स्वतंत्र पत्रकार और कारवां पत्रिका के लिए लिखने वाले मनदीप पुनिया और एक अन्य पत्रकार धर्मेंद्र सिंह को शनिवार को हिरासत में लिया गया था. धर्मेंद्र सिंह को रविवार तड़के रिहा कर दिया गया. वहीं बताया जा रहा है कि पुनिया को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस ने सिंघू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को कवर कर रहे दो पत्रकारों को शनिवार को हिरासत में लिया. इनमें से एक स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया हैं, जो कारवां पत्रिका के लिए लिखते हैं, जबकि दूसरे पत्रकार धर्मेंद्र सिंह हैं, जो ‘ऑनलाइन न्यूज इंडिया’ वेबसाइट से जुड़े हुए हैं.
कारवां पत्रिका के संपादकों के मुताबिक, पुनिया दो दिन पहले सिंघू बॉर्डर पर हुए प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा को लेकर सूचना इकट्ठा करने वहां गए थे.
दरअसल 29 जनवरी को खुद को स्थानीय निवासी बताने वाले लगभग 150 लोगों का एक समूह तीन स्तरीय सुरक्षा बैरिकेडिंग को पार कर सिंघू बॉर्डर पर हो रहे प्रदर्शन स्थल तक पहुंच गया था.
https://twitter.com/PunYaab/status/1355541519520866307?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1355541519520866307%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fthewire.in%2F
इस दौरान इन लोगों ने कहा कि किसान आंदोलन से उनकी आजीवका प्रभावित हुई है और देखते ही देखते इन लोगों और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच झड़प हो गई. यह सब पुलिस के सामने हुआ. ऐसे कई वीडियो सामने आए, जिनमें देखा जा सकता है कि जब इन लोगों ने किसानों पर पथराव किया तो पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी थी.
किसान यूनियनों के नेताओं ने दावा किया था कि यह भीड़ भाजपा और आरएसएस द्वारा समर्थित थी.
पुनिया को हिरासत में लिए जाने की खबरें आने के बाद उनका एक वीडियो वायरल हुआ, जिनमें उन्हें बैरिकेड के पास पुलिस द्वारा घसीटते देखा जा सकता है.
कारवां पत्रिका के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल ने ट्वीट कर कहा था कि पुनिया ने प्रदर्शन के पीछे के सच को सत्यापित करने की कोशिश में पूरा दिन बिता दिया था.
we have been informed by addl DCP J. Meena that FIR 52/21 PS Alipur has been filed under sections 186, 332, 353 IPC, we'll take whatever legal recourse is necessary. We've learnt Mandeep had spent the morning trying to track down those from bjp claiming to be 'locals' at Singhu https://t.co/VBUfXAmfs5
— Hartosh Singh Bal (@HartoshSinghBal) January 30, 2021
बल ने ट्वीट कर कहा, ‘हमें पता चला कि मनदीप सुबह से ही यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि सिंघू पर खुद को स्थानीय लोग बताने वालों की भीड़ भाजपा और आरएसएस से जुड़ी हुई थी या नहीं.’
उन्होंने यह भी कहा कि पत्रिका को एडिशनल डीसीपी जे. मीना द्वारा बताया गया कि अलीपुर पुलिस थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई है और आईपीसी की धारा 186, 332 और 353 के तहत पुनिया पर मामला दर्ज किया गया है. ये तीनों धाराएं लोक सेवक के काम में बाधा डालने से जुड़ी हैं और जमानती अपराध हैं.
we have been trying to get precise information from @DelhiPolice for the the past few hours on mandeep punia who has been a regular contributor with us, we are still awaiting confirmation on where he is and why he was picked up. https://t.co/G7VlPUI0fk
— Hartosh Singh Bal (@HartoshSinghBal) January 30, 2021
मालूम हो कि शनिवार देर रात तक कोई स्पष्टता नहीं थी कि मनदीप पुनिया और धर्मेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया है या सिर्फ हिरासत में लेकर जाने दिया गया.
बल ने देर रात ट्वीट कर कहा, ‘पत्रिका पुनिया के बारे में सही सूचना का पता लगाने की कोशिश कर रही है. रविवार सुबह पत्रिका को बताया गया कि पुनिया को औपचारिक तौर पर गिरफ्तार किया गया है और मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा.’
#MandeepPunia exposed #DelhiPolice by his @Facebook Live – How it was hand in glove with the goons, who attacked the farmers at #SinghuBorder.
Link of Facebook live – https://t.co/KRw6RXBW5R
2/n pic.twitter.com/mm6kQEGQ0b
— Dr Vineet Punia / विनीत पुनिया (@VineetPunia) January 30, 2021
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पत्रकार धर्मेंद्र सिंह को रविवार तड़के पांच बजे रिहा कर दिया गया.
न्यूजलॉन्ड्री के एक रिपोर्टर का कहना है कि सिंह को एक अंडरटेकिंग (समझौता पत्र) पर हस्ताक्षर करने के बाद रिहा किया गया, जिसमें कहा गया है कि वह भविष्य में ऐसा कुछ नहीं करेंगे.
जानकारी के अनुसार, दिल्ली के पटेल नगर स्थित पुलिस मुख्यालय पर इसे लेकर एक प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही है.
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि भाजपा किसान आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है. उन्होंने पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाने की आलोचना भी की है.
किसान आंदोलन कवर कर रहे पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा रहा है, उनपर मुकदमें किए जा रहे हैं। कई जगहों पर इंटरनेट बंद कर दिया है। भाजपा सरकार किसानों की आवाज को कुचलना चाहती है लेकिन वे भूल गए हैं कि जितना दबाओगे उससे ज्यादा आवाजें आपके अत्याचार के खिलाफ उठेंगी। #ReleaseMandeepPunia
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) January 31, 2021
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘किसान आंदोलन कवर कर रहे पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा रहा है, उन पर मुकदमें किए जा रहे हैं. कई जगहों पर इंटरनेट बंद कर दिया है. भाजपा सरकार किसानों की आवाज को कुचलना चाहती है, लेकिन वे भूल गए हैं कि जितना दबाओगे, उससे ज्यादा आवाजें आपके अत्याचार के खिलाफ उठेंगी.’
रविवार दोपहर मिली जानकारी के अनुसार, पुनिया को उनके वकील की मौजूदगी के बिना न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. वकील के मुताबिक उन्हें बताया गया था कि दो बजे पेश किया जाएगा, लेकिन उससे पहले ही पेश कर दिया गया.
बीते कुछ दिनों में 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान असत्यापित खबरें शेयर करने के आरोप में कई पत्रकारों पर राजद्रोह के मुकदमे दर्ज किए गए हैं.
यह एफआईआर 26 जनवरी को दिल्ली में हुई किसानों की ट्रैक्टर रैली की रिपोर्टिंग के संबंध में दायर की गई हैं, जिनमें शुरुआती कुछ रिपोर्टों में कहा गया था कि दिल्ली के आईटीओ पर एक युवा प्रदर्शनकारी नवरीत सिंह की गोली लगने से मौत हुई, लेकिन बाद में दावा किया गया कि किसान का ट्रैक्टर पलटने से उसकी मौत हुई.
ये एफआईआर कांग्रेस नेता शशि थरूर, इंडिया टुडे के पत्रकार राजदीप सरदेसाई, नेशनल हेराल्ड के सीनियर कंसल्टिंग एडिटर मृणाल पांडे, कौमी आवाज के संपादक जफर आगा, कारवां पत्रिका के संपादक और संस्थापक परेश नाथ, इसके संपादक अनंत नाथ और कार्यकारी संपादक विनोद के. जोस और एक अज्ञात शख्स के खिलाफ दिल्ली और भाजपा शासित कुछ राज्यों में दर्ज की गई है.
रविवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ भी अलग से एफआईआर दर्ज की.
यूपी पुलिस ने उत्तर प्रदेश की रामपुर पुलिस ने सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ एक ट्वीट को लेकर एफआईआर दर्ज की है. इस ट्वीट में उन्होंने उक्त प्रदर्शनकारी की मौत को लेकर उनके परिवार के दावे से संबंधित खबर को ट्वीट किया था.
कई मीडिया संगठनों ने पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज कए जाने की आलोचना की है और इस स्थिति को अघोषित आपातकाल बताया है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा का कहना है, ‘ये आरोप केवल पत्रकारों को डराने या प्रताड़ित करने के लिए नहीं हैं, बल्कि पेशेवरों को आतंकित करने के लिए भी हैं, ताकि वे अपना काम करने से डरें.’
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)