेरीटोरियल काउंसिल (बीटीसी) अध्यक्ष हग्रामा मोहिलारी और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्थिति का जायज़ा लिया.

जिले में किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त बल तैनात कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि हत्या के संबंध में इम्तियाज अली नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है.

इस बीच अहमद के शव को उनके परिवार को सौंप दिया गया. उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया हालांकि एबीएमएसयू नेताओं ने पहले कहा था कि अपराधियों के पकड़ने  तक उन्हें सुपुर्द-ए-खाक नहीं होने देंगे.

ज्ञात हो कि 1 अगस्त को अहमद कोकराझाार शहर के तितागुरी बाजार में एक दुकान पर थे, तभी बाइक सवार हमलावरों ने एके 47 राइफल से उन पर गोलियां चला दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई जबकि दुकानदार गंभीर रूप से घायल हो गया.

एबीएमएसयू के महासचिव शाहकमाल खंदकर ने कहा,  ‘हम मानते हैं कि यह एक राजनीतिक हत्या है और इसके पीछे गहरी साजिश है. यही वजह है कि हम हत्या की सीबीआई जांच की मांग करते हैं.’

हत्या की वजह से जिले और निचले असम के अन्य इलाकों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए हैं. 1 अगस्त को ही देर रात मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असैनिक एवं पुलिस प्रशासन के साथ उच्च स्तरीय बैठक की और अधिकारियों से कहा कि वे सघन अभियान छेड़ें और 24 घंटे के अंदर दोषियों को पकड़ें.

इस बीच, हत्या को लेकर एबीएमएसयू की ओर से बुलाए गए 24 घंटे के बंद का असर दिखा और स्कूल, कॉलेज तथा दुकानें बंद रहीं एवं सड़कों पर कुछ ही वाहन दिखे.

पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने भी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिनदहाड़े बाजार में एक युवा नेता की हत्या कर दी गई. वे एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता था, उसकी जान को खतरा था. फिर भी उसे पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी गई.

प्रधानमंत्री ने की पूर्वोत्तर में बाढ़ राहत के लिये 2,350 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा

Modi in Assam photo by PIB
असम में पूर्वोत्तर के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करते प्रधानमंत्री मोदी (फोटो: पीआईबी)

गुवाहाटी:  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बाढ़ से प्रभावित पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के लिए कुल 2,350 करोड़ रूपये का पैकेज और 250 करोड़ रूपये फौरन जारी करने की घोषणा की है. उन्होंने क्षेत्र में बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए 1 अगस्त को यहां का दौरा किया.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा बताया गया है कि प्रधानमंत्री ने अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिज़ोरम, नगालैंड और त्रिपुरा में बाढ़ में जान गंवाने वालों के निकट परिजन को दो -दो लाख रूपये देने की घोषणा की है. पीएमओ ने कहा कि गंभीर रूप से घायलों में प्रत्येक को 50,000 रुपये मिलेंगे.

असम के बारे में राज्य के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री ने राहत एवं पुनर्वास कार्य के लिए फौरन 250 करोड़ रुपये फ़ौरन जारी करने की घोषणा की. उन्होंने बताया, ‘प्रधानमंत्री ने जून में 300 करोड़ रुपये जारी किए थे. 1 अगस्त को 250 करोड़ रूपये की जो घोषणा की गई वह जून में जारी की गई राशि के अतिरिक्त है.

जल संसाधन मंत्री केशब महंत ने प्रधानमंत्री के हवाले से कहा, ‘पूर्वोत्तर की समस्या भारत की समस्या है और हमें सामूहिक रूप से इस समस्या को ताकत में तब्दील करने पर ध्यान देना चाहिए.’

बाढ़ से पैदा हुए हालात का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने दिन भर की यात्रा के दौरान असम, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड के मुख्यमंत्रियों  से मुलाकात की. मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लल थनहावला मौक़े पर न मौजूद हो पाने के चलते अपना प्रतिनिधि भेजा था.

शर्मा ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए 2,350 करोड़ रूपये के कुल बाढ़ पैकेज की घोषणा की है.’

उन्होंने इसका ब्यौरा देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री ने  2000 करोड़ रूपया का विशेष पैकेज पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को राहत एवं पुनर्वास कार्य के लिए देने की घोषणा की है. इस धनराशि में से विभिन्न राज्यों के हिस्से पर आने वाले दिनों में काम किया जाएगा और उसके मुताबिक़ घोषणा की जाएगी.

इसके अलावा प्रधानमंत्री ने बाढ़ लाने में ब्रह्मपुत्र नदी और इसकी भूमिका का अध्ययन करने पर एक शोध परियोजना शुरू करने के लिए 100 करोड़ रूपये की घोषणा की. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पैकेज बाढ़ राहत, पुनर्वास, पुनर्निर्माण उपाय के लिए होगा.

उन्होंने ट्वीट किया भी किया कि पैकेज में एक हिस्सा बुनियादी ढांचा और ब्रह्मपुत्र की जल धारण क्षमता बेहतर करने के लिए होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हम पूर्वोत्तर के जल संसाधन का उपयुक्त प्रबंधन करने में सक्षम होने का हर संभव तरीका तलाश रहे हैं. इससे हमें काफी फायदा होगा.

शर्मा ने बताया कि ब्रह्मपुत्र नदी के अध्ययन वाली परियोजना में एक उच्चाधिकार समिति होगी जिसमें वैज्ञानिक, शोधार्थी और इंजीनियर होंगे. वे लोग नदी का अध्ययन करेंगे और बाढ़ से निपटने के उपाय सुझााएंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र हमेशा ही असम और पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ है. उन्होंने बाढ़ एवं मिट्टी के कटाव से निपटने के लिए संक्षिप्त एवं लंबी अवधि के उपाय अपनाने का सुझाव दिया.

वहीं महंत ने बताया कि असम सरकार ने कोई ज्ञापन नहीं सौंपा लेकिन बुनियादी ढांचा मजबूत करने और पुनर्वास कार्य के लिए सहयोग मांगा. वहीं नगालैंड के मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने बाढ़ से हुए नुकसान को लेकर कम से कम 700 करोड़ रूपये की मांग की लेकिन उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि प्रधानमंत्री ने कोष के बारे में कोई भरोसा दिलाया या नहीं.

नगालैंड में इस साल की बाढ़ में 18 लोग मारे गए हैं. करीब छह लाख लोग प्रभावित हुए हैं. जेलियांग ने कहा कि यह अच्छा और प्रोत्साहित करने वाला कदम है कि प्रधानमंत्री यहां आए और पूर्वोत्तर के सभी मुख्यमंत्रियों से मिले.

मोदी ने अरूणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू को सहयोग का वादा किया. उन्होंने बाढ़ से हुए नुकसान के लिए प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा था. खांडू ने मुलाकात के बाद कहा, ‘प्रधानमंत्री ने हमारी समस्याओं को धैर्य से सुना और राहत, पुनर्वास और बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में मदद का वादा किया.

त्रिपुरा: अगरतला-अखौरा रेलवे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू

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नई रेलवे लाइन बनने से पूर्वोत्तर राज्यों की चटगांव बंदरगाह तक सीधी पहुंच हो जाएगी (फोटो: रॉयटर्स)

अगरतला:  भारतीय रेलवे को बांग्लादेश रेलवे से जोड़ने के लिहाज से 15 किलोमीटर लंबी अगरतला-अखौरा रेल परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू हो गया है.

पश्चिम त्रिपुरा के जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर मिलिंद रामटेके ने संवाददाताओं को बताया, ‘हमने 257 परिवारों को रेल परियोजना के लिहाज से 66 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए नोटिस भेजे हैं और यह जमीन अगस्त के अंत तक रेलवे को सौंपी जाएगी.’

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जमीन के अधिग्रहण के लिए 97.63 करोड़ रुपये जारी कर दिये हैं. अगरतला को बांग्लादेश के अखौरा से जोड़ने के लिए 15 किलोमीटर पटरी बिछाने की प्रक्रिया शुरू होने के ढाई साल बाद पूरी हो जाएगी.

इन 15 किलोमीटर में से पांच किलोमीटर भारत की ओर और बाकी बांग्लादेश की ओर होंगे. रामटेके ने बताया कि पूर्वोत्तर सीमांत  रेलवे (एनएफआर) भारत में इस परियोजना की नोडल एजेंसी है.

(संगीता बरुआ पिशारोती के सहयोग और समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)