बिहार: 10 सालों में आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले के 213 केस दर्ज, 2018 से कोई कार्रवाई नहीं

राज्य के गृह विभाग ने आरटीआई के तहत बताया कि इसमें से 184 मामलों का निपटारा किया जा चुका है. हालांकि विभाग द्वारा यह नहीं बताया गया है कि आरोपियों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई हुई है.

(फोटो साभार: विकीपीडिया)

राज्य के गृह विभाग ने आरटीआई के तहत बताया कि इसमें से 184 मामलों का निपटारा किया जा चुका है. हालांकि विभाग द्वारा यह नहीं बताया गया है कि आरोपियों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई हुई है.

(फोटो साभार: विकिपीडिया)
(फोटो साभार: विकिपीडिया)

नई दिल्ली: नीतीश कुमार की अगुवाई वाले बिहार में पिछले 10 सालों में सूचना का अधिकार कार्यकर्ताओं पर हमले एवं प्रताड़ना को लेकर कम से कम 213 केस दर्ज किए गए हैं.

आलम ये है कि फरवरी, 2018 से दर्ज 21 मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. आरटीआई के तहत ये जानकारियां प्राप्त हुई हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नागरिक अधिकार मंच के संयोजक और आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय ने बताया, ‘जब मैंने कार्यकर्ताओं के खिलाफ दायर मामलों की जानकारी मांगी, तब मुझे बताया गया है कि 213 में से 184 मामलों को निपटाया जा चुका है. लेकिन मुझे ने ये नहीं बताया गया है कि आरोपियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है.’

55 वर्षीय राय ने अब तक करीब 500 आरटीआई आवेदन दायर किए हैं. दस्तावेज के मुताबिक फरवरी 2018 और सितंबर के बीच दर्ज किए गए 21 केस में से अधिकांश मामले पंचायत स्तर की योजनाओं, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) द्वारा धान खरीद, मनरेगा और प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल के शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित हैं.

राज्य के गृह विभाग से प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए राय ने बताया कि साल 2008 के बाद से 17 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है.

गृह विभाग के एक आदेश के अनुसार, आरटीआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ अत्याचार के सभी मामलों को एक महीने के भीतर निपटाया जाना चाहिए और प्रत्येक मामले पर पुलिस अधीक्षक (एसपी) की नजर होनी चाहिए.

आदेश में कहा गया था कि अगर एसपी के खिलाफ शिकायत होती है तो पुलिस महानिरीक्षक को ऐसे मामलों को देखना चाहिए.

राय के खिलाफ दर्ज मामला भी अभी लंबित है. वहीं, साल 2017 में बक्सर एसपी द्वारा कथित तौर पर ‘दुर्व्यवहार’ करने को लेकर शिकायत दर्ज कराने वाले एक कार्यकर्ता ने कहा कि ये मामला डीजीपी तक पहुंचने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.

एक अन्य लंबित मामला बेगूसराय के 70 वर्षीय गिरीश गुप्ता का है, जिन्हें कथित तौर पर मई 2020 में ब्लॉक-स्तर के कर्मचारियों द्वारा पीटा गया था.

गुप्ता ने कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान मेरे घर पर सरकारी कर्मचारियों द्वारा मुझे बुरी तरह से पीटा गया था. जबकि मैं बुढ़ापे की समस्याओं के कारण मुश्किल से चल पाता हूं, लेकिन मुझ पर लॉकडाउन उल्लंघन को लेकर केस दर्ज किया गया. मेरी इस आरटीआई को लेकर स्थानीय पुलिस नाराज थी कि क्या वे अपने आयकर रिटर्न में अपने जन्मदिन पर प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों के खर्चों का उल्लेख करते हैं.’

पिछले साल अगस्त में एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां बक्सर के एक आरटीआई कार्यकर्ता के नाबालिग बेटे पर आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जेल में डाल दिया गया था.

कार्यकर्ता ने बिहार सरकार की फ्लैगशिप योजना सात निश्चय (गांव की सड़कों, स्वच्छता और पेयजल) मनरेगा और सहकारिता विभाग के तहत प्राथमिक कृषि साख समिति (पीएसीएस) द्वारा धान की खरीद में कथित अनियमितता को लेकर कई आरटीआई आवेदन दायर किए थे.

बिहार में गृह विभाग के अपर सचिव आमिर सुभानी ने कहा है कि वे लंबित मामलों की जांच कराएंगे.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games