त्रिपुराः सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद नौकरी खोने वाले शिक्षक ने आत्महत्या की

2014 में त्रिपुरा हाईकोर्ट द्वारा साल 2010 से विभिन्न चरणों में नियुक्त हुए 10,323 स्कूली शिक्षकों को भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों के चलते बर्ख़ास्त कर दिया था. 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फ़ैसले को बरक़रार रखा. नौकरी खोने वाले शिक्षकों के संगठन क़रीब एक महीने से अगरतला में अनिश्चितकालीन धरने पर हैं.

2014 में त्रिपुरा हाईकोर्ट द्वारा साल 2010 से विभिन्न चरणों में नियुक्त हुए 10,323 स्कूली शिक्षकों को भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों के चलते बर्ख़ास्त कर दिया था. 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फ़ैसले को बरक़रार रखा. नौकरी खोने वाले शिक्षकों के संगठन क़रीब एक महीने से अगरतला में अनिश्चितकालीन धरने पर हैं.

Belonia Tripura

अगरतलाः  राजधानी अगरतला से 90 किलोमीटर दूर बेलोनिया के कमल कांत पारा में नौकरी खोने के बाद कर्ज में डूबे एक पूर्व स्कूली शिक्षक शुक्रवार रात को उनके घर में मृत पाए गए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की वजह से 10,323 स्कूली शिक्षकों को बर्खास्त करने के हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था, जिसके बाद उत्तम त्रिपुरा (32) को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था.

बेलोनिया की सब डिविजनल पुलिस अधिकारी सौम्या देबबर्मा ने बताया कि मृतक की पत्नी की शिकायत के आधार पर पीआर बारी पुलिस थाने में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया है.

अधिकारी ने कहा, ‘हमें मृतक की पत्नी से जानकारी मिली कि उत्तम ने फांसी लगा ली है. हम निश्चित तौर पर कुछ नहीं कह सकते. हम मामले की जांच कर रहे हैं.’

मृतक की पत्नी शेफाली त्रिपुरा ने बताया कि उनके पति की नौकरी छिन जाने के बाद से वह वित्तीय संकट से जूझ रहे थे. उन पर बैंक का कर्ज था और इसे लौटाने के लिए उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं था.

यह पूछने पर कि क्या कर्ज के दबाव की वजह से उन्होंने आत्महत्या की, पुलिस ने कहा कि जांच जारी है.

बता दें कि 2010 से विभिन्न चरणों में नियुक्त किए गए ग्रैजुएट, अंडर ग्रैजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट शिक्षकों को 2014 में त्रिपुरा हाईकोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी की वजह से बर्खास्त कर दिया गया था.

बर्खास्त किए गए शिक्षकों और सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई विशेष अवकाश याचिकाओं पर प्रतिक्रियास्वरूप 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को बरकरार रखा था.

इस बीच इनमें से कई शिक्षकों को साक्षात्कार के जरिए वैकल्पिक नौकरियों पर रखा गया था. 8,000 से अधिक शिक्षकों को इस साल 31 मार्च तक के लिए एडहॉक के आधार पर दोबारा बहाल किया गया था.

बर्खास्त किए गए शिक्षकों के तीन संगठनों ने 27 दिन पहले अनिश्चितकालीन सामूहिक धरना प्रदर्शन शुरू किया था. यह प्रदर्शन अभी भी जारी है. इस बीच बर्खास्त किए गए शिक्षकों का कहना है कि वे छह जनवरी से अपना आंदोलन तेज करेंगे.